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जमीनी विवाद में जा रही लोगों की जान, तहसील स्तर पर मामलों को सुलझाने की जरूरत

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुए जमीनी विवाद में 6 लोगों की हत्या का मामला सामने आया है। जमीनी विवाद में धारदार हथियार से काट कर पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की हत्या कर दी गई थी। हत्या के प्रतिशोध में प्रेम यादव के परिवार वालों ने दूसरे पक्ष के 5 सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी। पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत 6 लोगों की मौत हो चुकी है। तो वहीं कुछ दिन पहले जमीनी विवाद की चलते कौशाबी में तीन लोगों की हत्याओं से हड़कंप मच गया था। जमीनी विवाद में पिता, बेटी और दामाद को मौत के घाट उतार दिया था।

By: Desk Team  RNI News Network
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जमीनी विवाद में जा रही लोगों की जान, तहसील स्तर पर मामलों को सुलझाने की जरूरत

लखनऊः उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुए जमीनी विवाद में 6 लोगों की हत्या का मामला सामने आया है। जमीनी विवाद के चलते दो गुटों की आपस में लड़ाई हो गयी। विवाद में धारदार हथियार से काट कर पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की हत्या कर दी गई थी। हत्या के प्रतिशोध में प्रेम यादव के परिवार वालों ने दूसरे पक्ष के 5 सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी। पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत 6 लोगों की मौत हो चुकी है। तो वहीं कुछ दिन पहले जमीनी विवाद की चलते कौशाबी में तीन लोगों की हत्याओं से हड़कंप मच गया था। जमीनी विवाद में पिता, बेटी और दामाद को मौत के घाट उतार दिया गया। उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में जमीनी विवाद के मामले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं या फिर ये कहे ज्यादातर कि हत्याओं के पीछे जमीनी विवाद के मामले सामने आते हैं। जिसमें कहीं न कहीं उपजिलाधिकारी से नीचे के स्तर के अधिकारियों की कमी रहती है। जिसमें तहसीलदार, कानून गो से लेकर लेखपाल तक दोषी होते हैं। वहीं कुछ मामलों में थाना स्तर पर एक पक्षीय कार्रवाई के चलते दूसरा पक्ष बड़ा कदम उठा लेता है।

तहसील स्तर पर जमीनी विवाद सुलझाने की जरूरत

पूरे प्रदेश में लगभग सभी जनपदों के ग्रामीण अंचलों में राजस्व विवाद के मामले खब़रों के रूप में ‘यूपी की बात’ पर आते रहते हैं। जनपदों में देखा गया कि उपजिलाधिकारी स्तर से नीचे के अधिकारी ग्रामीण अंचलों में दोनों पक्षों के आपसी विवाद को न ही सुनते हैं और ना ही कोई रूचि लेकर उसे सुलझाने का प्रयास करते हैं। गांवों में आपसी विवाद होने के कारण यह हिंसक रूप ले लेता है और सामूहिक हत्या और हत्या जैसी घटना घटित हो जाती हैं। अगर उपजिलाधिकारी या अन्य अधिकारी इस राजस्व वादों को गांव में जाकर चौपाल लगाकर सुलझाने का प्रयास करें तो निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है। इसके लिये सरकार को निश्चित रूप से जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी को कड़े निर्देश दिये जाने की आवश्यकता है।

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