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Sant Kabir Nagar: एमबीडी तटबंध की स्थिति से 80 से 85 गांवों के लोगों में डर, कहा- नहीं पहुंचते अधिकारी

अगर नेपाल ने बाढ़ का पानी छोड़ा तो एमबीडी बंधें किनारे बसे गांव जलमग्न हो जाएंगे साथ ही सैकड़ों एकड़ खड़ी फसल जलमग्न हो जाएगी। धनघटा तहसील साल 2003, 2008 और 2022 में बाढ़ की विभीषिका झेल चुकी है।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
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Sant Kabir Nagar: एमबीडी तटबंध की स्थिति से 80 से 85 गांवों के लोगों में डर, कहा- नहीं पहुंचते अधिकारी

इस वक्त देशभर में मानसूनी बारिश हो रही है। पहाड़ों पर भारी बारिश की वजह से यूपी की नदियां ऊफान पर हैं। जिससे नदी किनारे बसे गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। पश्चिमी यूपी में यमुना के बढ़ने से कई जिलों में हाहाकार मचा हुआ है तो पूर्वांचल में भी नदियों के बढ़ने से कई जिलों में स्थिति खराब हुई है। एक ओर योगी सरकार नदियों के रख रखाव और मरम्मत कार्य के लिए जल शक्ति मंत्रालय को पूरी छूट देने के साथ खजाना का मुंह खोल दिया है तो वहीं दूसरी ओर संतकबीरनगर नगर के धनघटा तहसील से होकर गुजरने वाली सरयू नदी के एमबीडी बंधें की स्थिति दयनीय है।

अगर नेपाल ने बाढ़ का पानी छोड़ा तो एमबीडी बंधें किनारे बसे गांव जलमग्न हो जाएंगे साथ ही सैकड़ों एकड़ खड़ी फसल जलमग्न हो जाएगी। धनघटा तहसील साल 2003, 2008 और 2022 में बाढ़ की विभीषिका झेल चुकी है। अधिकारियों के कार्यप्रणाली को देखकर ऐसी ही आशंका है कि एक बार फिर एमबीडी तटबंध सरयू का रौद्र रूप के सामने डगमगा जाएगा। सरयू का पानी गांवों में घुस जाएगा।

यूपी की बात की टीम जब संतकबीरनगर के धनघटा तहसील स्थित तटबंध के गांव वालों से बात की तो उनका दर्द छलक गया। गांव वालों ने बताया कि जब कटान शुरू होता है तब अधिकारी आते हैं और मौके का मुआयना कर कर चलें जाते। वहीं, जब बांध के मरम्मत और रखरखाव के लिए कोई भी कर्मचारी कभी मौके पर नहीं आता है। गांव के रहने वाले बलवंत कुमार पांडेय ने बताया कि जब साल 2013 में बाढ़ आई तो 70 गांव डूबे। उन्होंने बताया कि उस वक्त लोग काफी परेशान हुए और सरकार का धन पानी की तरह बहा।

उन्होंने बताया कि 2013 के बाद 2022 में फिर बाढ़ आई, बांध कटने के कगार पर था। उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने सरकार का पैसा खूब पानी की तरह बहाया। उन्होंने बताया कि जब बाढ़ खत्म हुई तो उसके बाद से यहां कोई झांकने वाला नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर ये बंधा टूटता है तो लगभग 80 से 85 गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। अधिकारियों की लापरवाही से एक बार फिर 80 से 85 गांव बाढ़ की आशंका से डरे हुए हैं।

गोरखपुर मंडल ब्यूरो प्रदीप आनंद श्रीवास्तव की रिपोर्ट।

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