मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जून को अयोध्या में आयोजित 13वें सरयू जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने मां सरयू की महत्ता को रेखांकित करते हुए नदियों के संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और अयोध्या के सांस्कृतिक गौरव पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नदियां धरती माता की जीवनरेखा हैं और इनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर जिले में एक नदी का पुनर्जीवन किया जाए। साथ ही नदियों में गंदगी, सीवर और मृत पशुओं को डालने पर सख्त रोक की बात कही। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस वर्ष प्रदेश में नदियों के किनारे 35 करोड़ पौधे रोपित किए जाएंगे।
उन्होंने मां गंगा के धरती पर अवतरण की कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि अयोध्या में ही भगीरथ जी ने कठोर तप कर गंगा जी को पृथ्वी पर लाया था। मां गंगा न केवल मुक्ति की प्रतीक हैं, बल्कि भारत की उर्वरा शक्ति की भी जननी हैं। प्रयागराज में महाकुंभ जैसे आयोजनों को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए उन्होंने भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने अयोध्या के तेजी से बदलते स्वरूप पर प्रसन्नता व्यक्त की और बताया कि अब यहां चार व छह लेन की सड़कें, वाटर एटीएम और अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तैयार हो चुका है और यह देश की पहली सोलर सिटी बन गई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या का यह वैभव न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की शान है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश अब ‘नए भारत का उत्तर प्रदेश’ बन रहा है, जहां कानून व्यवस्था सुदृढ़ है, रोजगार के अवसर बढ़े हैं और जनता भयमुक्त वातावरण में रह रही है। उन्होंने नदियों और पर्यावरण के संरक्षण को आपदा प्रबंधन से जोड़ा और सभी से इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने की अपील की।
कार्यक्रम में विभिन्न संत-महात्माओं, जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी गरिमामयी बना दिया। मुख्यमंत्री ने सभी सनातन धर्मावलंबियों को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर बधाई देते हुए इसे भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की आधारशिला बताया।