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Ballia : घाघरा किनारे ठोकर निर्माण अधूरा, खादीपुर गांव पर मंडराया कटान का खतरा

Ballia : खादीपुर गांव के पास घाघरा नदी किनारे ठोकर निर्माण कार्य तय समय पर पूरा नहीं हो सका, जिससे कटान का खतरा बढ़ गया है।ग्राम प्रधान और किसानों ने समय रहते काम पूरा करने और मुआवजा दिलाने की मांग की है।बाढ़ खंड विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में नाराजगी और चिंता गहराई है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Ballia : घाघरा किनारे ठोकर निर्माण अधूरा, खादीपुर गांव पर मंडराया कटान का खतरा

बलिया जिले के मनियर ब्लॉक स्थित खादीपुर गांव के पास घाघरा नदी किनारे बनाए जा रहे ठोकर (रिवेटमेंट) निर्माण कार्य में गंभीर देरी सामने आई है। यह कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 15 जून तक पूरा होना था, लेकिन दो जुलाई बीत जाने के बावजूद अभी तक महज 65% कार्य ही पूरा हो सका है। ऐसे में लगातार बढ़ते घाघरा नदी के जलस्तर ने गांव के लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

स्थानीय ग्रामीणों और ग्राम प्रधान शारदानंद साहनी ने इस देरी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। ग्राम प्रधान का कहना है कि यदि समय रहते यह ठोकर निर्माण पूरा नहीं हुआ तो कटान की समस्या विकराल रूप ले सकती है और पूरा गांव इसकी चपेट में आ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि बाढ़ आने की स्थिति में अधूरे ठोकर का कोई फायदा नहीं होगा और इसका खामियाजा गांव के लोगों को भुगतना पड़ेगा।

ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ खंड के अधिकारी कई बार निरीक्षण तो करते हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन देकर लौट जाते हैं। जिस गति से निर्माण कार्य हो रहा है, उससे तय समय में काम पूरा होना मुश्किल लग रहा है। नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, और अगर यही हाल रहा तो निर्माणाधीन ठोकर खुद भी कमजोर साबित हो सकता है।

गांव के कुछ किसानों ने अपनी अलग चिंता जताई है। उनका कहना है कि ठोकर निर्माण में उनकी कृषि भूमि का हिस्सा गया है, लेकिन इसके बदले मुआवजे का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। अधिकारी इस बारे में सिर्फ आश्वासन देते हैं, लेकिन न तो मुआवजा मिला और न ही कोई ठोस योजना सामने आई। इससे किसानों में गहरी नाराजगी है, क्योंकि उनकी उपजाऊ जमीन चली गई और बदले में कुछ भी नहीं मिला।

स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि घाघरा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए युद्धस्तर पर काम कराया जाए, ताकि समय रहते ठोकर का निर्माण पूरा हो सके और गांव को कटान से बचाया जा सके। साथ ही, प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान भी हो सके।

वहीं, बाढ़ खंड विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बार-बार चेतावनी और शिकायतों के बावजूद काम में तेजी नहीं आ रही, जबकि मानसून की बारिश कभी भी तेज हो सकती है और ऐसे में नदी का प्रवाह और रफ्तार दोनों बढ़ जाएंगे। अगर ठोकर अधूरा रह गया तो गांव का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

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