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Loksabha Cabinet News: आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री पद का लिया शपथ, मोदी के करीबी

पीएम मोदी ने अपने प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल का शपथ लिया तो इसी के साथ आगरा के सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल भी काफी चर्चित रहे जिन्होंने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में शपथ लिया है। बता दें कि बघेल का राजनीति का सफर बड़ा रोचक और दिलचस्प रहा है। यूपी पुलिस के एक दरोगा के रूप में तैनात एसपी सिंह को राजनीतिक मैदान पर दिवंगत सपा के नेता मुलायम सिंह ने उतारा था। लेकिन एक बार राजनितिक मैदान पर उतरने के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Cabinet News: आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री पद का लिया शपथ, मोदी के करीबी

पीएम मोदी ने अपने प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल का शपथ लिया तो इसी के साथ आगरा के सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल भी काफी चर्चित रहे जिन्होंने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में शपथ लिया है। बता दें कि बघेल का राजनीति का सफर बड़ा रोचक और दिलचस्प रहा है। यूपी पुलिस के एक दरोगा के रूप में तैनात एसपी सिंह को राजनीतिक मैदान पर दिवंगत सपा के नेता मुलायम सिंह ने उतारा था। लेकिन एक बार राजनितिक मैदान पर उतरने के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सपा से बसपा और बसपा से भाजपा का सफर

सपा से 1998 से 2004 तक विधायक रहे, फिर 2014 में बसपा से होते हुए उन्होंने भाजपा के दामन को थाम लिया। 2014 में भाजपा ने उन्हें फिरोजाबाद संसदीय सीट से सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के खिलाफ प्रत्याशी बनाया। हालांकि चुनाव वे यह चुनाव हार गए। इसके बाद 2017 का चुनाव टूंडला से जीता और यहां से विधायक रहे और फिर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत रहे। योगी सरकार में मंत्री के पद पर आसीन रहते हुए आगरा से 2019 में सांसद चुने गए और पहली बार मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। 2024 में दोबारा टिकट मिला और बडे़ अंतर से चुनाव जीतकर फिर मंत्री बने हैं।

पर राजनीति के क्षेत्र में कामयाबी के साथ उनके साथ हर चुनाव में उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। आइये आपको बताते हैं एसपी सिंह बघेल की पूरी कहानी।

यूपी के औरेया के मूल निवासी हैं बघेल

आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल का पूरा नाम सत्यपाल सिंह बघेल है। इनका जन्म 21 जून 1960 को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा में हुआ। इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में जन्म के समय तैनात थे। पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए, इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश में ही हुई। पढ़ाई के बाद प्रो. एसपी सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए। एसपी सिंह बघेल को भर्ती होने के बाद पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली थी।

मुलायम के संपर्क में आकर चमकी किस्मत

साल 1982-83 में एसपी सिंह बघेल की उत्तर प्रदेश में सब इंस्पेक्टर की नौकरी लगी थी।फिर उन्होंने मुरादाबाद में सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग ली। इसके बाद 31 दिसंबर 1983 को मुरादाबाद में पासिंग आउट परेड हुई। वहीं 16 जनवरी 1984 को बघेल को पहली तैनाती मेरठ में मिली।

बघेल को मेरठ ड्यूटी के दौरान 1988 में तीन महीने की स्पेशल ड्यूटी के लिए लखनऊ भेजा गया जहां उनकी ड्यूटी मुख्यमंत्री मुलायम यादव की सुरक्षा में लगा दी गई। इसके बाद उन्होंने अपने ड्यूटी से इस्तीफा दे दिया और आगरा कॉलेज के प्रोफेसर बन गए। ऐसे में 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनसे राजनीतिक मैदान में आने को पूछा। ऐसे में समय और नजाकत को भांपते हुए प्रो. बघेल मुलायम सिंह यादव के दामन को थाम लिया। बस यहीं से प्रो. बघेल की किस्मत ने पलटा मारा। अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर वो मुलायम सिंह के चेहते बन गए। पहली बार 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान पर उतारा और पहली बार में ही प्रो. बघेल चुनाव जीत गए। इसके बाद वो फिर से 1999 और 2004 में सपा की टिकट पर चुनाव जीते। सपा से सांसद रहने के दौरान उनका पार्टी में उनका मतभेद हो गया।

मतभेद के कारण सपा छोड़कर बसपा का दामन थामा

2010 में उन्होंने सपा को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी। बसपा ने उन्हें 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़ाया, हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद बसपा के सत्ता से दूर होने के बाद एसपी सिंह बघेल ने राजनीतिक माहौल को समझते हुए राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए।

योगी सरकार में मंत्री रहे

Yogi's meeting with officials begins after general elections, accounts taken

भाजपा में 2017 विधानसभा चुनाव में टूंडला सुरक्षित सीट से मैदान में उतारा गया। यहां से चुनाव जीतकर भाजपा विधायक बने। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। जानकार कहते हैं कि इसके बाद भाजपा में उनका कद बढ़ता गया। उन्हें अमित शाह से मजबूत रिश्तों का लाभ भी मिला। कैबिनेट मंत्री रहते हुए 2019 में पीएम मोदी के दूसरी बार चुनाव में जाने से पहले उन्हें आगरा की सुरक्षित सीट पर सीटिंग सांसद रामशंकर कठेरिया की जगह पर टिकट दी गई। 2019 में प्रो. बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की।

