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श्रीराम के ये 5 मंदिर जिनका इतिहास है हजारों साल से भी पुराना

22 जनवरी 2024 को अयोध्या मंदिर में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा का बाद विराजमान होंगे। उनके प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बीते 16 जनवरी से शुरू हो गया है और आज इस कार्यक्रम का 5वां दिन है और आज 81 कलशों के जल से मंदिर के गर्भगृह को पवित्र किया जाएगा। आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे पांच मंदिर जो अयोध्या, चित्रकूट, नासिक और जानकी मंदिर के अलावा, जिनका इतिहास सदियों पुराना है।

By: Desk Team  RNI News Network
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श्रीराम के ये 5 मंदिर जिनका इतिहास है हजारों साल से भी पुराना

22 जनवरी 2024 को अयोध्या मंदिर में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा का बाद विराजमान होंगे। उनके प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बीते 16 जनवरी से शुरू हो गया है और आज इस कार्यक्रम का 5वां दिन है और आज 81 कलशों के जल से मंदिर के गर्भगृह को पवित्र किया जाएगा। आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे पांच मंदिर जो अयोध्या, चित्रकूट, नासिक और जानकी मंदिर के अलावा, जिनका इतिहास सदियों पुराना है।

 

बता दें कि भगवान राम अपने जीवन काल के दौरान जिन स्थानों से गुजरे फिर चाहे वनवास का समय, राजा बनने के पहले या बाद में, वहां मंदिर या कोई स्मारक उनकी धरोहर के रूप में स्थित है।

 

ऐसे ही 5 मंदिर हैं जो रामायण और महाभारत काल से जुड़े हुए हैं और भगवान राम के सबसे पुराने मंदिरों में इनकी गिनती की जाती है। आइए इनके बारे में जानते हैं…

 

त्रिप्रायर राम मंदिर

 

त्रिप्रायर का राम मंदिर केरल के त्रिशूर जिले में करुवन्नूर नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर करीब 1100 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की खास बात करें तो यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ी है ऐसी मान्यता है। अभी जो मंदिर का स्ट्रक्चर है वो 11वीं और 12वीं शताब्दी का है।

त्रिप्रायर राम मंदिर

ऐसा माना जाता है कि यहां राम मूर्ति की पूजा भगवान श्रीकृष्ण ने भी की है। इस मंदिर आपको प्राचीन मूर्तियां और लकड़ी की शानदार कारीगरी दिखाई देगी। वहीं इस मंदिर में एकादशी उत्सव खासतौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की ये मूर्तियां समुद्र से मिली थीं और जिसके बाद इन्हें मंदिर बनाकर स्थापित किया गया था।

 

कालाराम मंदिर

 

कालाराम मंदिर महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी क्षेत्र में स्थित है। वहीं ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 220 सालों से ज्यादा पुराना है। इस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर 1788 के आसपास बनकर तैयार हुआ था। मंदिर में श्रीराम की करीब 2 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। जिसका रंग काला है, इसलिए इस मंदिर का नाम कालाराम मंदिर पड़ा है।

कालाराम मंदिर

रामायण काल में वनवास के समय श्रीराम, लक्ष्मण और सीता नासिक के पंचवटी में गोदावरी नदी के किनारे ठहरे थे। पंचवटी से ही देवी सीता माता को रावण ने हरण किया था। माना जाता है कि सरदार रंगारू को सपने में दिखा था कि राम जी की एक काली मूर्ति गोदावरी नदी में है। अगले दिन मूर्ति की खोज की और जब उन्हें ये मूर्ति मिली तो उन्होंने इस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवाया था।

 

रामटेक मंदिर

 

रामटेक मंदिर भी महाराष्ट्र के नागपुर से करीब 55 किमी दूरी पर स्थित है। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की मान्यता ये है कि वनवास के समय श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता नागपुर से करीब 55 किमी दूर कुछ महीनों के लिए ठहरे थे।

ऐसा माना जाता है कि यही अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को ब्रह्मास्त्र का ज्ञान दिया था। वैसे तो मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन वर्तमान मंदिर 18वीं शताब्दी में मराठा राजा रघुजी भोंसले द्वारा निर्मित करवाया गया था।

 

रामास्वामी मंदिर

 

रामास्वामी मंदिर, तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में कावेरी नदी के किनारे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। इस मंदिर की खास बात ये है कि श्रीराम प्रभु के सबसे सुंदर मंदिरों में से ये एक माना जाता है। मंदिर में रामायण काल से जुड़ी घटनाओं की नक्काशी की हुई है।

रामास्वामी मंदिर

रामास्वामी मंदिर

 

ये एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ भरत-शत्रुघ्न की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर विशाल दक्षिण भारतीय शैली का गोपुरम बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में किया गया था।

 

सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर

 

सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर तेलंगाना के भद्राचलम क्षेत्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर करीब 340 वर्ष पुराना बताया जाता है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि जब भगवान राम को वनवास मिला था तो माता सीता के पंचवती से हरण होने के बाद राम-लक्ष्मण, सीता की खोज में निकल थे तो गोदावरी नदी पार करके इसी स्थान पर आए थे और कुछ दूरी पर कुटिया बनाकर रहे थे।

सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर

सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर

मंदिर में श्रीराम की मूर्ति में साफ-साफ दिखता है कि उनके हाथ में धनुष-बाण शोभित है। ऐसा माना जाता है कि 1685 के आसपास इस मंदिर को कंचली गोपन्ना नाम के व्यक्ति द्वारा बनवाया गया था।

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