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Lucknow: “जिसकी जितनी आबादी, उसे उतना आरक्षण” – अखिलेश यादव

छत्तीसगढ़ में अखिलेश यादव ने कहा कि आरक्षण उसी आधार पर होना चाहिए जिसकी जितनी आबादी है। बिहार चुनाव से पहले यह बयान राजनीतिक हलचल पैदा कर रहा है। सपा प्रमुख ने निजीकरण और केंद्र सरकार की नीतियों पर भी साधा निशाना।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Lucknow: “जिसकी जितनी आबादी, उसे उतना आरक्षण” – अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार चुनाव में दूसरे चरण के मतदान से पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बड़ा बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है।

अखिलेश ने आरक्षण और जातीय जनगणना को लेकर खुलकर अपनी राय रखते हुए कहा कि — “आरक्षण उसी आधार पर होना चाहिए, जिसकी जितनी आबादी है।” उनका यह बयान न सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति में नया समीकरण बना सकता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक न्याय की बहस को भी तेज कर सकता है।

अखिलेश यादव की मांग — “जाति की गिनती जरूरी”

छत्तीसगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा कि आज देश का हर वर्ग अपनी पहचान और जनसंख्या के अनुपात में अधिकार चाहता है। “हर जाति चाहती है कि उसकी गिनती हो, ताकि उसे उसके हिस्से का अधिकार मिल सके। मैं जातीय जनगणना और जातीय आरक्षण का पक्षधर हूं।” उन्होंने कहा कि बीजेपी भी अब दबी जुबान में जातीय जनगणना की बात करने लगी है, लेकिन खुलकर इस पर निर्णय नहीं ले रही। “जब साउथ के राज्यों में यह नैरेटिव टूट चुका है, तो उत्तर भारत में भी इस पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।”

बिहार चुनाव से पहले बढ़ी सियासी गर्मी

अखिलेश यादव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होने वाला है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान जातीय समीकरणों को प्रभावित करने वाला हो सकता है, क्योंकि बिहार और उत्तर प्रदेश में ओबीसी और पिछड़ा वर्ग की राजनीति का सीधा प्रभाव चुनावी परिणामों पर पड़ता है।

“11 साल से किसकी सरकार?” — केंद्र पर साधा निशाना

अखिलेश यादव ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे सामाजिक और बुनियादी मुद्दों पर केंद्र का ध्यान नहीं है।

“बंदूक इलाज नहीं है, बुलेट इलाज नहीं है। सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन आज सब कुछ निजीकरण की ओर बढ़ रहा है, जो केवल कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए है।” उन्होंने कहा कि सपा निजीकरण के पूरी तरह खिलाफ है क्योंकि इससे गरीब और आम लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा।

घुसपैठ पर केंद्र सरकार को घेरा

सीमा पर घुसपैठियों के आने के सवाल पर अखिलेश यादव ने केंद्र पर पलटवार करते हुए कहा — “11 साल से दिल्ली में किसकी सरकार है? अगर घुसपैठिए आ रहे हैं तो ये अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि पिछले 11 सालों में आपने ही उन्हें आने दिया। इसे मैं लोकसभा में जरूर उठाऊंगा।” उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम सवाल उठाना है, और सपा जनता के हित से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछती रहेगी।

‘डबल इंजन सरकार’ पर अखिलेश का तंज

डबल इंजन सरकार पर सवाल पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा — “जब से वाई-फाई आया है, रिमोट कंट्रोल भी स्वभाविक हो गया है। बीजेपी जहां लाभ देखती है, वहां एक रिमोट रख देती है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा — “एक गांजा, एक शराब — यही डबल इंजन की असली परिभाषा है।”

राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अखिलेश यादव का यह बयान “जिसकी जितनी आबादी, उतना अधिकार” की नीति को दोबारा केंद्र में लाने का प्रयास है। यह वही मुद्दा है जिसने 1990 के दशक में मंडल राजनीति को जन्म दिया था और सामाजिक न्याय की नई धारा को आगे बढ़ाया था। अब 2025 में, यह मुद्दा फिर से राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बनता दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ से उठी अखिलेश यादव की यह आवाज अब बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक जातीय गणना और आरक्षण की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है। उन्होंने जिस तरह से आरक्षण, निजीकरण और केंद्र सरकार की नीतियों पर निशाना साधा है, उससे स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी 2025-26 के राजनीतिक समीकरणों को सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता के एजेंडे पर तैयार करना चाहती है।

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