बिजनौर जिले में गंगा बैराज रावली के पास गंगा कटान ने विकराल रूप धारण कर लिया है। नदी के तेज बहाव में तटबंध का बड़ा हिस्सा टूट गया, जिससे उसके ऊपर बनी पक्की सड़क भी बह गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने दिल्ली–पौड़ी हाईवे पर भारी वाहनों की आवाजाही रोक दी है। सोमवार की शाम से सभी प्रकार के वाहनों का आना-जाना पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, हालांकि मंगलवार सुबह से छोटे वाहनों को अनुमति दी गई है।
जानकारी के अनुसार, गंगा बैराज के पास अपलेक्स बांध के किलोमीटर 6 पर रविवार सुबह से कटान शुरू हुआ, जो अब लगभग 400 मीटर लंबाई तक पहुंच चुका है। तटबंध के टूटने से आसपास के एक दर्जन से अधिक गांव और हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसल को भारी खतरा पैदा हो गया है। सिंचाई विभाग और प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। तटबंध को बचाने के लिए पेड़ों को काटकर और बड़े-बड़े पत्थर डालकर कटान को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। जेसीबी और पोकलेन मशीनों की मदद से पत्थरों को गंगा की धारा के मुहाने पर डाला जा रहा है।
मौके पर सैकड़ों मजदूर, ग्रामीण, अधिकारी और प्रशासनिक अमला मौजूद है। कई स्थानीय लोग अपने ट्रैक्टर-ट्राली लेकर स्वेच्छा से मदद कर रहे हैं। 48 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद भी तटबंध को पूरी तरह सुरक्षित नहीं किया जा सका है। प्रशासन ने प्रभावित गांवों के लोगों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं।
हालांकि स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन और सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। उनका कहना है कि कई दिनों पहले से गंगा का कटान शुरू हो गया था, लेकिन समय पर ध्यान न दिए जाने से समस्या भयावह रूप ले चुकी है।
वहीं, मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर के.एम. बंसल ने बताया कि तटबंध का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है और गंगा कटान के कारण पानी का रिसाव हुआ था। उन्होंने कहा कि रात से ही कटान पर नियंत्रण पाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। फिलहाल तीन स्थानों पर कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है—रावली पोर्शन, सेंटर पोर्शन और बैराज साइट। उन्होंने भरोसा जताया कि कटान पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया जाएगा और तटबंध को और मजबूत किया जाएगा।
इस आपदा से निपटने के लिए सिंचाई विभाग, प्रशासन और ग्रामीणों की संयुक्त मेहनत जारी है। गंगा कटान से उत्पन्न खतरे ने न केवल गांवों बल्कि हजारों किसानों की फसलों और आजीविका को भी संकट में डाल दिया है। अब सबकी निगाहें प्रशासन के राहत व बचाव कार्यों पर टिकी हुई हैं।