रामशंकर कठेरिया पर भारी पड़े एसपी सिंह बघेल

पीएम मोदी के पहले टर्म में आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। दूसरी बार में रामशंकर कठेरिया इटावा से जीतकर संसद पहुंचे थे। ऐसे में दूसरी बार पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में रामशंकर कठेरिया और प्रो. एसपी सिंह बघेल का नाम चर्चा में था। कठेरिया का पलड़ा भारी माना जा रहा था, लेकिन बाजी मारी आगरा सांसद एसपी सिंह बघेल ने। उन्हें केंद्रीय विधि एवं कानून राज्यमंत्री बनाया गया।

राजनीतिक सफर

  • 1998 में पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट से सांसद बने। इसके बाद जलेसर से तीन बार सांसद चुने गए।
  • 2010 में बसपा में आने के बाद उन्हें राज्यसभा में भेजा गया। राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।
  • फिर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। फिरोजाबाद से सपा के अक्षय यादव के विरुद्ध चुनाव लड़ा मगर सफल होने में कामयाब नहीं हो पाए।
  • जुलाई 2015 में भाजपा ने उन्हें भाजपा पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष बना दिया।
  • 2017 में टूंडला विधानसभा सीट से विधायक बने और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
  • 2019 में आगरा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।
  • 2021 में केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए।
  • 2022 में करहल विधानसभा का चुनाव अखिलेश यादव से लड़े और हार गए।
  • 2024 में आगरा लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए।

पारिवारिक जीवन

प्रो. एसपी सिंह बघेल 1985 में दरोगा थे और तब उन्हें मेरठ की टीचर से प्यार हो गया था। इस संदर्भ में वे कहते हैं कि उन दिनों वे यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर था। उनकी पोस्टिंग मेरठ शहर की सरधना तहसील में थी। उनकी वर्किंग ऐसी थी कि उस क्षेत्र के ज्यादातर लोग उन्हें जानते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का महावीर जयंती पर मेरठ में कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में जैन कॉलेज मेरठ के स्कूली बच्चे भी आए थे।

उनके साथ एक शिक्षिका भी थीं, उनका नाम मधु पुरी था। हालांकि तब उनका नाम नहीं पता था। पहली बार उन्हें देखा तो उनकी सादगी बहुत पसंद आई। हमने बात नहीं की लेकिन नजरों ने सब कुछ बयां कर दिया था। बस यहीं से प्रेम कहानी की शुरुआत हुई।

इस आयोजन के बाद वे उनसे मिलने जुलने लगे

आंखों ही आंखों में इकरार होने के बाद धीरे-धीरे मिलना जुलना शुरू हुआ। छह माह बाद ही तय कर लिया कि शादी करेंगे। मगर, मन में एक बात चल रही थी कि जाति को लेकर घरवालों आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन मैंने तय कर लिया था। पुलिस में था तो काफी रिश्ते भी आते थे। घर वाले जब शादी के लिए बोलते थे तो टाल देता था। ऐसे करते हुए लंबा समय निकाल दिया।

कई रिश्तों के मना करने पर जब घरवालों ने कारण पूछा तो साफ-साफ बता दिया कि मैं किसी से प्यार करता हूं। लड़की मेरठ की है, पंजाबी परिवार से है और उससे ही शादी करेंगे। इसके बाद पिताजी थोड़ा नाराज हुए, लेकिन बाद में सभी तैयार हो गए। वहीं, पत्नी के परिवार में किसी को कोई परेशानी नहीं थी। आज मंत्री बनाए गए एसपी सिंह बघेल और मधु बघेल के एक बेटा और एक बेटी है। दोनों डॉक्टर हैं।

जाति को लेकर रहा है विवाद

प्रो. बघेल के साथ एक विवाद जुड़ा है। और ये विवाद उनकी जाति को लेकर है। जब भी चुनाव होते हैं, उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। इस बार भी चुनाव में उनकी जाति को लेकर शिकायत की गई थी । उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए डॉ. आंबेडकर सेवा ट्रस्ट के अनिल सोनी ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी।

सोनी ने मंडलायुक्त से स्क्रूटनी कमेटी बनाए जाने की मांग की । सोनी का कहना है कि एसपी सिंह बघेल ने तीन बार अपनी जातियां बदली हैं। पढ़ाई के दौरान वे ठाकुर जाति के थे। नौकरी पिछड़ी जाति से पाई। अब चुनाव अनुसूचित जाति से लड़ रहे हैं। ये शिकायत पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले जब वो मैनपुरी के करहल से अखिलेश यादव के सामने विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे, तब भी आगरा के अधिवक्ता ने इसकी शिकायत की थी।

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