उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जनपद गोरखपुर स्थित 26वीं पीएसी बटालियन, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र का भ्रमण किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत पौधरोपण किया। उन्होंने भोजनालय आदि का निरीक्षण करने के पश्चात रिक्रूट महिला आरक्षियों से संवाद किया। महिला आरक्षियों ने प्रशिक्षण के दौरान अपने अनुभव राज्यपाल जी के साथ साझा किए।
राज्यपाल ने संवाद के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश एक विशाल राज्य है, जिसमें 75 जनपद और 25 करोड़ से अधिक की जनसंख्या है। इन सभी की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखना आप सबकी जिम्मेदारी होगी। प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार के अभ्यास कराए जाते हैं, जिन्हें पूरी लगन और मेहनत से करना चाहिए। इससे हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रशिक्षण के दौरान महिला आरक्षियों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) नियमित रूप से जाँचा जाए तथा शरीर की आवश्यकता के अनुसार संतुलित आहार प्रदान किया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य सुरक्षा प्रबंधन सीखना, विभिन्न परिस्थितियों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित करना है। यही शिक्षा आगे चलकर प्रदेश व समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि सभी के लिए कानून समान है और जो व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेता है, उसके लिए दंड निश्चित है। जब कानून का कड़ाई से पालन होता है, तभी समाज में शांति स्थापित होती है।
राज्यपाल ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश में शाम 5ः00 बजे के बाद बेटियां बाहर निकलने से डरती थीं, लेकिन आज कानून-व्यवस्था का मजबूत ढांचा होने से महिलाएं रात 12ः00 बजे भी निडर होकर आवागमन कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं पुलिस, सेना और विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की दो बहादुर बेटियों के साहस को पूरे देश ने देखा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित राष्ट्र का जो संकल्प लिया है, उसमें बेटियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।भोजनालय के निरीक्षण के संबंध में राज्यपाल ने कहा कि वहाँ सभी व्यवस्थाएँ संतोषजनक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि आप सब मिलकर पंद्रह दिन या एक माह में एक दिन स्वयं खाना बनाएं और सामूहिक रूप से भोजन करें। इससे आपसी सहयोग और सामूहिकता की भावना का विकास होगा।
राज्यपाल ने कहा कि जेलों के निरीक्षण के दौरान ज्ञात होता है कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में बड़ी संख्या में कैदी बंद हैं। यह समाज की गंभीर बुराई है, इसे समाप्त करने के लिए हम सबको आगे आना होगा। आज बेटियां आत्मनिर्भर हो रही हैं और दहेज लोभियों से विवाह करने से मना कर रही हैं, यह समाज में एक बड़ा परिवर्तन है।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में विभिन्न सामाजिक और सामयिक विषयों पर भी चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के बेटे, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, अंतरिक्ष से सफलतापूर्वक लौटे हैं। पूरा देश उनका स्वागत कर रहा है और मुझे आशा है कि शीघ्र ही अंतरिक्ष यात्रा में उत्तर प्रदेश की कोई बेटी भी शामिल होगी। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित रहे।