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Meerut: नाले सफाई के दावे केवल दिखावटी, जलभराव ने खोली नगर निगम की पोल

मेरठ नगर निगम ने नाला सफाई और नाला निर्माण को लेकर बड़े-बड़े दावे किए लेकिन यह दावे धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। अभी भी नालों में सिल्वटे हैं और गंदगी के ढेर नालों में भटे पड़े हैं। आपको बता दें कि इन खतरनाक नालों से अभी तक कई मासूमों की जान भी जा चुकी है। लेकिन मेरठ नगर निगम है कि ध्यान देने को तैयार नहीं है। आपको बतो दें कि मेरठ में हुई बारिश ने नगर निगम की नाला सफाई की पूरी पोल खोल दी है। शहर के नाले से सटे इलाकों में जलभराव हो गया है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Meerut: नाले सफाई के दावे केवल दिखावटी, जलभराव ने खोली नगर निगम की पोल

मेरठ नगर निगम ने नाला सफाई और नाला निर्माण को लेकर बड़े-बड़े दावे किए लेकिन यह दावे धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। अभी भी नालों में सिल्वटे हैं और गंदगी के ढेर नालों में भटे पड़े हैं। आपको बता दें कि इन खतरनाक नालों से अभी तक कई मासूमों की जान भी जा चुकी है। लेकिन मेरठ नगर निगम है कि ध्यान देने को तैयार नहीं है। आपको बतो दें कि मेरठ में हुई बारिश ने नगर निगम की नाला सफाई की पूरी पोल खोल दी है। शहर के नाले से सटे इलाकों में जलभराव हो गया है।

वहीं बुनकर नगर और इस्लामाबाद में जलभराव के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। इतना ही नहीं दिल्ली रोड स्थित मोहकमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में भी जलभराव से लोग परेशान हो रहे हैं। फिलहाल सुबह शुरू हुई तेज बारिश ने मौसम को पूरी तरह बदल दिया है और इस बदलते मौसम के साथ बारिश से कई जगह पर जलभराव भी देखने को मिल रहा है।

आपको बता दें कि जहां नगर निगम शहर के 70 फीसदी नालों की सफाई का दावा कर रहा है। वहीं निगम की टीम दो करोड़ रुपये का डीजल और पेट्रोल सफाई के नाम पर फूंक चुकी है। बता दें कि नगर निगम करोड़ों रुपए सफाई में लगातार खर्च करने का दावा करता है। जबकि मेरठ स्वच्छ सर्वेक्षण में भी दूर-दूर तर नहीं दिखा। ऐसे में मेरठ स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो चुकी है जिसकी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक नाला सफाई भी रहा है।

ऐसे में नाला समस्या यहाँ के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है क्योंकि बरसात के मौसम में इन नालों से निकलने वाला गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है। लेकिन प्रत्येक साल संबंधित विभाग यही दावे करते हैं की बरसात से पहले इन नालों की पूरी सफाई कर दी जाएगी। परंतु हर बार उनके ये दावे सफेद हाथी बनकर केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं।

जिसके चलते अधिकारी नाला सफाई के नाम पर करोड़ रुपये हजम कर जाते हैं और डकार तक नहीं लेते हैं। ऐसे में स्थिति जस की तस बनी हुई है, परंतु सवाल वही है कि आखिर कब महानगर की जनता को इन नालों से होने वाली समस्या से निजात मिलेगी और कब सिस्टम अपने काम को ईमानदारी से करेगा।

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