फिरोजाबाद के जिला अस्पताल में सोमवार को मरीजों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। अस्पताल की अव्यवस्थाओं और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को घंटों तक कतार में खड़े रहना पड़ा, लेकिन फिर भी उनका एक्सरे नहीं हो पाया। कई गंभीर मरीजों ने बताया कि सुबह से लाइन में खड़े होने के बावजूद नंबर नहीं आया।
शहर के निवासी शिवशंकर, जो सांस रोगी हैं, ने बताया कि वह तीन घंटे से लाइन में खड़े हैं, लेकिन एक्सरे कराने का नंबर ही नहीं आया। इसी तरह हेमलता शर्मा नामक महिला मरीज ने कहा कि वह सुबह नौ बजे से कतार में खड़ी हैं और कमर का एक्सरे कराना चाहती हैं, मगर कोई कर्मचारी न सही जवाब देता है न ठीक से व्यवहार करता है।
एक और मरीज, रेनू देवी, जो अपने ढाई साल के बच्चे को लेकर एक्सरे कराने आई थीं, ने बताया कि वह चार घंटे से कतार में हैं, लेकिन बच्चे का नंबर नहीं आया। मरीज मिलन ने भी कहा कि वह तीन घंटे से खड़े हैं, कोई यह बताने को तैयार नहीं कि नंबर कब आएगा।
लोगों का कहना था कि सरकारी अस्पतालों में मशीनें तो लगी हैं, लेकिन उनके संचालन और मरीजों को सुविधा देने में भारी खामियां हैं। बहुत से मरीज इलाज बीच में छोड़कर निराश होकर लौट जाते हैं क्योंकि इंतजार के बावजूद एक्सरे नहीं हो पाता। इसके अलावा कर्मचारियों द्वारा अभद्र भाषा में बात करने की भी शिकायतें सामने आईं।
सीएमएस डॉ. नवीन जैन ने सफाई देते हुए कहा कि एक्सरे कराने के लिए मरीजों को सुबह ही पर्ची दी जाती है और उसके आधार पर क्रमवार नंबर बुलाया जाता है। अगर कोई कर्मचारी अभद्र व्यवहार करता है तो मरीज सीधे उनके पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जाएगा।
यह स्थिति एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की खस्ताहाल व्यवस्था और जिम्मेदारों की उदासीनता को उजागर करती है। जहां मरीजों को समय पर इलाज मिलने की उम्मीद होती है, वहां घंटों खड़े रहने के बावजूद भी उनका नंबर नहीं आना, न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है बल्कि मरीजों के जीवन के लिए भी खतरा बन जाता है।
जरूरत इस बात की है कि अस्पताल प्रबंधन एक्सरे और अन्य सेवाओं के संचालन में पारदर्शिता और गति लाए, ताकि गंभीर मरीजों को तुरंत जांच व इलाज मिल सके। यदि मशीनें हैं तो उनका उपयोग सुचारु रूप से हो, और कर्मचारियों को मरीजों से बेहतर व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही मरीजों की शिकायतों का त्वरित निस्तारण कर भरोसे को कायम रखा जाए।
सरकारी अस्पतालों में आने वाला हर मरीज उम्मीद लेकर आता है, और जब उसे इस तरह की दुर्व्यवस्था का सामना करना पड़ता है तो पूरे स्वास्थ्य तंत्र की छवि खराब होती है। जिला प्रशासन को इस ओर तत्काल संज्ञान लेकर सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को भटकना न पड़े और समय पर सही इलाज मिल सके।