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Loksabha Election 2024: चंद्रकांता के शहर में इस बार किसके खाते में जीत?

रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों के बीच छोटे नागपुर पठार पर स्थित है। आस-पास के क्षेत्रों में बहुतायत में मिलने वाली गुफाओं के भित्ति-चित्र और चट्टानों पर की गई चित्रकारी से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि ये क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही मानव की गतिविधियों का केंद्र रहा है। 5वीं शताब्दी में कोल राजाओं द्वारा जमीनी स्तर से 400 फीट की ऊंचाई पर निर्मित यह किला अपने शिलालेखों, गुफा चित्रों, कई मूर्तियों और बारहमासी तालाबों के लिए जाना जाता है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: चंद्रकांता के शहर में इस बार किसके खाते में जीत?

रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों के बीच छोटे नागपुर पठार पर स्थित है। आस-पास के क्षेत्रों में बहुतायत में मिलने वाली गुफाओं के भित्ति-चित्र और चट्टानों पर की गई चित्रकारी से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि ये क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही मानव की गतिविधियों का केंद्र रहा है। 5वीं शताब्दी में कोल राजाओं द्वारा जमीनी स्तर से 400 फीट की ऊंचाई पर निर्मित यह किला अपने शिलालेखों, गुफा चित्रों, कई मूर्तियों और बारहमासी तालाबों के लिए जाना जाता है।

रॉबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र का इतिहास

रॉबर्ट्सगंज, उत्तर प्रदेश का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है और सोनभद्र इस जिले का मुख्यालय है। सोन, कर्मनाशा, चंद्रप्रभा, रिहंद, रेणू, घग्गर नदियां इसके ग्रामीण इलाकों से होकर निकलती हैं। वहीं इस शहर का नामकरण ब्रिटिश-राज में अंग्रेजी सेना के फिल्ड मार्शल फ्रेडरिक रॉबर्ट के नाम रखा गया था। देवकीनंदन खत्री के सुप्रसिद्ध उपन्यास चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति के कथा की पृष्ठभूमि विजयगढ़ ही है। विजयगढ़ का किला, सोढरीगढ़ का किला, वीर लोरिक का पत्थर, सलखन, जीवाश्म पार्क, नगवा बांध, लखनिया दरी, रिहंद बांध, अगोरी दुर्ग, रेनुकूट रेडूकेश्ववर मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में आते हैं।

उत्तर प्रदेश की रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट रोचकता से भरे संयोगों से घिरी हुई है। यहां से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों के नाम में ‘राम’ या ‘लाल’ जरूर होता है। इस बात को प्रमाणित स्वयं रॉबर्ट्सगंज लोकसभा का इतिहास करता है। वहीं रॉबर्ट्सगंज लोकसभा से बने सांसद अपना दल (सोनेलाल) के पकौड़ी लाल कोल हैं। 2019 में उन्हें बीजेपी-अपना दल (सोनेलाल) गठबंधन के उम्मीदवार बनाया गया था। तब उन्होंने सपा-बसपा के गठबंधन हराकर अपने पाले में सीट को किया था। बता दें कि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जबकि आदिवासी बहुल जिला होने के कारण नक्सलवाद बड़ी समस्या है। रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत घोरावल, रॉबर्ट्सगंज, ओबरा (SC), दुद्धी (SC) और चकिया (SC), यहां की 5 विधानसभाएं है।

कब कौन जीता

इस लोकसभा सीट पर 1962 में कांग्रेस के टिकट पर राम स्वरूप पहली बार सांसद बने थे। स्वरुप ने 1967 और 1971 के आम चुनावों में भी कांग्रेस के ही टिकट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। लेकिन, 1977 में राबर्ट्सगंज में भी जनता पार्टी की लहर को न रोक सके और जनता पार्टी के उम्मीदवार शिव संपत्ति राम ने यहां से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की।

  • 1980 और 1984 के आम चुनाव में कांग्रेस के राम प्यारे पानिका को जीत मिली।
  • 1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट पहली बार भाजपा के पास आई। भाजपा के टिकट पर सूबेदार प्रसाद ने जीत दर्ज की थी। लेकिन, भाजपा के पास यह सीट ज्यादा समय तक तिक नहीं पाई। 1991 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार दोबारा जनता पार्टी के पास चली गई और प्रत्याशी राम निहोर राय को चुनाव में सफलता मिली।
  • वर्ष 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में यह सीट भाजपा के पाले में रही और भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी राम शकल तीन बार यहां से सांसद बने।
  • इस सीट पर वर्ष 2004 में बसपा को कामयाबी मिली बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लाल चंद्र कोल को जीत मिली थी।
  • 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट का इतिहास एक फिर बदला और पहली बार समाजवादी पार्टी के अपना परचम लहराया। समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर पकौड़ी लाल ने पहली बार चुनाव जीता।
  • 2014 में मोदी लहर के दौरान इस सीट का समीकरण बदला और भाजपा के प्रत्याशी छोटेलाल को जीत मिली।

2019 में इस सीट से कौन जीता

2019 में इस सीट से भाजपा ने अपना दल सोनेलाल के पकौड़ी लाल कोल को इस सीट से उतारा था। जहाँ उन्हें कुल 447914 वोट मिले जो कि कुल वोटों का 57 फीसद है। वहीं निकटतम प्रतिद्वंद्वी के रूप में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार भाई लाल को 393578 वोट मिले और कांग्रेस के भगवती प्रसाद चौधरी को 35,269 वोट मिले थे।

2024 में कौन-कौन हैं इस सीट से प्रत्याशी

फिलहाल इस सीट से अभी किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है। जहां पिछली बार इस सीट से भाजपा और अपना दल(अजा) के पकौड़ी लाल ने जीत दर्ज की थी वहीं इस बार रूबी प्रसाद के यहां से प्रत्याशी बनने के चांसेज ज्यादा दिख रहे हैं।

पकौड़ी लाल के बारे में

पकौड़ी लाल कोल( 02 जुलाई 1952) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो उत्तर प्रदेश की एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) से संबद्ध हैं। वह भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा में रॉबर्ट्सगंज निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य (सांसद) रहे हैं। 2009 में इन्होंने राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट से चुनाव जीता था। उस वक्‍त वे समाजवादी पार्टी में थे। सबसे पहले पकौड़ी लाल को 1998 में ही समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट देने का आश्वासन दिया था लेकिन बाद में टिकट भगवती चौधरी को दे दिया। पकौड़ी लाल कोल चुनाव की तैयारी कर चुके थे इसलिए वह अपना दल से चुनाव में उतर आए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

2002 में पकौड़ी लाल कोल ने बसपा की टिकट से मिर्जापुर के छानबे विधान सभा सीट से जीत दर्ज की थी। 2004 में हुए लोक सभा मध्यावधि चुनाव में बसपा ने पकौड़ी लाल कोल को टिकट देने का वादा किया लेकिन बाद में मुकर गई। इससे नाराज पकौड़ी कोल नौ मार्च 2004 को फिर से समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें सपा ने प्रत्याशी बनाया और उन्होंने बसपा के रामचंद्र त्यागी को करीब 53 हजार मतों से शिकस्त देकर सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं पकौड़ी लाल कोल 2014 में लोक सभा में सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, जिसमें वे तीसरे स्थान पर रहे।

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