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Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के अमरोहा संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अमरोहा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है और ज़िले का मुख्यालय भी है इसी के साथ ये गंगा नदी के समीप स्थित है। यह पहले मुरादाबाद ज़िले का ही एक हिस्सा था और 24 अप्रैल 1997 को नवगठित अमरोहा ज़िले के मुख्यालय के रूप में जाना गया। यह ज़िला बिजनौर ज़िले से दक्षिण, मुरादाबाद ज़िले के पश्चिम और मेरठ जिला, गाजियाबाद जिला तथा बुलंदशहर जिला के पूर्व में स्थित है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के अमरोहा संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अमरोहा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है और ज़िले का मुख्यालय भी है इसी के साथ ये गंगा नदी के समीप स्थित है। यह पहले मुरादाबाद ज़िले का ही एक हिस्सा था और 24 अप्रैल 1997 को नवगठित अमरोहा ज़िले के मुख्यालय के रूप में जाना गया। यह ज़िला बिजनौर ज़िले से दक्षिण, मुरादाबाद ज़िले के पश्चिम और मेरठ जिला, गाजियाबाद जिला तथा बुलंदशहर जिला के पूर्व में स्थित है। इस जिले को 15 अप्रैल 1997 को राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया, जिसका मुख्यालय अमरोहा नगर बना। इस नवनिर्मित जनपद में तीन तहसील सम्मिलित की गयी जिनमें अमरोहा, धनौरा, एवं हसनपुर आते हैं।

2011 की जनगणना के आंकड़ों के को देखें तो रामपुर की जनसंख्या 23 लाख से अधिक थी। यहां की 53.34 फीसदी जनसंख्या साक्षर है, इनमें पुरुषों की संख्या 61.40 फीसदी और महिलाओं की साक्षरता दर 44.44 प्रतिशत है। यहां करीब 16 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 8,72,084 पुरुष और 7,44,900 महिला वोटर्स हैं। इस क्षेत्र में कुल 50.57 % मुस्लिम आबादी है, जबकि 45.97 % हिंदू आबादी जनसंख्या है।

अमरोहा का संसदीय इतिहास

यहां के चुनावी इतिहास को देखें तो 1957-62 तक यहां कांग्रेस पार्टी ने व्जय पटाका लगाया, लेकिन इसके बाद 1967-71 के बीच यह सीट कम्युनिस्ट पार्टी के क्षेत्र में रही। फिर वर्ष 1977-80 तक यहां BLD पार्टी का बोलबाला रहा, और उसके बाद 1980 से 84 तक इस सीट पर जनता पार्टी का आधिपत्य रहा। 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की, और 1989 तक इस सीट पर कब्जा जमाए रखा। साल 1989-91 के बीच यह सीट जनता दल के हाथ में रही, और 2014 में हुए पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां वापसी की।

इस क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 5 सीटें आती हैं, जिनमें धनौरा, नौगावां सादत सीट, अमरोहा, हसनपुर व गढ़मुक्तेश्वर सीट शामिल है। अमरोहा संसदीय क्षेत्र से जीते भाजपा सांसद कंवर सिंह तंवर ने वर्ष 2014 में पहली बार सांसद के रूप में सत्ता में आए। उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट पर 2014 के आम चुनाव में भाजपा की तरफ से कंवर सिंह तंवर ने यह सीट अपने पाले में कर लिया। उन्हें 5,28,880 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहीं समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी हुमेरा अख्तर को 3,70,666 वोट मिले थे।

2019 में क्या रहा परिणाम

2019 के आम चुनाव में अमरोहा के इस सीट से बीएसपी के दानिश अली को 6,01,082 वोटों के साथ मैदान मारा था। उन्होंने इस सीट उम्मीदवार रहे भाजपा से सासंद कंवर सिंह तंवर को मात दिया था। 2014 के विजेता कंवर सिंह तंवर को इस चुनाव में 5,37,834 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस पार्टी के सचिन चौधरी के झोले में मात्र 12,510 वोट ही आए थे।

2024 में इस सीट से कौन-कौन हैं उम्मीदवार

भाजपा प्लस प्रत्याशी पार्टी की तरफ से कंवर सिंह तंवर को उम्मीदवार बनाया है
सपा प्लस गठबंधन ने दानिश अली के इस सीट से खड़ा किया है
बसपा ने इस सीट से मुजाहिद हुसैन को प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है।

दानिश अली के बारे में

कुँवर दानिश अली (जन्म 10 अप्रैल 1975) एक भारतीय राजनेता और 2019 से उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सदस्य रहे हैं । इनका जन्म हापुड़ में कुँवर जाफर अली और नफीस जाफर के मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 15 जनवरी 2005 को अली ने जुबिया दानिश से शादी की थी, जिनसे उनको एक बेटा और दो बेटियां हैं। इन्होंने अपना राजनीतिक करियर जनता दल (सेक्युलर) से शुरू किया और पार्टी के महासचिव के रूप में चुने गए। फिर 16 मार्च 2019 को, वह जनता दल (सेक्युलर) नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सहमति से बहुजन समाज पार्टी में आ गए ।

जातीय समीकरण क्या है इस सीट का

यहां पर बसपा पार्टी का जाटव और मुस्लिम समीकरण, जबकि सपा का यादव और मुस्लिम समीकरण ज्यादातर हावी बना रहता है। लेकिन भाजपा ने अपनी दाल गलाने के लिए और हिंदु समुदाय में जातीय दीवार को कमजोर करने के लिए और समुदाय को एकजुट करने के लिए बहुत काम कर रही है। ऐसे में नतीजे क्या बनते हैं, यह तो गिनती के बाद ही पता चलेगा।

अमरोहा क्यों प्रसिद्ध है?

अमरोहा संसदीय क्षेत्र, कृषि उत्पादों की मंडी होने के साथ-साथ कई और कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। यहां मुख्यतः हथकरघा वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, उद्योग व चीनी की मिलें हैं। इसके रेल मार्ग मुरादाबाद व दिल्ली से जुड़े हुए हैं। यहां महात्मा ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के साथ बरेली से संबंधित महाविद्यालयों के अलावा मुस्लिम पीर शेख़ सद्दू की दरगाह भी स्थित है। इसी का साथ ढोलक और आम के लिए भी अमरोहा प्रसिद्ध है।

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