मथुरा में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और अब यह खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है। नदी का जलस्तर 166 मीटर के खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर अधिक दर्ज किया गया। इस बढ़ते जलस्तर ने खादर के इलाकों को आंशिक रूप से टापू में बदल दिया है और निचले हिस्सों में कटान के कारण मकान खतरे में आ रहे हैं।
सोमवार को ताजेवाला बांध से छोड़ा गया पानी बुधवार रात तक मथुरा पहुंचने की संभावना है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगले 24 से 48 घंटे अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं। बाढ़ से प्रभावित घरों में लोग अपनी छतों पर सुरक्षित हैं, जबकि गाँवों में नाव और स्टीमर के माध्यम से पलायन कराया जा रहा है। वृंदावन में भी बाढ़ का असर दिखाई दे रहा है और परिक्रमा मार्ग में पानी भर जाने के कारण प्रशासन ने वहाँ अग्रिम आदेशों तक यात्रा रोक दी है।
सभी स्कूल और कॉलेज, जो 12वीं तक के हैं, चार सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं। मथुरा के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने बताया कि सिंचाई विभाग की एडवाइजरी के अनुसार 1 सितंबर को सुबह 11 बजे यमुना का जलस्तर 166.21 मीटर पर बह रहा था। साथ ही हथिनी कुंड बैराज से 3.29 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 4 से 6 सितंबर के बीच जिले में पहुँच सकता है। इससे यमुना किनारे बसे गाँव और शहरी वार्ड प्रभावित हो सकते हैं।
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों की तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। आवश्यक होने पर प्रभावित लोगों और पशुओं को सुरक्षित शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाएगा। नागरिकों से अपील की गई है कि वे रेडियो, टीवी और स्थानीय अधिकारियों से लगातार जानकारी लेते रहें। जलमग्न क्षेत्रों से दूर रहें, अपने जरूरी दस्तावेज़ सुरक्षित रखें और प्रशासन एवं पुलिस के निर्देशों का पालन करें। विशेष रूप से गर्भवती महिलाएँ, बच्चे, वृद्ध और बीमार व्यक्तियों को प्राथमिकता पर सुरक्षित स्थान पर भेजा जाए।मथुरा में इस समय हर नागरिक की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।