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Lucknow : कफ सिरप की आड़ में प्रदेश में नशे का बड़ा खेल

Lucknow : लखनऊ के अमीनाबाद दवा बाजार में नशीली दवाओं की तस्करी का नेटवर्क सक्रिय हो गया है, जहां कोडीन युक्त कफ सिरप और प्रतिबंधित टैबलेट्स की अवैध बिक्री हो रही है।बांग्लादेश और नेपाल में शराब बैन का फायदा उठाकर तस्कर इन दवाओं को ऊंचे दामों पर सीमापार भेज रहे हैं।एनसीबी की जांच में खुलासा हुआ है कि दवा मंडियों में दस्तावेजी हेराफेरी कर यह कारोबार 3-4% तक फैल चुका है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : कफ सिरप की आड़ में प्रदेश में नशे का बड़ा खेल

उत्तर प्रदेश की राजधानी से चौकाने वाली खबर है  बांग्लादेश और नेपाल बॉर्डर पर नशीली दवाओं की खेप पकडे जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी तस्करो का नेटवर्क बढ़  चूका है   लखनऊ के सबसे बड़ा दवा बाजार अमीनाबाद मेडिसन मार्केट तक पैठ बना ली है एक साल पहले  बाहरी इलाको  में ही ऐसी खेप पकड़ी जाती थी  लेकिन अब तो मेडिसन फर्माे के नाम पर भी नशीली दवाओं की खेप जुटाई जा रही है  जिसमे कोडीन युक्त कफ सिरप सबसे आम है  सयुंक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक  बांग्लादेश में शराब पर बैन है जिसके चलते वहा नशे के सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है यही  बजह है तस्कर इस कफ सिरप को दारु की तरह बेच रहे है।

नशे का कारोबार इतना बड़ चुका है कि नशा करने के लिये लोग नशीली दवाओं का उपयोग कर रहे है बंग्लादेश में शराब बैन है जिनका फायदा उठाते हुये तस्कर लगातार नशीली दवाआंे के कारोबार बढ़ा रहे है एनसीबी की जांच में यह भी सामने आया कि नशीली दवाओं के तस्करों के हैंडलर राजधानी के सबसे बड़े दवा बाजार अमीनाबाद में दस्तावेजों मंे खेलकर टुकड़ों में नारकोटिक्स की दवाएं जुटाते है और फिर तस्करों को मोटी कीमत पर बेच देते है। गौरतलब है कोडिनयुक्त कफ सिरप की एक शीशी 100 रुपये के आसपास मिलती है, लेकिन सीमा पार जाते ही इसके रेट पांच गुना तक हो जाते हैं। तस्कर नेपाल में 300 रुपये तो बांग्लादेश में 500 रुपये तक की एक शीशी बेचते हैं। इसके साथ रेमाडॉल और क्लोपाम समेत कई तरह टैबलेट की भी तस्करी हो रही है। इसकी एक स्ट्रिप देश में 20 रुपये में मिलती है, लेकिन सीमा के पार तस्कर 100 रुपये तक हो जाती हैं। बहराल लखनऊ में इन दवाओं की तस्करी की मार्केट 3 से 4 प्रतिशत तक आंकी जा रही है, जबकि एनसीआर की दवा मंडी तो इसका हब बन चुकी है। इसी तरह देश की कई दवा मंडियों में तस्करों का यह नेटवर्क फैला है।

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