ना जात, ना पात, ना धर्म, ना मजहब…केवल सुशासन और विकास! यही संदेश है बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव का। भाजपा की अगुवाई में एनडीए को मिली अप्रत्याशित सफलता सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं है। इसका असर अब यूपी और देश की राजनीति पर भी देखने को मिलने वाला है।
बिहार का जनादेश सियासत बदलने को तैयार
बिहार का जनादेश अब यूपी की सियासत बदलने को तैयार है। जाति-पात की दीवार टूटने ने सुशासन को मजबूती मिली है। बिहार की जनता ने यह भी स्पष्ट किया है कि जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर भी वोटर अपना अधिकार नेताओं के सामने रख सकते हैं।
बिहार की जनता ने एक नई रचना की
इस बार बिहार की जनता ने एक नई इबारत लिखी है। एक ऐसी रचना, जहां सुशासन और विकास ही सबसे बड़ा सच बनकर उभरा है। बिहार चुनाव का जनादेश सिर्फ एक राज्य का फैसला नहीं बल्कि ये संदेश उस पूरे राजनीतिक दौर का है, जहां जातीय समीकरणों के तख्त हिल चुके हैं और विकास की राजनीति सबसे बड़ा मतदाता मंत्र बन चुकी है।
यूपी की सियायत के लिए एक नया रोडमैप
एनडीए की अप्रत्याशित जीत ने न सिर्फ बिहार में नहीं बल्कि यूपी की सियासत को भी झकझोर दिया है। क्योंकि बिहार ने दिखा दिया है कि अब अब ध्रुवीकरण नहीं, विकास ही चुनाव जिताता है। बिहार में बीजेपी ने इस बार पुराने दांव नहीं खेले। ना धर्म का शोर… ना जाति की खाई…यूपी मॉडल के सुशासन और माफिया-विरोधी अभियान को हथियार बनाकर बीजेपी ने बिहार को नए सपनों के रंग में रंगने का दावा किया और जनता ने फिर बीजेपी को सिर आंखों पर बैठा लिया है।
जंगलराज से आजादी के लिए वोटिंग
चुनावी मंचों पर यूपी के विकास मॉडल की चर्चा, कानून-व्यवस्था की गूंज और ‘जंगलराज’ की याद दिलाती तेज़ आवाज़ें इन सबने बिहार के मतदाताओं में सुशासन की चाह को और भी गहरा कर दिया है और जब योगी आदित्यनाथ बिहार पहुंचे तो उनकी हर सभा, हर दहाड़ ने जनता के दिलों में एक विश्वास भरती गई और बताती रही कि सुशासन सिर्फ वादों से नहीं लगाम कसती नेतृत्व क्षमता से आता है।
यादव राज्य में NDA सरकार
चौदह प्रतिशत यादव आबादी वाले राज्य बिहार में, एमवाई समीकरण की पूरी कोशिशों के बावजूद आरजेडी की करारी हार ने साफ कर दिया कि इस बार वोट जाति की दीवारें तोड़कर पड़े हैं। यह संदेश यूपी के लिए भी बड़ा संकेत है, अगर बिहार में यादव और मुस्लिम बहुल सीटों पर एनडीए जीत सकती है तो यूपी में भी 2027 की राह विकास और सुशासन के ट्रैक पर ही दौड़ने वाली है।
महिलाओं का भरोसा और युवाओं की उम्मीदें
बिहार चुनाव में महिलाओं का भरोसा और युवाओं की उम्मीदें और योजनाओं की सुगमता… यही बने इस चुनावी जीत के स्तंभ और यही मुद्दे यूपी में बीजेपी की अगली रणभेरी भी बनेंगे। बिहार की नई पीढ़ी ने सियासत का रंग बदल दिया है और अब यूपी के भविष्य की पटकथा भी इन्हीं नए रंगों से लिखी जाएगी। क्योंकि, संदेश साफ है अगर सुशासन है तो ही शासन है।
विकास, सुशासन और जनता की भलाई पर वोट
बिहार का जनादेश साफ़ संदेश दे रहा है अब चुनाव सिर्फ जाति, धर्म या ध्रुवीकरण की राजनीति से नहीं, बल्कि विकास, सुशासन और जनता की भलाई के मुद्दों से जीते जाएंगे। इस जीत ने केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि यूपी की राजनीति को भी नई दिशा दी है। नई पीढ़ी, महिलाओं और युवाओं की पसंद ने सियासत का रंग बदल दिया है। और यही बदलाव 2027 में यूपी के विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए बीजेपी के लिए रास्ता साफ़ कर रहा है।