बाराबंकी जिले के नगर पंचायत जैदपुर के इस्लामनगर मोहल्ले की तस्वीरें देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। यह नज़ारे किसी पिछड़े गांव के नहीं बल्कि नगर पंचायत का हिस्सा बने उस इलाके के हैं, जहां विकास के दावे तो खूब हुए लेकिन हकीकत में हालात बेहद बदतर हैं। इस्लामनगर को नगर पंचायत में शामिल हुए महीनों बीत गए, लेकिन सड़कों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती ही जा रही है।
बारिश होते ही सड़कें तालाब का रूप ले लेती हैं और कीचड़ इतना कि पैदल चलना भी कठिन हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते दस सालों में यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ। शिकायतों के बावजूद न तो कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा और न ही स्थिति में कोई सुधार आया। लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नगर पंचायत बनने के बाद तो हालात और भी खराब हो गए हैं, मानो इस्लामनगर को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही हो।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, खराब रास्तों के कारण स्कूल जाने वाले बच्चे और बाहर काम पर जाने वाले लोग अक्सर कीचड़ में फिसलकर गिर जाते हैं। बरसात में स्थिति और ज्यादा गंभीर हो जाती है। बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना भी बेहद मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि समस्या केवल टूटी सड़कों की नहीं है बल्कि उस व्यवस्था की है जो जनता की सुनती तो है, लेकिन समझती नहीं।
इस्लामनगर के लोग अब शिकायत और इंतज़ार करते-करते थक चुके हैं। हर बारिश के साथ उनकी उम्मीदें बह जाती हैं और बचता है सिर्फ कीचड़, गंदगी और परेशानी। सवाल अब यह है कि यहां की टूटी सड़कें पहले सुधरेंगी या लोगों का भरोसा हमेशा के लिए टूट जाएगा।