उत्तर प्रदेश में घाघरा नदी का जलस्तर बीते दो दिनों में तेजी से बढ़ा है, जिससे तराई और तटीय इलाकों में लोगों की चिंता बढ़ गई है। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश और बैराजों से छोड़े गए पानी के कारण घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को छूने की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल घाघरा नदी 67 सेंटीमीटर नीचे बह रही है, लेकिन जिस रफ्तार से पानी का स्तर बढ़ रहा है, उसने प्रशासन और तटीय गांवों में रहने वाले लोगों की नींद उड़ा दी है।
जिले की तरबगंज और करनैलगंज तहसीलों के कई गांवों में पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों में जुट गया है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बाढ़ चौकी को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सके।
हालांकि, इस गंभीर परिस्थिति के बीच बाढ़ खण्ड विभाग की लापरवाही भी उजागर हुई है। दरअसल, बाढ़ खण्ड विभाग को 30 जून तक कई अहम परियोजनाओं को पूरा करने का शासन स्तर से निर्देश मिला था, जिनका उद्देश्य तटबंधों को मजबूत करना और स्परों की मरम्मत करना था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते यह कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका।
डीएम नेहा शर्मा ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए समीक्षा बैठक में बाढ़ खण्ड के अधिकारियों को फटकार लगाई और जल्द से जल्द सभी परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए। करोड़ों रुपये की लागत से तटबंधों की मरम्मत, स्पर के निर्माण और अन्य सुरक्षात्मक कार्य चल रहे हैं, लेकिन लापरवाही की वजह से कई स्थानों पर काम अधर में लटका हुआ है। समय रहते अगर यह परियोजनाएं पूरी नहीं हुईं, तो बढ़ते जलस्तर के बीच तटबंधों की कमजोरी लोगों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है।
वहीं, प्रशासन का कहना है कि तटीय इलाकों में राहत और बचाव दलों को तैनात कर दिया गया है। गांवों में लोगों को सतर्क किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की तैयारी भी की जा रही है। डीएम ने स्पष्ट किया कि किसी भी हाल में घाघरा नदी के बढ़ते पानी से लोगों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
नदी का बढ़ता जलस्तर इस समय पूरे जनपद में चिंता का विषय बन गया है। प्रशासन लगातार जलस्तर की निगरानी कर रहा है और जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन बाढ़ खण्ड विभाग की सुस्त कार्यशैली ने खतरे को और बढ़ा दिया है। यदि समय रहते सभी सुरक्षा उपाय पूरे नहीं हुए, तो आने वाले दिनों में घाघरा नदी का उफान कई गांवों में तबाही मचा सकता है। ऐसे में शासन और प्रशासन दोनों के लिए यह अग्निपरीक्षा की घड़ी है, जिसमें लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।