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Loksabha Election 2024: भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित मथुरा संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

मथुरा उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यह आगरा के उत्तर में लगभग 50 किलोमीटर (31 मील) और दिल्ली से 145 किलोमीटर (90 मील) दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है; ये वृंदावन शहर से लगभग 11 किलोमीटर (6.8 मील), और गोवर्धन पर्वत से 22 किलोमीटर (14 मील) के दूरी पर है और मथुरा जिले का प्रशासनिक केंद्र भी है। प्राचीन काल में मथुरा एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में माना जाता था।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित मथुरा संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

मथुरा उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यह आगरा के उत्तर में लगभग 50 किलोमीटर (31 मील) और दिल्ली से 145 किलोमीटर (90 मील) दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है; ये वृंदावन शहर से लगभग 11 किलोमीटर (6.8 मील), और गोवर्धन पर्वत से 22 किलोमीटर (14 मील) के दूरी पर है और मथुरा जिले का प्रशासनिक केंद्र भी है। प्राचीन काल में मथुरा एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में माना जाता था।

वहीं हिंदू शास्त्रों के मुताबिक मथुरा और बृज-भूमि के केंद्र पर भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है, जिसे श्रीकृष्ण जन्म-भूमि भी कहा जाता है। केशव देव मंदिर कृष्ण के पौराणिक जन्मस्थान (भूमिगत जेल) की जगह पर प्राचीन काल में निर्मित हुआ था। वहीं महाभारत और भागवत पुराण महाकाव्यों के अनसार, मथुरा सुरसना साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिसपर शासन श्री कृष्ण के मामा कंस ने किया था। इस क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 5 सीटें सम्मिलित हैं, जिनमें मंत, गोवर्धन, छाता, बलदेव व मथुरा शामिल हैं।

मथुरा का संसदीय इतिहास

अगर इस निर्वाचन क्षेत्र के इतिहास को देखें तो यहां सबसे पहला चुनाव 1952 में संपन्न हुआ था। 1952-62 तक यह सीट निर्दलीय उम्मीदवारों के हाथ में रही थी। यहां पर 1962 से 1977 तक कांग्रेस का वर्चस्व बना रहा। परंतु, यह सीट लोकदल, जनता पार्टी व जनता दल जैसी पार्टियों के खाते में भी रही है। इसके बाद 1991 से 2004 तक यहां भाजपा ने चुनाव जीता। उसके बाद 2004 से 2009 तक यहां कांग्रेस पार्टी दोबारा शासन में रही, लेकिन 2009 के बाद रालोद ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया।

यहां से अभिनेत्री हेमा मालिनी 1999 में पहली बार भाजपा में शामिल हुई थीं, लेकिन वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 2004 में पार्टी से जुड़ी थी। हालांकि, उन्हें लोकसभा में पहली बार 2014 में इस सीट से विजय मिली थी।

2014 में यहां का क्या रहा परिणाम

2014 में भी जाट और मुस्लिम वोटरों के अलग-अलग होने का नुकसान रालोद को भारी पड़ा था। वहीं 2014 में चली मोदी लहर के दौरान अभिनेत्री हेमा मालिनी ने बीजेपी के टिकट पर 50 फीसदी से अधिक वोट प्राप्त करके अपने जीत को सुनिश्चित किया था। जबकि आरएलडी के जयन्त चौधरी 2,43,890 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर बने रहे और बसपा के पं. योगेश कुमार द्विवेदी 1,73,572 वोटों के साथ यहां तीसरे स्थान पर थे।

2019 में यहां का क्या रहा परिणाम

मथुरा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से हेमा मालिनी मैदान में थीं तो उनको चुनौती देने के लिए इस सीट से 12 अन्य उम्मीदवार मैदान में उतरे हुए थे। इसी के साथ कांग्रेस ने महेश पाठक को, राष्ट्रीय लोक दल ने कुंवर नरेंद्र सिंह को, स्वतंत्र जनताराज पार्टी ने ओम प्रकाश को मैदान में उतारा था। फिर भी 2019 के आम चुनाव में इस सीट से बीजेपी की हेमा मालिनी ने जीत हासिल की, उन्हें यहां 6,71,293 वोट प्राप्त हुए थे। जबकि आरएलडी के कुंवर नरेन्द्र सिंह 3,77,822 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस के महेश पाठक 28,084 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे।

2024 में कौन-कौन है यहां से उम्मीदवार

  • भाजपा प्लस प्रत्याशी से हेमा मालिनी
  • सपा प्लस गठबंधन से फिलहाल अभी किसी प्रत्याशी को मैदान पर नहीं उतारा है।
  • बसपा की तरफ से कमलकांत उपमन्यु को मैदान में उतारा गया है।

हेमा मालिनी के बारे में

हेमा मालिनी का जन्म तमिलियन परिवार में 16 अक्टूबर 1948 को अम्मनकुडी तमिलनाडु राज्य में हुआ था। उनके पिता का नाम वीएसआर चक्रवर्ती है और उनकी माँ का नाम जया चक्रवर्ती है जोकि एक फिल्म निर्माता भी रही थीं। हेमा मालिनी बालीवुड की उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौन्दर्य और अभिनय का अनूठा संगम है।

लगभग चार दशक के कैरियर में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में भी काम किया लेकिन कैरियर के शुरुआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पड़ा था जब एक निर्माता-निर्देशक ने उन्हें यह कह दिया था कि उनमें स्टार जैसी कोई बात नहीं है।

1999 में, मालिनी ने पंजाब के गुरदासपुर में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार, पूर्व बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना के लिए प्रचार किया था। फरवरी 2004 में, मालिनी आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गईं। 2003 से 2009 तक, उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा मनोनीत होने पर उच्च सदन – राज्यसभा में सांसद के रूप में भी कार्य किया।

मार्च 2010 में, मालिनी को भाजपा का महासचिव घोषित किया गया और फरवरी 2011 में, पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने उनकी सिफारिश की। इसके बाद उन्होंने 2014 में मथुरा से भाजपा की ओर से संसदीय चुनाव लड़ा और 2024 में ये तीसरी बार यहां से प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

क्या है यहां का जातीय समीकरण

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आने वाली मथुरा सीट पर जाट बिरादरी और मुस्लिम वोटर्स का अच्छा खासा दबदबा है। यहां के जातीय वोट को देखें तो 2019 के समय यहां पर सबसे अधिक जाट वोटर्स थे जिनकी संख्या करीब सवा 3 लाख थी। इनके अलावा ब्राह्मण बिरादरी के वोटर्स (पौने 3 लाख) के करीब थी। इस सीट पर वैश्य और यादव बिरादरी के भी वोटर्स अहम भूमिका निभाते हैं।

मथुरा में क्या प्रसिद्ध है?

मथुरा श्रीकृष्ण की नगरी है और ये एक धार्मिक शहर है, क्योंकि यहीं पर ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि बांके बीहारी का दर्शन करने के लिए यहां हर साल लाखों लोगों की भीड़ पहुंचती है। वहीं इस शहर में राधे और कृष्ण का मंदिर खूब फेमस हैं।

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