Konch : जालौन जनपद की कोंच तहसील के सतोह गांव में बहने वाली नून नदी का पुनर्जीवन इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखी जा रही इस मुहिम को शासन स्तर तक सराहना मिल रही है। बताया जा रहा है कि नून नदी के कायाकल्प के लिए किए जा रहे प्रयासों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गंभीरता से लिया है और 9 जुलाई को स्वयं सतोह गांव पहुंचकर निरीक्षण कर सकते हैं।
लंबे समय से सूखी और गाद से भरी पड़ी इस लुप्तप्राय नून नदी को जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने श्रमदान एवं जनसहभागिता के जरिये पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। प्रशासन की ओर से लगातार जेसीबी मशीनों से सफाई कराई जा रही है, वहीं ग्रामीणों में भी जागरूकता लाई गई ताकि नदी को फिर से बहते हुए देखने का सपना पूरा हो सके। इस नदी के पुनर्जीवित होने से सतोह गांव सहित इसके तटवर्ती इलाकों के किसानों को सिंचाई और भूजल रिचार्ज में बड़ा लाभ मिलेगा।
झांसी मंडल के कमिश्नर विमल कुमार दुबे और डीआईजी झांसी केशव कुमार चौधरी ने भी सतोह पहुंचकर नदी पुनर्जीवन कार्यों का गहन अवलोकन किया। उन्होंने मौके पर मौजूद अधीनस्थ अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए ताकि कार्यों की गुणवत्ता और गति बनाए रखी जाए। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय, एसडीएम ज्योति सिंह समेत जिले के तमाम वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस परियोजना की सफलता के लिए प्रशासनिक अमला पूरे मनोयोग से जुटा हुआ है। ग्रामीणों ने भी खुले दिल से श्रमदान में भागीदारी की है, जो अपने आप में मिसाल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई वर्षों से यह नदी मृतप्राय पड़ी थी, जिसकी वजह से गांव में पानी का संकट लगातार गहराता जा रहा था। नदी के पुनर्जीवन से न केवल सिंचाई की व्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि जल संरक्षण का बड़ा संदेश भी जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, नून नदी का प्रवाह दोबारा चालू होने से आसपास का भूजल स्तर सुधरेगा और खेतों में सालभर पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस परियोजना में रुचि ले रहे हैं और 9 जुलाई को सतोह गांव के संभावित दौरे की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। इसको लेकर प्रशासनिक मशीनरी अलर्ट मोड में है।
नून नदी पुनर्जीवन अभियान से पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है। जलशक्ति मिशन जैसे कार्यक्रमों से इसे जोड़कर उदाहरण के रूप में पेश करने की योजना बन रही है। यदि यह परियोजना पूरी तरह सफल होती है तो भविष्य में अन्य लुप्तप्राय नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी एक मॉडल के तौर पर काम आएगी।