लखनऊ में खनन घोटाले की बड़ी परतें विशाख जी अय्यर ने उजागर की हैं। बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBU) के पास स्थित ग्राम सरसंडा की भूमि पर दो अलग-अलग नामों से खनन की अनुमति ली गई। लेकिन जब जांच हुई तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
ग्राम सरसंडा की जमीन पर पहले से ही दिलीप कुमार के नाम से पर्यावरण स्वीकृति (EC) संख्या 9278, दिनांक 30.11.2024 को जारी थी। लेकिन इसी जमीन पर अश्वनी प्रताप सिंह ने अनुबंध के नाम पर नया खनन आवेदन दे दिया। जांच में पाया गया कि यह नियमों का उल्लंघन है।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि अश्वनी प्रताप सिंह द्वारा दाखिल किया गया आवेदन गलत और नियमविरुद्ध है। डीएम ने तुरंत यह आवेदन निरस्त कर दिया और SEIAA को पत्र लिखकर दिलीप कुमार की EC को रद्द करने की संस्तुति की।
इस पूरे प्रकरण में अजय सिंह नामक व्यक्ति द्वारा अधिकारियों पर खनन की अनुमति दिलाने का दबाव बनाया जा रहा था। डीएम की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि अजय सिंह दलाली कर रहा था। इसके आधार पर थाना कैसरबाग में अश्वनी प्रताप सिंह और अजय सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया गया।
डीएम विशाख जी की कार्रवाई से यह साफ हो गया कि खनन के नाम पर ब्रोकरेज नेटवर्क कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए अनुमति लेकर अवैध खनन में लगा है। अब पूरा नेटवर्क प्रशासन की रडार पर है और जल्द ही और लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।