उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब ग्राम पंचायतों को आधार कार्ड बनाने और अपडेट करने का अधिकार दिया जाएगा। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सुविधा और पहचान सेवाओं को मजबूती मिलेगी।
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब हर ग्राम पंचायत स्तर पर आधार केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके संचालन की जिम्मेदारी पंचायत सहायकों को दी जाएगी। इससे गांवों के लोगों को अब शहर या तहसील के आधार केंद्रों तक नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि वे अपने ही पंचायत भवन में आधार से जुड़ी सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।
पंचायत सहायकों को दी जाएगी जिम्मेदारी
योगी सरकार ने आदेश जारी किया है कि ग्राम पंचायतों में कार्यरत पंचायत सहायक/डेटा एंट्री ऑपरेटर को ही इस कार्य की जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्हें आधार रजिस्ट्रेशन और अपडेट प्रक्रिया के लिए यूआईडीएआई (UIDAI) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।
योजना के पहले चरण में 1000 पंचायत सहायकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद उन्हें थर्ड पार्टी परीक्षा से गुजरना होगा। केवल वही पंचायत सहायक, जो यह परीक्षा सफलतापूर्वक पास करेंगे, उन्हें आधार नामांकन केंद्र चलाने की अनुमति दी जाएगी।
18 नवंबर को होगा MOU साइन
18 नवंबर को पंचायती राज विभाग और यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के बीच एक एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह समझौता ग्राम पंचायतों में आधार केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देगा।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहले चरण में उन्हीं ग्राम पंचायतों को प्राथमिकता दी जाएगी — जिनके सचिवालयों में कंप्यूटर, स्कैनर और इंटरनेट सुविधा पहले से उपलब्ध है। जहां पंचायत सहायक या ऑपरेटर डिजिटल कार्यों में दक्ष हैं। इससे परियोजना को तेजी और पारदर्शिता के साथ लागू करने में मदद मिलेगी।
ग्रामीण डिजिटल सुविधा को मिलेगा बढ़ावा
योगी सरकार का यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ को ग्रामीण स्तर पर सशक्त बनाने की दिशा में अहम है। अधिकारियों के अनुसार — “गांवों में आधार केंद्र बनने से सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन की प्रक्रिया और सरल हो जाएगी।”
योगी सरकार का यह फैसला न केवल ग्राम पंचायतों को सशक्त करेगा, बल्कि ग्रामीण जनता को डिजिटल सुविधाओं से जोड़ने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। आधार केंद्र अब गांव की चौपाल तक पहुंचेंगे, जिससे ग्रामीण विकास और शासन व्यवस्था दोनों में पारदर्शिता और गति आएगी।