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Lok Sabha Election 2024: ओमप्रकाश राजभर के दावे में कितनी सच्चाई, टूट जाएगी सपा?

महाराष्ट्र की स्थिति को देखकर अन्य राज्यों की क्षेत्रिय पार्टियां चौकन्नी हो गईं हैं। उनको डर है कि कहीं ऐसा न हो कि बीजेपी उनकी पार्टी के नाराज लोगों के अपने साथ न ले ले।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
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Lok Sabha Election 2024: ओमप्रकाश राजभर के दावे में कितनी सच्चाई, टूट जाएगी सपा?

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में सभी राजनीतिक पार्टियां जुट गईं हैं। सत्ताधारी बीजेपी चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गई है। एकबार फिर पीएम मोदी ने चुनाव के लिए कमान अपने हाथ में ले ली है, तो वहीं विपक्ष भी कहीं से पीछे नहीं दिखाई दे रहा है। हाल ही में कई क्षेत्रिय पार्टियां नीतीश कुमार के घर यानी कि बिहार में बैठक कीं। इस बैठक में कई प्रदेशों के पार्टी प्रमुख शामिल हुए।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस समेत कई प्रदेशों की क्षेत्रिय पार्टियां जहां बिहार में रणनीति बनाने में जुटीं थीं। तो ठीक बिहार के विपरीत महाराष्ट्र में बड़ा सियारी उलफेर हो गया। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में जिस तरीके से सियासी उठापटक हुआ है, एक बार फिर विपक्ष के खेमे में हलचल मच गई है। अभी हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी की कमान अपनी बेटी सुप्रिया शुले को सौंपी। उनके इस फैसले से सभी चौंके थे। क्योंकि सबको उम्मीद थी कि शरद पवार बेटी के अलावा भतीजे अजीत पवार को भी पार्टी में बड़ा पद देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

शरद पवार के इस फैसले के खिलाफ अजीत पवार ने बगावत कर दी। उन्होंने कुछ विधायकों और सांसदों के साथ शिंदे की सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अजीत पवार के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी कमजोर हो गई है। दावा तो ये भी किया जा रहा है कि अजीत पवार एनसीपी के चुनाव चिंह पर आगामी चुनाव लड़ेंगे।

महाराष्ट्र की स्थिति को देखकर अन्य राज्यों की क्षेत्रिय पार्टियां चौकन्नी हो गईं हैं। उनको डर है कि कहीं ऐसा न हो कि बीजेपी उनकी पार्टी के नाराज लोगों के अपने साथ न ले लें। बात करें यूपी की तो सभी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और कांग्रेस की निगाहें यूपी पर ही हैं। क्योंकि लोकसभा सीट के लिहाज से यूपी सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रिमो मायावती भी चुनाव की तैयारी में जुट गईं हैं।

यूपी में बीजेपी की स्थिति अच्छी मानी जा रही है। पिछले लोकसभी चुनाव में बीजेपी 62 सीट जीती थी। दो सीट अपना दल एस को मिली थी। बीएसपी को 10 सीटें मिली थी। सपा को सिर्फ 5 सीट मिली थी। जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली थी। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी क्यों यूपी में पूरी ताकत झोंक रही है। जबकि सपा की कोशिश है कि पिछलें आंकड़े को सुधारकर सीटों में बढ़ोतरी की जाए।

सपा को दो पहलुओं पर लड़ना होगा। एक पहलु तो सीधे चुनाव की रणनीति का है, तो दूसरा पहलू यह भी है कि पार्टी के लोगों को बीजेपी में जाने से रोकने की। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि बीजेपी कई बार शिवपाल यादव को साधने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई है। बीजेपी ने शिवपाल को साधने की उस वक्त सबसे ज्यादा कोशिश की थी जब अखिलेश के परिवार में मनमुटाव का दौर चल रहा था। लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति के तहत बयानबाजी का दौर चल रहा है।

मंगलवार को प्रेसवार्ता में शिवपाल से सवाल किया गया कि ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया कि सपा के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। इस पर शिवपाल यादव ने कहा कि हम उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। वह हमेशा से भाजपा के सम्पर्क में रहे हैं। वह कभी भाजपा से अलग थे ही नहीं। हमेशा बोलते ही रहते हैं और फिर जब चुनाव आते हैं तो उनकी दुकान फिर से चलनी शुरू हो जाती है।

शिवपाल के इस बयान का पलटवार करते हुए ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने चाचा शिवपाल यादव अपना एक पीएसपीएल (प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) नाम की दुकान खोलकर बैठे थे, चल नहीं पायी तो बंद कर दिये, खुद वजूद अपना मिटाकर जहां से जलील हुए वहीं चले गये। उन्होंने कई ट्वीट में कहा कि जब तक सपा में नहीं शामिल हुए थे चाचा श्री शिवपाल यादव जी, तब तक सपाई उनको भाजपा का ‘बी टीम’ ही मानते थे और सम्मान दूसरे जगह दिलाने के लिए चिट्ठी लिखते थे, जिस सम्मान को लेने गये आज तक वह सम्मान नहीं मिल पाया, न मिलेगा।

आरोप प्रत्यारोप अपनी जगह है, लेकिन अगर सच में ओमप्रकाश राजभर के संपर्क में सपा के विधायक हैं तो सपा को गंभीर होना पड़ेगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर सपा को बड़ा झटका दे सकते हैं। जिससे सीधा बीजेपी को फायदा होगा। उनके दावे में कितनी सच्चाई है ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा। अगर वो ऐसा करने में सफल हो गए तो सपा चुनाव में बिखर जाएगी और उसका भी हाल एनसीपी जैसा हो जाएगा।

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