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Rajnath Singh Biography: मोदी सरकार 3.0 में रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह, जानिए उनकी जीवनी

लखनऊ से भाजपा सांसद राजनाथ सिंह को एक बार फिर से मोदी मंत्री मंडल में रक्षा मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है। गौरतलब है कि उन्हें 2019 के आम चुनाव में जीतने के बाद रक्षामंत्री का पद सौंपा गया था और 2024 में उन्हें यह पद फिर से सौंपा गया है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से उनके जीवन के बारे में जानते हैं और ये भी जानते हैं कि उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता बनने में कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

By: Desk Team  RNI News Network
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Rajnath Singh Biography: मोदी सरकार 3.0 में रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह, जानिए उनकी जीवनी

लखनऊ से भाजपा सांसद राजनाथ सिंह को एक बार फिर से मोदी मंत्री मंडल में रक्षा मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है। गौरतलब है कि उन्हें 2019 के आम चुनाव में जीतने के बाद रक्षामंत्री का पद सौंपा गया था और 2024 में उन्हें यह पद फिर से सौंपा गया है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से उनके जीवन के बारे में जानते हैं और ये भी जानते हैं कि उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता बनने में कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

राजनाथ सिंह का शुरुआती जीवन

राजनाथ सिंह का जन्म (10 जुलाई 1951 को) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी (अब जिला चंदौली में स्थित) जिले के एक छोटे से ग्राम बाभोरा में हुआ था। उनका जन्म एक राजपूत यानी क्षत्रीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था। वे क्षेत्र के एक साधारण कृषक परिवार में जन्में थे और आगे चलकर उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में भौतिक शास्त्र में आचार्य की उपाधी प्राप्त की। वे 13 वर्ष की आयु से (सन् 1964 से) संघ परिवार से जुड़े हुए हैं। मिर्ज़ापुर में भौतिकी व्याख्यता में शिक्षक की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे।

उन्होंने वर्ष 1974 में राजनीति में प्रवेश किया और कुछ समय बाद मिर्जापुर के भारतीय जनसंघ के सचिव बने। वर्ष 1975 में, वह जनसंघ के जिला अध्यक्ष और जेपी आंदोलन के जिला समन्वयक बने। वर्ष 1977 में, उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक के रूप में नामित किया गया।

Rajnath Singh becomes Defense Minister in Modi Government 3.0, know his biography

पारिवारिक जीवन

राजनाथ सिंह के परिवार के बारे में बात करें तो उनके जीवन संगिनी का नाम सावित्री सिंह है। इनके 3 बच्चे हैं जिनमें से 1 पुत्री और 2 पुत्र हैं। जिनमें से बेटी का नाम अनामिका सिंह है। वहीं बेटों की बात करें तो एक बेटा पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं तो वहीं छोटा बेटा नीरज सिंह विकसित भारत और नमों ऐप के अम्बेस्डर रह चुके हैं।

अडवाणी से राजनाथ सिंह का संबंध

राजनाथ सिंह ओर लाल कृष्ण आडवाणी का संबंध वर्तमान में और पहले भी अच्छा रहा है। असल में 2013 में जब राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे तो मोदी को पीएम पद बनाए जाने पर यह बात उठी थी कि राजनाथ सिंह और आडवाणी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और वे इससे नाराज हैं। लेकिन मीडिया में इस बात के उठने पर राजनाथ ने सामने आकर मीडिया को यह स्पष्ट किया कि लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिए जाने से पैदा हुए संकट पर RSS दबाव में है। उन्होंने कहा कि ये खबरे पूरी तरह से निराधार हैं, मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि ये सभी बातें केवल हवा है। हां, यदि वे पार्टी के बड़े नेता हैं ऐसे में वे उचित सम्मान के हकदार हैं जिसको लेकर बीजेपी सजग है।

मिर्जापुर में राजनाथ सिंह की गिरफ्तारी

लेखक गौतम चिंतामणि की किताब राजनीति: “ए बायोग्राफी ऑफ राजनाथ सिंह” में इमरजेंसी के समय राजनाथ के स्थिति के बारे में बताया है। आपको बता दें कि राजनाथ सिंह मां से उनके अंतिम समय में मिल भी नहीं पाए थे, उन्हें उनकी मां के अंतिम संस्कार के लिए भी इमरजेंसी में जेल से रिहा नहीं किया गया था। अब आपको गौतम चिंतामणि के पुस्तक के निष्कर्ष को बताते हैं। जब राजनाथ सिंह को मिर्जापुर से गिरफ्तार कर लिया गया था।

साल 1975 में कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद कई विरोधी नेताओं को बिना किसी कारण के जेल में डाल दिया जाने लगा। राजनाथ उस समय मिर्जापुर में संघ का काम देखते थे और साथ ही कॉलेज में शिक्षक की नौकरी भी करते थे। प्रतिदिन की तरह राजनाथ सिंह 12 जुलाई 1975 की सुबह उठने और कसरत करने के बाद कॉलेज जाने की तैयारी करने लगे। उसी समय दरवाजे पर पुलिसवालों ने दस्तक दिया जो कि उन्हें गिरफ्तार करने आए थे।

