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UP : दिवाली से पहले स्वदेशी मेले का आयोजन, हस्तशिल्पियों को मिलेगा बड़ा मंच

UP : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 से 18 अक्तूबर तक प्रदेश के 75 जिलों में स्वदेशी मेलों का शुभारंभ किया। इन मेलों में स्थानीय हस्तशिल्पियों, महिलाओं और लघु उद्यमियों को अपनी कला और उत्पाद प्रदर्शित करने का मंच मिलेगा। दिवाली से पहले यह पहल ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देकर लगभग 1500 करोड़ रुपये का बाजार सृजित करेगी।

By: Desk Team  RNI News Network
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UP : दिवाली से पहले स्वदेशी मेले का आयोजन, हस्तशिल्पियों को मिलेगा बड़ा मंच

उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 से 18 अक्तूबर तक राज्य के सभी 75 जिलों में दिवाली से पहले स्वदेशी मेलों का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इन मेलों के माध्यम से स्थानीय हस्तशिल्पियों, महिलाओं और लघु उद्यमियों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने और व्यापक बाजार तक पहुँचने का अवसर मिलेगा। अनुमानित रूप से यह दस दिवसीय मेले 1500 करोड़ रुपये का व्यापार सृजित करेंगे और दिवाली के समय में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन मेलों का औपचारिक शुभारंभ गोरखपुर से करेंगे। सभी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में मेलों की व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मेले का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना, छोटे उद्यमों को सशक्त बनाना और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आम जनता तक पहुँचाना है। मेलों का आयोजन शहरों के प्रमुख और व्यस्त स्थलों पर किया जा रहा है, जिससे लोग आसानी से पहुंचकर खरीदारी कर सकें।

स्वदेशी मेले में उद्योग विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, माटी कला बोर्ड, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, रेशम विभाग, ग्रामीण आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, ओडीओपी, पीएमईजीपी, स्वयं सहायता समूह और अन्य लाभार्थियों को निशुल्क स्टॉल उपलब्ध कराए गए हैं। मेले में वस्तुओं की खरीदारी के लिए जेम पोर्टल का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

इन मेलों के माध्यम से स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्यमियों को सीधे बाजार से जोड़ने का अवसर मिलेगा। साथ ही ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था दोनों को इसका सकारात्मक लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश में आयोजित ये स्वदेशी मेले न केवल व्यापारिक दृष्टि से बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को जन आंदोलन का रूप देने में भी अहम भूमिका निभाएंगे। इस पहल से स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक उद्योग और ग्रामीण उद्यमिता को नई पहचान मिलेगी, और प्रदेश के आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी।

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