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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल; बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाई, मरीज परेशान

सीएमओ ने कहा कि यहां की प्रसव बिल्डिंग जर्जर हो गई तो हमने यहां की डिलीवरी मंडी श्याम नगर में कराने का निर्णय लिया है।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल; बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाई, मरीज परेशान

योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है। जहां से भी लापरवाही का मामला सामने आ रहा तत्काल ऐक्शन लिया जा रहा है। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक तत्काल कार्रवाई के निर्देश दे रहे हैं। इसके बाद भी कहीं न कहीं से लापरवाही का मामला सामने आ जा रहा है। ताजा मामला यूपी के नोएडा और ग्रेटर नोएडा से सामने आया है। जहां सरकारी अस्पतालों की स्थिति काफी गंभीर है।

यूपी का गौतमबुद्धनगर जिला हाईटेक जिलों में शुमार है। लेकिन यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं की हालात खस्ता है। आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों को महंगी दवाइयां बाहर से लिख देते हैं। जिसके चलते बहुत से गरीब लोग सही इलाज से वंचित रह जाते हैं। वहीं कई डॉक्टर समय से अस्पताल नहीं पहुंचते जिसके चलते मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई अस्पतालों की तो इतनी जर्जर हालत है कि दीवारें कब गिर जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। इस तरह की तमाम कुव्यवस्थाओं के साए में स्वास्थ्य विभाग चल रहा है।

जिला संयुक्त चिकित्सालय का हाल बेहाल

जब ‘यूपी की बात’ की टीम ग्राउंड जीरो पर अस्पताल पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावे खोखले नजर आए। जिला संयुक्त चिकित्सालय गौतमबुद्धनगर में मरीज इसलिए परेशान थे कि अस्पताल ज्यादातर महंगी दवाइयां बाहर से लिख देते हैं। जिससे गरीब लोग अपना पूरा इलाज नहीं करा पाते हैं। कुछ मरीजों की शिकायत थी कि डॉक्टर समय से अपनी सीट पर नहीं मिलते जिससे उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है।

मरीजों को बाहर से लेनी पड़ रही दवाई

वहीं जब हमारी टीम ने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करनी चाही तो अस्पताल की सीएमएस ने बात अगले दिन पर टाल दी। यही हाल ग्रेटर नोएडा के बादलपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां मरीजों के परिजनों ने दवाइयां बाहर से लिखने की शिकायत की है। जबकि अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक कुमार ने दावा किया कि अस्पताल में पूरी दवाइयां हैं।

वहीं, दुजाना में स्वास्थ्य केंद्र एक फार्मेसिस्ट के भरोसे चल रहा है। यहां मौजूद डॉक्टरों की ड्यूटी बाहर लगी हुई है। जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फार्मासिस्ट ने बताया कि एक डॉक्टर की ड्यूटी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगी हुई है और दूसरे डॉक्टर की जेल में और तीसरे डॉक्टर इमरजेंसी में गए हुए हैं।

दनकौर के लोगों की बढ़ीं मुश्किलें

उधर ग्रेटर नोएडा के डाढ़ा गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनने से क़स्बा दनकौर के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें बढ़ गई हैं। दनकौर सीएससी पर मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं अब कम हो गई हैं। लोगों का आरोप है कि धीरे-धीरे यहां से सीएससी के बराबर पीएचसी में मिलने वाली सुविधा खत्म की जा रही है। साथ ही इसी के चलते डॉक्टरों ने महिलाओं की डिलीवरी भी बंद कर दी है।

लोगों का कहना है कि दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को धीरे-धीरे डाढ़ा गांव में शिफ्ट किया जा रहा है वही कागजों की बात की जाए तो दनकौर सीएचसी अब कागजों में से भी खत्म हो गया है। उसकी जगह डाढ़ा ने ले ली है। वहीं स्थानीय लोगों की मांग है कि दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत ना कराके नई बिल्डिंग बनाई जाय और इसको मल्टी फ्लोर हॉस्पिटल में तब्दील किया जाए। जिससे कि यहां की महिलाओं और लोगों को लाभ मिल सके।

डॉक्टर ने कहा जर्जर बिल्डिंग की वजह से बंद हुई डिलिवरी 

जबकि, इस पूरे मामले पर डॉक्टरों का कहना है कि जर्जर पड़ी बिल्डिंग में आए दिन छत का प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है। जिससे कई कर्मचारी डॉक्टर और मरीज बाल-बाल बचे हैं। इसी के चलते महिलाओं की डिलीवरी बंद कर दी है। वहीं दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक का कहना है कि जर्जर पड़ी बिल्डिंग में आए दिन छत का प्लास्टर टूटकर गिरने के चलते यहां मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए डिलीवरी बंद कर दी गई है।

सीएमओ ने बताया जनता की अपेक्षा बहुत ज्यादा

सीएमओ गौतमबुद्धनगर सुनील कुमार शर्मा से जब हमारे संवाददाता ने दनकौर पीएचसी की जर्जर बिल्डिंग, वहां मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं और ज्यादातर हॉस्पिटलों में बाहर से लेने के लिए लिखी गईं दवाइयों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ये मामला मेरे संज्ञान में काफी समय से है। इसका हमने अवर अभियंता से परिक्षण करा लिया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए हमने धन की मांग शासन से की है। जब बजट आवंटित हो जाएगा तो हम इसका काम करा लेंगे।

उन्होंने बताया कि ये अस्पताल घनी आबादी के बीच में है। जहां जनता की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि शासन के अनुसार ये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। जिससे वहां दो डॉक्टरों की पोस्टिंग होती है और बेसिक सेवाएं दी जाती हैं। बाकी सारी सेवाएं डाढ़ा में देने का प्रावधान है। वहां बिल्डिंग भी उचित हैं। उन्होंने कहा कि यहां की प्रसव बिल्डिंग जर्जर हो गई तो हमने यहां की डिलीवरी मंडी श्याम नगर में कराने का निर्णय लिया है।

बाहर से लेने के लिए लिखी जा रही दवाओं पर उन्होंने कहा कि इस तरह से आरोपों से मैं सहमत नहीं हूं, कि वहां दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो मैं इसकी जांच कराऊंगा और जो दोषी हैं तो दंडित करूंगा।

नोएडा से संवाददाता यूनुस आलम की रिपोर्ट।

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