समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने सोमवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश में चल रही SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) प्रक्रिया को लेकर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार SIR के नाम पर “अंदर ही अंदर NRC जैसा काम” कर रही है।
अखिलेश यादव ने दावा किया कि यूपी में जिन लोगों के नाम SIR में नहीं मिल रहे, उनके लिए डिटेंशन सेंटर की बात कही जा रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
लोकसभा में अपनी बात रखते हुए अखिलेश यादव ने कहा- “यह SIR नहीं है, अंदर-ही-अंदर NRC वाला काम कर रहे हैं। जो काम यह खुलकर नहीं कर सकते थे, वो SIR के बहाने किया जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार SIR प्रक्रिया का उपयोग बाहर से आए लोगों, प्रवासियों एवं अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए कर रही है।
अखिलेश यादव ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि- “सुना है कि यूपी के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हम डिटेंशन सेंटर बना रहे हैं। SIR में जिसका नाम नहीं, उसके लिए डिटेंशन सेंटर की क्या जरूरत है?” उन्होंने कहा कि घुसपैठ और प्रवासियों के नाम पर सरकार समाज में डर पैदा कर रही है, जो लोकतांत्रिक तरीके से उचित नहीं है।
SIR प्रक्रिया में फील्ड वर्क कर रहे BLO (बूथ लेवल ऑफिसर्स) की मौत का मामला उठाते हुए अखिलेश यादव ने दावा किया कि-
अब तक 10 BLO की मौत हो चुकी है,
जिनमें से 9 की सूची उपलब्ध है।
अखिलेश ने सपा की ओर से मृतक BLO परिवारों को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की, साथ ही मांग की-“सरकार उनके परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवजा और सरकारी नौकरी दे।” उन्होंने कहा कि कई BLO को उचित ट्रेनिंग नहीं दी गई, जिसके कारण उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।
चुनाव सुधारों पर बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि देश में पारदर्शी चुनाव तभी संभव हैं जब चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष होकर काम करे। उन्होंने कहा-“चुनाव आयोग अंतरात्मा की आवाज सुने। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का तरीका बदला जाए।” अखिलेश का कहना है कि पहले जैसी चयन व्यवस्था लागू की जानी चाहिए ताकि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से काम कर सके।
लोकसभा में अखिलेश यादव के बयानों के बाद SIR प्रक्रिया एक बार फिर राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गई है। एक ओर सरकार इसे मतदाता सूची को शुद्ध करने की प्रक्रिया बता रही है, जबकि विपक्ष इसे NRC की ओर बढ़ता कदम बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में और ज़्यादा गरमा सकता है।