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Loksabha Election 2024: मायावती के अगले कदम को लेकर देवरिया में टिकी राजनेताओं की निगाहें, पार्टियों का बदल सकता है समीकरण

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की देवरिया सीट पर पिछले दो बार के आम चुनावों में भाजपा का कब्जा रहा है, पर भाजपा ने 2024 के आम चुनाव में इस सीट से उम्मीदवार को बदलते हुए स्थानीय नेता को टिकट दिया है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: मायावती के अगले कदम को लेकर देवरिया में टिकी राजनेताओं की निगाहें, पार्टियों का बदल सकता है समीकरण

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के देवरिया लोकसभा सीट पर सातवें चरण के अंतर्गत 1 जून को वोटिंग है। पर, इस क्षेत्र में पहले चरण के पहले ही सियासी पारा आसमान छू रहा है। बीते तीन आम चुनाव में इस सीट से बाहरी उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं लेकिन इस बार जनता बाहरी लोगों से असहज महसूस कर रही है जिसको भांपते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही पूर्व लोकप्रिय सांसद, श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि को टिकट दे दिया है, जबकि कांग्रेस से अखिलेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी के रूप में राजनीतिक मैदान में उतारा गया है।

इस संसदीय सीट पर भाजपा का दो बार से रहा है कब्जा

देवरिया संसदीय सीट पर पिछले दो आम चुनावों से लगातार भाजपा ने अपना परचम फहराया है। आपको बता दें कि 2009 में इस सीट से बसपा से रहे प्रत्यासी गोरख जायसवाल चुनाव में विजयी हुए थे। पर वे बाहरी राजनेता थे ऐसे में उनका आम लोगों से मिलाप बहुत कम या कहें न के बराबर था जिससे जनता बहुत नाराज हो गयी थी।

देवरिया सीट का सियासी रंग

पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी भी बाहरी थे, जिसका एहसास जल्द ही भाजपा को हो गया था। जिसके बाद यहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बाहरी प्रत्याशी के खिलाफ अपने अभियान को धार देकर शुरू कर दिया गया। BJP संगठन को इसका एहसास बहुत जल्द हो गया था जिसको देखते हुए बीजेपी ने आम चुनाव 2024 में पूर्व लोकप्रिय सांसद रहे श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि को टिकट दे दिया जो स्थानीय होने के साथ युवा संगठन पर पकड़ भी रखते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इनका राजनीति में हाथ थोड़ा तंगा है और ये पिता के नाम पर इस चुनाव को लड़ रहे हैं।

गठबंधन में यह सीट कांग्रेस पार्टी के पाले में

वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत देवरिया सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को मैदान में राजनीतिक जंग के लिए उतारा है। लेकिन, जमीनी स्तर पर इस संसदीय सीट से न तो कांग्रेस का संगठन है और न ही कार्यकर्ता की व्यवस्था है। ऐसे में वोटर्स बासपा के उम्मीदवार का इंतेजार कर रहे हैं ताकि वे समझ सकें कि उनके लिए कौन सही है। दूसरी ओर यहां सपा की स्थित बहुत मजबूत स्थिति है। लेकिन, यहां पार्टी का प्रत्याशी न होने के कारण परेशानी हो सकती है, हालांकि सपा ने कहा कि उनके समाज के लोग गठबंधन धर्म निभाने का तैयार हैं और उसे पूरा करके दिखाएंगे।

लोगों का माना कि यदि इन्हें बनाते प्रत्याशी तो पार्टी को होता लाभ

कई राजनीतिक सलाहकारों का यह मानना है कि कांग्रेस को यहां से अजय कुमार लल्लू या फिर ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाते तो यहां का चुनावी रोमांच अलग ही रहता। क्योंकि अल्पसंख्यक वर्ग अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर कोई निर्णय तक नहीं पहुंच पाए हैं ऐसे में वोटर्स बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के घोषणा का इंतेजार कर रहे हैं।

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