राजनाथ सिंह को मिर्जापुर में मीसा के अंतर्गत पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्हें इसलिए उस समय गिरफ्तार किया गया क्योंकि वे उस समय मिर्जापुर संघ के बड़े नेता बन चुके थे। इसलिए सख्त हिदायत के साथ किसी भी कोताही को बरतने के लिए मना कर दिया गया था। गौरतलब है कि मीसा के तहत गिरफ्तार हुए लोगों को, परिवार या किसी भी बाहरी सदस्यों से मिलने की इजाजत नहीं होती है। शुरुआत में तो वे मिर्जापुर जेल में बंद रहे पर बाद में उन्हें इलाहाबाद के नैनी जेल में भेज दिया गया।

रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था परिवार

परिवार को जब राजनाथ के इलाहाबाद जेल जाने की सूचना मिली तो उन्होंने उनसे मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर मिलने का प्लान बनाया। क्योंकि मिर्जापुर से उन्हें ट्रेन से ही इलाहाबाद ले जाया जा रहा था। उनकी पत्नी सावित्री और मां गुजराती देवी ट्रेन के पहुंचने से बहुत पहले ही रेलवे स्टेशन पर पहुंच चुकी थी। परिवार इस घटना से बहुत डरा हुआ था क्योंकि किसी को नहीं पता था कि वह कितने समय तक जेल में रहेंगे। राजनाथ को ले जाने के लिए स्टेशन की सुरक्षा की व्यवस्था भी पूरी थी।

वहीं राजनाथ सिंह ने बहुत दूर से ही पत्नी और मां को देख लिया था। उनके साथ काम करने वाले कुछ कार्यकर्ता भी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। लोगों ने उन्हें देखकर समर्थन में नारे लगाने शुरू किए ऐसे में राजनाथ सिंह के लिए मां और पत्नी की बात सुन पाना मुश्किल था। वहीं पुलिसकर्मी जल्दी से जल्दी उन्हें ट्रेन में बैठाना चाहते थे। इस दौरान उनकी मां ने राजनाथ को कहा, ‘बबुआ। माफी मांगना नहीं। चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न कट जाए। कभी सिर मत झुकाना।’

मां की कही इस बात को सुनकर राजनाथ सिंह बहुत भावुक हो गए और उन्होंने राजनीति क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला लिया। इमरजेंसी के दौरान अगस्त 1975 तक करीब 50 हज़ार लोगों को मीसा के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी के साथ भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 में मिलने वाले सभी मौलिक अधिकार भी वापस ले लिए गए थे ऐसे में कोई कोर्ट के दरवाजे भी नहीं खटखटा सकता था। वहीं जब राजनाथ वापस आए तो वह एक शिक्षक नहीं बल्कि एक लोकप्रिय नेता बनकर लोगों के सामने उभरे।

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राजनाथ सिंह और राजनीति

  • 1977 – उत्तर प्रदेश विधानसभा से विधायक 1977
  • 1983 – उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश सचिव
  • 1984 – भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष
  • 1986 से 1988 – भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव और 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
  • 1988 से 1991 तक – 1988 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में एमएलसी के लिए निर्वाचित हुए और 1991 में शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में बतौर शिक्षा मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने नकल पर लगाम लगाने और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल करने व इसके साथ ही इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में मौजूद भ्रामक जानकारियों को दूर करने जैसे अहम कार्य किए थे।
  • 1994 – राज्यसभा सांसद बने और भाजपा के लिए राज्यसभा में व्हिप के प्रमुख भी बने
  • 1997 – 25 मार्च, 1997 को उन्होंने उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संगठन को और भी मजबूत बनाने का काम किया। कई राजनीतिक संकटों को दौरान उन्होंने पार्टी को मजबूत नेतृत्व देकर सक्षम बनाया है।
  • 1999 – 22 नवंबर, 1999 को वह केन्द्रीय परिवहन मंत्री बने। इस दौरान उन्हें श्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न परियोजना नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रॉजेक्ट पर कार्य करने का अवसर मिला।
  • 2000 – 28 अक्तूबर, 2000 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाराबांकी के हैदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक चुने गए। 2002 में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाला।
  • 2003 – 24 मई, 2003 को उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं खाद्य सुरक्षा का भार संभाला। इस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर और फसल आय सुरक्षा स्कीम जैसी योजनाओं पर काम किया।
  • 2004 – 2004 में एक बार फिर उन्हें भाजपा का महासचिव पद प्राप्त हुआ। बतौर महासचिव उन्होंने छत्तीसगढ़ और झारखंड की कमान संभाली और दोनों राज्यों में अपने संगठनात्मक काबिलियत के इस्तेमाल से भाजपा को जीत दिलाई।
  • 2005 – 31 दिसंबर 2005 को श्री राजनाथ सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष देश के हर कोने का दौरा किया। साथ ही उन्होंने भारत सुरक्षा यात्रा भी की जिसमें आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद की समस्या से परेशान कई राज्यों, जिलों और जगहों के दौरे शामिल थे। उन्होंने महंगाई, किसानों के मुद्दों और यूपीए सरकार की कई नीतियों पर प्रहार किया।

