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Lucknow: “मेवाड़ शैली के चित्र भारतीय संस्कृति की जीवित स्मृतियाँ हैं”- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

आज का समय ऐतिहासिक चेतना के पुनर्जागरण का काल है। संविधान के 75 गौरवपूर्ण वर्ष, सरदार वल्लभभाई पटेल एवं भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान वर्ष तथा वंदे मातरम् की 150 वर्षों की गौरवगाथा राष्ट्र-चेतना को नई ऊर्जा प्रदान कर रही है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Lucknow: “मेवाड़ शैली के चित्र भारतीय संस्कृति की जीवित स्मृतियाँ हैं”- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

प्रदेश की राज्यपाल एवं इलाहाबाद संग्रहालय समिति की अध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने आज राजस्थान के उदयपुर में इलाहाबाद संग्रहालय एवं सिटी पैलेस संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कला प्रदर्शनी “प्रेमार्पण” का विधिवत उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में मेवाड़ कला शैली में निर्मित इलाहाबाद संग्रहालय के 48 एवं सिटी पैलेस के 35 लघु चित्रों की प्रदर्शनी लागई गई थी।

भारतीय इतिहास में मेवाड़ का स्थान अद्वितीय

इस अवसर पर गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल, उदयपुर की छात्राओं को स्मृति चिन्ह प्रदान कर राज्यपाल महोदया ने सम्मानित किया। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि भारतीय इतिहास में मेवाड़ का स्थान अद्वितीय है।

राणा सांगा का रण-कौशल, महाराणा प्रताप का अदम्य साहस और महाराणा अमर सिंह का अमर बलिदान भारत की सनातन परंपराओं, आत्मसम्मान और राष्ट्रबोध के उज्ज्वल स्तंभ हैं। मेवाड़ शैली के चित्र कला कृतियों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की जीवित स्मृतियाँ हैं, जो कालातीत होकर आज भी हमें प्रेरणा देती हैं।

ऐतिहासिक चेतना के पुनर्जागरण का काल

राज्यपाल ने कहा कि आज का समय ऐतिहासिक चेतना के पुनर्जागरण का काल है। संविधान के 75 गौरवपूर्ण वर्ष, सरदार वल्लभभाई पटेल एवं भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान वर्ष तथा वंदे मातरम् की 150 वर्षों की गौरवगाथा राष्ट्र-चेतना को नई ऊर्जा प्रदान कर रही है। यह समय हमें अपने इतिहास को केवल स्मरण करने का नहीं, बल्कि उसकी आत्मा को आत्मसात करने का अवसर देता है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने मेवाड़ न्यास द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि शंभूरत्न पाठशाला (1863) एवं प्रथम कन्या विद्यालय (1866) जैसी संस्थाएँ आज भी सैकड़ों बालिकाओं के सर्वांगीण विकास का आधार बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि महाराणा मेवाड़ चौरिटेबल फाण्डेशन, उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह जी द्वारा विद्यादान की परंपरा को आगे बढ़ाना वास्तव में प्रेरणादायी है।

छात्राओं को स्मृति-चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया

कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को स्मृति-चिह्न प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वे अपने ज्ञान, संकल्प और मूल्यबोध के बल पर प्रदेश, समाज और राष्ट्र का गौरव बढ़ाएँगी।

अपने संबोधन में राज्यपाल ने वर्तमान भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज का भारत आत्मनिर्भर, स्वावलंबी और स्वाभिमानी बनकर विश्व मंच पर एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभर रहा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने विदेश नीति, रक्षा, अंतरिक्ष, शिक्षा और कृषि सहित हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रतीक है।

जिस राष्ट्र के इतिहास में प्रकाश, उसके भविष्य में अंधकार नहीं

राज्यपाल ने कहा कि जिस राष्ट्र के इतिहास में प्रकाश होता है, उसके भविष्य में कभी अंधकार नहीं हो सकता। हमें अपनी विरासत, संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित और जीवंत बनाए रखना होगा।

इसके साथ ही राज्यपाल ने बालिकाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचाव हेतु उत्तर प्रदेश में निरंतर चल रहे निःशुल्क एचपीवी टीकाकरण अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने बच्चों एवं किशोरों से मोबाइल फोन के उपयोग न करने की अपील की।

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