महेंद्रनाथ पांडे, जिन्होंने 16 साल के अंतराल के बाद 2014 में भाजपा के लिए जीत हासिल की और 2019 में अपनी जीत का अंतर बढ़ाया, उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से है, जो अपनी राजनीतिक पारी के लिए जाने जाते हैं।
महेंद्रनाथ पांडे, जिन्होंने 16 साल के अंतराल के बाद 2014 में भाजपा के लिए जीत हासिल की और 2019 में अपनी जीत का अंतर बढ़ाया, उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से है, जो अपनी राजनीतिक पारी के लिए जाने जाते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध जिलों में से एक मिर्जापुर की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा 17 वीं शाताब्दी में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि 1735 ईस्वी में जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार भारत में तेजी से बड़ने लगा था, तब उन्हें इस रास्ते के बीच में एक व्यापार केंद्र बनाने की आवश्यकता मालूम हुई ऐसे में अंग्रेजी अफसरों ने गंगा के किनारे वाले क्षेत्रों का अध्ययन
भदोही संसदीय सीट के अंतर्गत प्रयागराज की दो विधानसभा सीटें हंडिया और प्रतापपुर इसके क्षेत्र में आती हैं। यह क्षेत्र बाहुबली विधायक और सपा के नेता विजय मिश्रा के कारण भी चर्चित रही है। भदोही अपने कालीन करोबार के लिए भी प्रसिद्ध है।
रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों के बीच छोटे नागपुर पठार पर स्थित है। आस-पास के क्षेत्रों में बहुतायत में मिलने वाली गुफाओं के भित्ति-चित्र और चट्टानों पर की गई चित्रकारी से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि ये क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही मानव की गतिविधियों का केंद्र रहा है। 5वीं शताब्दी में कोल राजाओं द्वारा जमीनी स्तर से 400 फीट की ऊंचाई पर निर्मित यह
भारत में चुनाव एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में दुनिया के सबसे पुराने शहर और यहां से नरेंद्र मोदी का प्रत्याशी के रूप में(2014,2019 और 2019) उतरने से इस सीट पर सभी कि निगाहें जाना स्वभाविक है। बनारस के इस सीट पर सन 2009 से ही भगवा रंग का परचम फहरा रहा है। वहीं 2014 में यहां से गुजरात के वडोदरा सीट के साथ मोदी ने
प्रतापगढ़ की स्थापना वर्ष 1858 में हुई और इसका मुख्यालय बेल्हा प्रतापगढ़ रखा गया है। वहीं प्रतापगढ़ तीर्थराज प्रयाग के निकट पतित पावनी गंगा नदी के किनारे बसा होने के कारण इसे एक एतिहासिक जिला एवं धार्मिक दृष्टि से काफी महत्तवपूर्ण माना गया है और उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण तथा महाभारत के कई महत्तवपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।
मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर, वाराणसी से 58 किलोमीटर और प्रयागराज से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा हुआ जनपद है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था। जिसका प्राचीन नाम 'यवनपुर' भी लोग बताते हैं।
अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। ये जगह राजनीति के अलावा अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को जोड़ कर बनाया गया है। शुरुआत में अमेठी का नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था।
सुल्तानपुर जिला गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है तथा यह फ़ैज़ाबाद प्रशासनिक मंडल का एक भाग है । यह क्षेत्र शताब्दियों तक उत्तर भारतीय राज्यों का भाग रहा है। इस जनपद का लिखित इतिहास ब्रिटिश काल से उपलब्ध है । यह जनपद हिन्दू व बुद्ध संस्कृति का भी एक केंद्र रहा है ।
मुगल काल में राजधानी रहा आगरा और यहां बना ताजमहल विश्व विख्यात है। वहीं आजादी से लेकर आपातकाल तक कांग्रेस का ही राज रहा है। बता दें कि वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी शंभुनाथ चतुर्वेदी ने कांग्रेस के नेता सेठ अचल सिंह को हराया था। उसके बाद हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सांसद सेठ अचल सिंह के पुत्र निहाल सिंह जैन ने कांग्रेस
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी रोटियां सेंकना शुरू कर दिया है। सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों के चयन के लिए मंथन कर रहे हैं और अलग-अलग सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। जबकि कुछ सीटों पर अभी ऐलान होना बाकी है। इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां जोरदार मुकाबला देखने को मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है गोरखपुर लोकसभा सीट जिसे भारतीय जनता पार्टी की महत्वपूर्ण सीटों में एक माना जाता है। इस बार इस सीट पर सातवें और अंतिम चरण में वोट डाले जाएंगे। वहीं बीजेपी ने एक बार फिर से सीटिंग सांसद रवि किशन को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा ने काजल निषाद को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है।
लोकसभा चुनाव का शंखनाथ हो चुका है इसी के साथ राजनीतिक उठापटक और सरगर्मी भी तेज हो गई है। कुछ लोग भाजपा के साथ जा रहे हैं तो कुछ राजनेता दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं। बता दें कि प्रयागराज में अब तक भाजपा ने फूलपुर और इलाहाबाद संसदीय सीट से उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित किया है।
आज हम बात करेंगे उन्नाव संसदीय क्षेत्र की। जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फायरब्रांड नेता साक्षी महाराज पर फिर से भरोसा जताया हैं। बीजेपी ने लगातार तीसरी बार यहां से साक्षी महाराज को टिकट दिया है। अगर साक्षी महाराज इस चुनाव को जीत जाते हैं कि वो इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले दूसरे नेता होंगे।
भारत के आजादी के बाद और 1952 के आम चुनाव से पहले फूलपुर सीट इलाहाबाद ईस्ट कम जौनपुर वेस्ट के नाम से जानी जाती थी। यहां से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1952 में चुनाव लड़ा था और वे 1957 और 1962 में भी इस सीट से जीते थे। उनके मृत्यु के बाद 1964 के उपचुनाव में उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित इस सीट से विजयी