राजनाथ सिंह की उपलब्धियां

  • वर्ष 1992 में शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने आविष्कार किया और नकल विरोधी अधिनियम पारित करवाया।
  • वर्ष 1998 में जब वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब लोकसभा में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था, जिसमें 58 सीटें और 2 सहयोगी प्राप्त हुए थे।
  • भूतल परिवहन मंत्री के रूप में श्री अटल बिहारी बाजपेयी के स्वप्न परियोजना एनएचडीपी (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना) की शुरुआत की, जिसमें स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम गलियारा को एकीकृत किया गया।
  • भूतल परिवहन मंत्री के रूप में उन्होंने वर्ष 2000 में यूरो II उत्सर्जन मानक का नाम बदलकर भारत स्टेट II कर दिया, जो अब देश के वाहनों में बीएस-3, बीएस-4 आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • जब वे कृषि मंत्री थे, तो उन्होंने पहल की और कृषि ऋण पर ब्याज को 14% – 18% से घटाकर 8% कर दिया, उन्होंने किसान आयोग को मान्यता दी और कृषि आय बीमा योजना शुरू की।
  • उन्होंने किसान आयोग को मान्यता दी है और कृषि आय बीमा योजना शुरू की है।
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संकल्प लिया कि भाजपा शासित राज्यों को किसानों को 1% ब्याज दर पर ऋण देना चाहिए और इसे क्रियान्वित भी किया।
  • भाजपा अध्यक्ष के रूप में उन्हें दक्षिण भारत में पहली भाजपा सरकार बनाने का श्रेय मिला
  • उनके प्रशासन के दौरान भाजपा पार्टी संगठनात्मक ढांचे में महिलाओं को 33% पद देने वाली पहली राजनीतिक पार्टी बन गई।

राजनाथ का राजनीति में प्रमुख बिंदु

  • 1991 में, जब भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पहली बार अपनी सरकार बनाई, तो उन्हें शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वह दो साल के कार्यकाल के लिए मंत्री बने रहे। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के प्रमुख आकर्षण में एंटी-कॉपिंग एक्ट, 1992 शामिल था, जिसने एक गैर-जमानती अपराध की नकल की, विज्ञान ग्रंथों का आधुनिकीकरण किया और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया।
  • अप्रैल 1994 में, उन्हें राज्य सभा (संसद के ऊपरी सदन) में चुना गया और वे उद्योग पर सलाहकार समिति (1994-96), कृषि मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति, व्यवसाय सलाहकार समिति, के साथ शामिल हुए। हाउस कमेटी, और मानव संसाधन विकास समिति। 25 मार्च 1997 को, वह उत्तर प्रदेश में भाजपा की इकाई के अध्यक्ष बने और 1999 में वे भूतल परिवहन के लिए केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने।
  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री( 2000 से 2002 तक): 2000 में, वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 2001 और 2002 में हैदरगढ़ से दो बार विधायक चुने गए। उन्हें राम प्रकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री के रूप में चुना था और राष्ट्रपति शासन में सफल रहे, बाद में मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी।
  • भाजपा अध्यक्ष: राजनाथ सिंह पहली बार 31 दिसंबर, 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। दूसरी बार जनवरी 23, 2013 से जुलाई 09, 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इससे पहले यह उप‍लब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्‍ण आडवाणी के पास ही थी। वहीं 2014 में भाजपा के शानदार जीत के बाद सिंह ने गृह मंत्री का पद संभालने के लिए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से लड़ा था और बाद में उन्हें संसद सदस्य के रूप में चुना गया था। वे 2019 के बाद 2024 के शासनकाल में रक्षा मंत्री के पद पर कार्यरत हैं।

केन्द्रीय गृहमंत्री रहते हुए ये विवाद रहा प्रखर

बात 14 फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पुलिस की कार्रवाई के विरोध के बीच उन्होंने एक विवाद पैदा कर दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि “JNU की घटना” लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद द्वारा समर्थित थी।

मई 2016 में, उन्होंने दावा किया कि दो साल की अवधि में पाकिस्तान से घुसपैठ में 52% की गिरावट आई है। 9 अप्रैल 2017 को, उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के साथ भारत के वीर लॉन्च किया। यह उनके द्वारा शहीदों के परिवार के कल्याण के लिए की गई एक पहल थी।

2024 में एक बार फिर रक्षा मंत्रालय

राजनाथ सिंह (30वें रक्षा मंत्री ) को भाजपा ने 2024 में एक बार फिर से रक्षा मंत्रालय सौंपा है, आपको बता दें कि इससे पहले 2019 में (29वें रक्षा मंत्री )आम चुनाव के जीत के बाद हाई-कमान ने उन्हें गृहमंत्री से रक्षा मंत्री का परभार सौंपा था और गृह मंत्री का पद अमित शाह के दिया।

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