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सपा शासनकाल में बनी कॉलोनी योगीराज में हुई जर्जर, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

सपा शासनकाल में मेरठ कंकरखेड़ा सैनिक विहार के पास एक कॉलोनी बनाई गई थी। जिस कॉलोनी का नाम शौर्य रखा गया था। यहां पर 280 फ्लैट बनाए गए जो कम कीमत के थे लेकिन मात्र अभी तक 90 ही आवंटी फ्लैट के खरीदार मिले। मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से ना तो इन फ्लैटों को बेचने के लिए कोई योजना बनाई गई और ना ही इनको किराए पर दिया गया।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
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सपा शासनकाल में बनी कॉलोनी योगीराज में हुई जर्जर, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

समाजवादी पार्टी की सरकार में मेरठ कंकरखेड़ा बायपास पर स्थित शौर्य कॉलोनी बनी थी। यहां लोगों को बसाया गया था। जो अब योगीराज में कंडहर की हालत में आ गई है। बड़ी बात यह है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। इस कॉलोनी में रहने वाले भी कई बार समस्याओं को लेकर शिकायत कर चुके हैं लेकिन अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

जब इस कॉलोनी में लोगों को मकानों के आवंटन किए गए थे तो प्रीपेड मीटर के हिसाब से बिजली का बिल देने की बात हुई थी लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण ने अपनी ओर से ही लोगों को बिना मीटर लगाए 2 लाख के बिजली के बिल भेज दिए। जबकि प्रीपेड मीटर के लिए कहा जाता है कि उसमें रिचार्ज कराना होता है लेकिन प्रीपेड मीटर के हिसाब से आवंटीयों पर इतना ज्यादा बिल निकाल दिया गया कि अब आवंटी परेशान हैं।

आपको बता दें 2013 में सपा शासनकाल में मेरठ कंकरखेड़ा सैनिक विहार के पास एक कॉलोनी बनाई गई थी। जिस कॉलोनी का नाम शौर्य रखा गया था। यहां पर 280 फ्लैट बनाए गए जो कम कीमत के थे लेकिन मात्र अभी तक 90 ही आवंटी फ्लैट के खरीदार मिले। मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से ना तो इन फ्लैटों को बेचने के लिए कोई योजना बनाई गई और ना ही इनको किराए पर दिया गया। अब हालात यह हैं कि फ्लैट जर्जर हो चुके हैं दीमक लग चुकी है छत की पानी की टंकी भी टूट चुकी है जिस कारण पानी लगातार फ्लैटों में रिस रहा है। कभी भी पानी के कारण यह फ्लैट धराशाई हो सकते हैं। प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले अधिकारी इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहें। जिस वक्त फ्लैटों का आवंटन किया गया था, मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से कहा गया था कि प्रीपेड मीटर के हिसाब से ही उनको बिजली का भुगतान करना होगा।

लेकिन यहां तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने अपनी ओर से ही प्रीपेड मीटर की बात कह कर 2 लाख के बिल सभी आवंटीयों को भेज दिए गए। जिस कारण वहां पर रह रहे लोग अब काफी परेशान हैं जबकि बिजली की दरें तय करने का काम शासन की ओर से होता है लेकिन मेरठ का मेरठ विकास प्राधिकरण तो सभी काम अपने आप करने लगा है जब अधिकारियों से इस बारे में बात करनी चाहिए किसी भी अधिकारी नहीं इस पर बोलने से मना कर दिया। यूपी की बात के लिए इस खबर को संवाददाता मनीष पारासर रिपोर्ट किया है।

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