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मिड डे मील में रेंगते नजर आए कीड़े; पानी वाली दाल व सूखी रोटी खा रहे बच्चे, प्रधानाध्यापिका ने कहा- हम क्या कर सकते हैं

सरकार ने यह भी तय किया है कि 100 बच्चों के ऊपर आधा किलो घी भी बच्चों को दिया जाए। लेकिन व्यवस्था को संभालने वाले सरकार की योजना को किस प्रकार पलीता लगा रहे हैं।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
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मिड डे मील में रेंगते नजर आए कीड़े; पानी वाली दाल व सूखी रोटी खा रहे बच्चे, प्रधानाध्यापिका ने कहा- हम क्या कर सकते हैं

बेसिक स्कूल के बच्चों को शिक्षा के साथ ही पौष्टिक आहार देने के लिए मिड डे मील का प्रावधान किया गया है। इसके लिए बकायदा रोजाना मीनू भी तय किया गया है कि किस दिन बच्चे को क्या देना है। सरकार की गाइडनलाइन है कि भरपूर पौष्टिक आहार में भोजन के साथ ही घी, दूध और फल भी शामिल किया जाए। लेकिन मीरजापुर जिले के भवानीपुर प्राथमिक विद्यालय के मिड डे मील में बच्चों की थाली में पानी वाली दाल और सूखी रोटी नजर ही आ रही है।

आपको बता दें कि सरकार ने यह भी तय किया है कि 100 बच्चों के ऊपर आधा किलो घी भी बच्चों को दिया जाए। लेकिन व्यवस्था को संभालने वाले सरकार की योजना को किस प्रकार पलीता लगा रहे हैं। ये भवानीपुर प्राथमिक विद्यालय में नजर आया। विद्यालय में बच्चों के लिए जिस आटे की रोटियां बन रही हैं उसके परथन में कीड़े रेंगते हुए नजर आ रहे हैं। जो आटा गूथ दिया गया है उसमें कितने कीड़े होंगे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रीति यादव की बातों को सुनकर हैरानी हो रही है। सरकार ने उनको जो जिम्मेदारी सौंपी है, उससे दूर भागते हुए उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज एक किलो 100 ग्राम दाल के बराबर दाल बनाई गई है। जब उनसे पूछा गया कि इसमें पानी ही दिख रहा है, तो उन्होंने कहा कि इसमें हम क्या करें। उनकी बातों को सुनकर ऐसा लग रहा है कि जैसे उनकी कोई जिम्मेदारी ही नहीं है।

विद्यालय में करीब 60 बच्चों के लिए सवा किलो दाल बनायी गयी थी। जिसने दाल कम और पानी अधिक नजर आ रहा था। मौके पर पहुंचे एबीएसए रवींद्र शुक्ला ने जांच की बात करके किनारा कर लिया। उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी। अगर प्रधानाध्यापिका की लापरवाही सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

आपको बता दें कि बेसिक स्कूलों में बच्चों की सेहत का खयाल रखने के लिए मिड डे मील में पौष्टिक आहार देने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी स्कूलों में पौष्टिक आहर तो दूर, कीड़े वाला आटा और दाल का पानी दिया जा रहा है। ऐसे में स्कूली बच्चों की सेहत तो खराब होगी ही वहीं सरकारी योजनाओं पर भी पलीता लगता नजर आ रहा है। इसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

मीरजापुर से संवाददाता वसी रिज़वी की रिपोर्ट।

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