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Loksabha Election 2024: नेहरू- गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। ये जगह राजनीति के अलावा अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को जोड़ कर बनाया गया है। शुरुआत में अमेठी का नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: नेहरू- गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। ये जगह राजनीति के अलावा अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को जोड़ कर बनाया गया है। शुरुआत में अमेठी का नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था।

अमेठी संसदीय सीट का इतिहास

नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ कही जाने वाली अमेठी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एक है। वहीं अब तक ज्यादातर इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। हालांकि, कुछ चुनाव ऐसे भी हैं जब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अगले चुनाव में शानदार रणनीति के साथ कांग्रेस ने विपक्षी दलों को मात देकर सीट दोबारा अपने पाले में कर लिया है।

वहीं इस सीट के इतिहास को देखें तो इस संसदीय क्षेत्र में ज्यादाबार कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। यहाँ इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक अमेठी वासियों ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया है। परंतु 2019 में हुए आम चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को उसी के गढ़ में शिकस्त दी थी। स्वतंत्र भारत में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव का गठन हुआ। हालांकि, उस वक्त अमेठी, सुल्तानपुर दक्षिणी लोकसभा सीट का ही हिस्सा माना जाता था, जहां से कांग्रेस बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर सांसद के रूप में खड़े हुए थे। साल 1957 में यह क्षेत्र मुसाफिरखाना लोकसभा सीट का हिस्सा बना पर केशकर तब भी यहां के सांसद बने रहे।

1962 के लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह मुसाफिरखाना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट से सासंद बने। 1967 के आमचुनाव में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। इस नई सीट पर कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी सांसद के रूप में कार्यरत हुए। उस समय उन्होंने बीजेपी के गोकुल प्रसाद पाठक को 3,665 वोटों के अंतर से हराया था। इसके बाद 1971 में विद्याधर वाजपेयी दोबारा अमेठी के सांसद बने।

1977 में इमरजेंसी लगने के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने राजा रणंजय सिंह के बेटे संजय सिंह को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया। लेकिन तब वे जनता पार्टी से चुनाव हार गए और भारतीय लोकदल के रविंद्र प्रताप सिंह सांसद के रूप में चुने गए। ये पहली बार था जब कांग्रेस को इस संसदीय सीट से हार का मुह देखना पड़ा था। लेकिन 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से अपने जीत का परचम लहराया और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी यहां के सांसद चुने गए।

इसके बाद 23 जून,1980 में संजय गांधी की मृत्यु के बाद 1981 के उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी ने अमेठी के राजनीति को अपने हाथ में ले लिया। फिर 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी एक बार फिर अमेठी के प्रत्याशी चुने गए। इस समय उन्होंने जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह को 1,278,545 वोटों के अंतर से मात दिया था और 1989,1991 के आम चुनावों में राजीव गांधी एक बार फिर अमेठी से कांग्रेस के इस सीट से जीत हासिल की।

तमिलनाडू में राजीव गांधी की कर दी हत्या

1991 के लोकसभा चुनावों के समय 20 मई को पहले चरण की वोटिंग हुई और 21 मई को राजीव गांधी प्रचार के लिए तमिलनाडू गए हुए थे। इस दौरान ही उनकी हत्या कर दी गयी। ऐसे में 1991 और 1996 में अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जहां कांग्रेस के सतीश शर्मा सांसद बने। हालांकि, 1998 में कांग्रेस को दूसरी बार हार का स्वाद चखना पड़ा जब भाजपा प्रत्याशी संजय सिंह ने सतीश शर्मा को 23,270 वोटों से मात दिया था।

लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी सीट का परिणाम

पार्टी का नाम- भाजपा
प्रत्याशी का नाम- स्मृति ईरानी
कुल वोट- 4,68,514
वोट प्रतिशत- 49.92 फीसद

पार्टी का नाम- कांग्रेस
प्रत्याशी का नाम- राहुल गांधी
कुल वोट- 413,394
वोट प्रतिशत- 44.05 फीसद

पार्टी का नाम- निर्दलीय
प्रत्याशी का नाम- धुर्व लाल
कुल वोट- 7,816
वोट प्रतिशत- 0.83 फीसद

इस बार इस सीट से किसको टिकट मिल रहा है

लोकसभा 2024 के आम चुनाव में भाजपा ने स्मृति ईरानी को फिर से प्रत्याशी के रूप में उतारा है। वहीं लोकसभा के इस सीट से राहुल गांधी के लड़ने से इंकार करने पर कांग्रेस में फिर से खींचातान की स्थित बन गई है। अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों के बारे में भी अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है।

स्मृति ईरानी के बारे में

स्मृति जुबिन मल्होत्रा ने 2000 के दशक की शुरुआत में ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ धारावाहिक में ‘तुलसी’ का किरदार निभाया था और वहां से वो लोकप्रिय हो गईं। वे उन गिने-चुने कलाकारों में शामिल हैं जिन्होंने अपनी टीवी स्क्रीन के लोकप्रियता को राजनैतिक सफलता में बदल दिया।

उनका जन्म 23 मार्च 1976 को अजय कुमार मल्होत्रा और शिबानी बागची के घर हुआ था। स्मृति की स्कूली शिक्षा होली चाइल्ड ऑक्जीलियम स्कूल, नई दिल्ली से संपन्न हुई थी, इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से पूरी की। साल 2001 में उन्होंने पारसी बिजनेसमैन जुबिन ईरानी से शादी के बंधन में बध गई। इनके दो बच्चे, बेटा जोहर और बेटी जोइश हैं।

स्मृति ईरानी 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य बनीं। उन्हें बीजेपी यूथ विंग का अध्यक्ष बनाया गया। स्मृति 2010 में राष्ट्रीय सचिव के पद पर आसीन हुई और भाजपा की महिला शाखा की अगुवा बनी। वे 2011 में गुजरात से राज्य सभा के लिए चुनकर संसद सदस्य बनीं। वहीं ईरानी ने 2014 आम चुनाव में राहुल गांधी के पारंपरिक चुनाव क्षेत्र अमेठी से उनके खिलाफ चुनाव लड़ा, वह चुनाव हार गईं, लेकिन इसने उन्हें भारतीय राजनीति का एक अहम चेहरा बना दिया।

अमेठी के बारे में खास जानकारी

जनपद अमेठी का गठन 01 जुलाई 2010 को हुआ और इसका मुख्यालय गौरीगंज में स्थित है। जनपद के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की बात करें तो यह 3063.78 वर्ग किमी0 है, जिसमें पुरूष / स्त्री का अनुपात 1000 / 973 एवं साक्षरता का अनुपात 772.99 / 510.80 है। यह जिला उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में अयोध्या मंडल का एक हिस्सा है। यह 2,329.11 किमी 2 के क्षेत्र को कवर करता है। गौरीगंज जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह 1980 से भारतीय नेहरू-गांधी राजनीतिक राजवंश की शक्ति का केंद्र होने के कारण बेहतर जाना जाता है।

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