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UP News : जहां टूटे सहारे, वहां योगी सरकार बनी परिवार, निराश्रित महिलाओं को ने दी राहत

लखनऊ : योगी सरकार ने एक बार फिर संवेदनशील और जनकल्याणकारी प्रशासन का परिचय देते हुए प्रदेश की लाखों निराश्रित महिलाओं के जीवन में उम्मीद का उजाला फैलाया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में राज्य सरकार ने 35,78,000 निराश्रित महिलाओं के खातों में ₹3000 की पेंशन राशि (₹1000 प्रति माह) ट्रांसफर कर दी है।

By: Desk Team  RNI News Network
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UP News : जहां टूटे सहारे, वहां योगी सरकार बनी परिवार, निराश्रित महिलाओं को ने दी राहत

लखनऊ : योगी सरकार ने एक बार फिर संवेदनशील और जनकल्याणकारी प्रशासन का परिचय देते हुए प्रदेश की लाखों निराश्रित महिलाओं के जीवन में उम्मीद का उजाला फैलाया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में राज्य सरकार ने 35,78,000 निराश्रित महिलाओं के खातों में ₹3000 की पेंशन राशि (₹1000 प्रति माह) ट्रांसफर कर दी है। यह धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से पारदर्शिता के साथ लाभार्थियों को भेजी गई है। इस तिमाही में 47,800 नई लाभार्थियों को भी पहली बार योजना से जोड़ते हुए राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र महिला लाभ से वंचित न रहे।

इससे पहले वित्तीय वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही में 35,30,311 महिलाओं को यह लाभ मिला था, यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि योगी सरकार की योजना विस्तार और समावेशन की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही यह योजना पति की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट झेल रही महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक सहारा देती है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीवन जीने की शक्ति भी प्रदान करती है।

पात्र व जरूरतमंद महिलाएं ही इस योजना से हो रही हैं लाभान्वित
यह योजना राज्य की उन महिलाओं के लिए है, जिनका जीवनसाथी अब इस दुनिया में नहीं रहा और जो स्वयं की आजीविका के लिए संघर्ष कर रही हैं। योगी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि केवल वास्तविक जरूरतमंद महिलाएं ही इस योजना से लाभान्वित हों। इसके लिए सत्यापन की एक सशक्त और पारदर्शी प्रक्रिया तैयार की गई है। वर्तमान तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 28,56,821 महिलाओं को योजना का लाभ मिला है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 7,21,290 महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।

निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत किसी भी महिला को लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ बुनियादी शर्तें निर्धारित की गई हैं। लाभार्थी महिला उत्तर प्रदेश की स्थायी निवासी होनी चाहिए, उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उसके पति की मृत्यु हो चुकी हो। साथ ही, परिवार की वार्षिक आय ₹2 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए और वह किसी अन्य केंद्र या राज्य सरकार की पेंशन योजना से लाभ नहीं ले रही हो।

व्यवस्थित व पारदर्शी प्रक्रिया के तहत लाभार्थियों को मिल रहा है पेंशन का लाभ
आवेदन प्रक्रिया को भी सुनियोजित रूप से विभाजित किया गया है। आवेदन मिलने के बाद संबंधित विभाग 45 दिनों में दस्तावेजों की जांच करता है। उसके बाद खंड विकास अधिकारी, उप जिलाधिकारी या नगर मजिस्ट्रेट स्तर पर 15 दिनों के भीतर अनुमोदन किया जाता है। इसके बाद जनपद स्तरीय अनुश्रवण व स्वीकृति समिति एक माह के भीतर अंतिम स्वीकृति देती है। अंतिम रूप से, NIC और PFMS के सहयोग से पेंशन की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे योजना में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित होती है।

ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं पर योगी सरकार का फोकस
महिला कल्याण विभाग के उपनिदेशक व पेंशन योजना के नोडल अधिकरी बीएस निरंजन ने बताया कि योगी सरकार की इस योजना का विशेष फोकस ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं पर है। इन क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि पात्र महिलाएं योजना से वंचित न रहें। हर ब्लॉक और तहसील स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती कर आवेदन प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाया गया है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 28,56,821 लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित हुई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी सरकार “गरीबों, महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों की सरकार” है। निराश्रित महिला पेंशन योजना इसी सोच का ठोस प्रमाण है। योजना के अंतर्गत राशि की समयबद्ध आपूर्ति और तकनीक आधारित भुगतान प्रणाली ने लाभार्थियों का भरोसा जीता है।

समय पर पेंशन भुगतान निराश्रित महिलाओं के लिए बड़ा सहारा
वर्तमान में यह योजना न केवल एक आर्थिक सहायता का माध्यम बन चुकी है, बल्कि महिलाओं के आत्मबल को भी बढ़ा रही है। अब वे छोटी-छोटी जरूरतें पूरी कर पा रही हैं, अपने बच्चों की पढ़ाई या दवा-इलाज जैसे खर्चों में भी सहयोग कर पा रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें किसी दफ्तर या बिचौलिए के पास नहीं जाना पड़ता। यह सशक्तिकरण का डिजिटल युग है और योगी सरकार इसे हर घर तक पहुंचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ इसे लागू किया है।

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