उत्तर प्रदेश सरकार ने टेक-होम राशन योजना को लेकर एक बड़ा और सुधारात्मक कदम उठाया है। सरकार का कहना है कि अब “पोषण सिर्फ पात्र को” की नीति पर अमल किया जाएगा। 1 जुलाई 2025 से प्रदेश की सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर टेक-होम राशन तभी मिलेगा जब लाभार्थी की पहचान फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) से पक्की होगी और उसके मोबाइल नंबर पर आया OTP सफलतापूर्वक दर्ज किया जाएगा। इस व्यवस्था से अब फर्जी नामों से राशन उठाकर बाजार में बेचने वाले लोगों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
यह नई प्रणाली दो स्तरों पर काम करती है: सबसे पहले, लाभार्थी की लाइव फोटो ली जाती है और उसे सरकार के ई-केवाईसी डेटा से मिलाया जाता है। इसके बाद, उसके मोबाइल नंबर पर एक OTP आता है, जो अगर सही डाला गया, तो पोषण पैकेट जारी किया जाता है। खास बात ये है कि जिनके पास मोबाइल नहीं है, उनके लिए घर के किसी सदस्य का नंबर भी मान्य होगा। सरकार का कहना है कि टेक्नोलॉजी के ज़रिए यह योजना अब और ज़्यादा सटीक, पारदर्शी और जवाबदेह बन सकेगी।
इस पूरी प्रक्रिया का ट्रायल पहले कानपुर के दो ब्लॉक में किया गया था और अब इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। अब तक करीब 54 लाख लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूरा हो चुका है। जिन जिलों में प्रक्रिया धीमी है, वहां विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों को टैबलेट, नेट कनेक्शन और पोर्टेबल जनरेटर तक दे रही है ताकि हर गाँव तक यह सुविधा पहुँचे। यह न सिर्फ सरकारी पैसों की बचत करेगा, बल्कि उन माँ-बच्चों तक सही समय पर पोषण पहुँचाएगा, जो सचमुच इसके हकदार हैं। योगी सरकार का यह कदम “डिजिटल शासन” और “सशक्त उत्तर प्रदेश” की दिशा में एक मजबूत पहल के तौर पर देखा जा रहा है।