1. हिन्दी समाचार
  2. गोरखपुर
  3. Gorakhpur News: बिना नोटिस और मुआवजे के घर गिराने बुलडोजर लेकर पहुंची GDA की टीम, लोगों ने किया विरोध

Gorakhpur News: बिना नोटिस और मुआवजे के घर गिराने बुलडोजर लेकर पहुंची GDA की टीम, लोगों ने किया विरोध

किसानों की मांग है कि जब तक मुआवजे की राशि को तय नहीं किया जाएगा, तब तक वो यहां काम शुरू नहीं होने देंगे। इसी को लेकर पिछले तीन महीने से किसान और जीडीए के बीच तनातनी का मामला चल रहा है।

By: Satyam Dubey  RNI News Network
Updated:
Gorakhpur News: बिना नोटिस और मुआवजे के घर गिराने बुलडोजर लेकर पहुंची GDA की टीम, लोगों ने किया विरोध

सीएम योगी आदित्यनाथ सूबे के विकास के लिए कहीं से भी कोई कमी नहीं होने दे रहे हैं। सभी 75 जिलों में विकास कार्य तेजी से चल रहा है। इसी कड़ी में सीएम योगी का गृह जिला गोरखपुर है। यहां भी विकास हो रहा है। सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट खोराबार टाउनशिप ऐंड मेडिसिटी योजना भी चल रही है। लेकिन अभी इस योजना में काफी पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि इसको लेकर किसानों और जीडीए के बीच तनातनी चल रही है।

आपको बता दें कि पिछले 3 मार्च से यहां मुआवजे को लेकर किसानों और जीडीए के बीच खींचतान की स्थिति बन गई है। जिसका समाधान होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। पिछले तीन दिनों से जीडीए की टीम भूमि अधिग्रहण के लिए जाती तो यहां किसानों और स्थानीय नागरिकों का विरोध झेलना पड़ता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण चाह रही है कि जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाए। लेकिन किसानों और वहां के लोगों के बीच समन्वय नहीं बन पा रहा है।

किसानों की मांग है कि जब तक मुआवजे की राशि को तय नहीं किया जाएगा, तब तक वो यहां काम शुरू नहीं होने देंगे। इसी को लेकर पिछले तीन महीने से किसान और जीडीए के बीच तनातनी का मामला चल रहा है। किसानों के साथ ही स्थानीय लोग भी विरोध कर रहे हैं। क्योंकि लोग यहां जमीन खरीद कर घर बना लिए हैं, ऐसे लोगों का भी विरोध जारी है। इन लोगों ने मुआवजे की राशि और अनधिकृत रूप से घरों को गिराए जाने को लेकर विरोध किया।

किसानों और स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है। इसके बाद भी सोमवार को गोरखपुर विकास प्राधिकरण की टीम बुलडोजर लेकर खोराबार पहुंची। जहां किसानों और स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। जब जीडीए की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची तो स्थानीय महिलाएं बुलडोजर के आगे लेट गईं, और वापस जाओ के नारे लगाते हुए विरोध किया। विवश होकर एक बार फिर जीडीए की टीम को वापस लौटना पड़ा।

वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि पंद्रह-बीस साल से हम लोग यहां मकान बनाकर रह रहे हैं। बिना किसी नोटिस या सूचना के जीडीए हमारे मकानों पर बुलडोजर चला रही है। उन्होंने जीडीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि न तो हमें कोई लीगल नोटिस दी गई और न ही कोई मुआवजे की राशि तय हुई।

दूसरी ओर जीडीए के चीफ इंजीनियर किशन सिंह का कहना है कि फिलहाल वही मकान ढहाए जा रहे हैं जो खाली है और उनमें ताला लगा हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि क्या जिस मकान में ताला लगा रहेगा या कोई नहीं रह रहा होगा तो उसको ढहा दिया जाएगा यह तो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है तो उनका कहना था कि नहीं ऐसा नहीं है जिन मकानों को चिन्हित किया गया है। जहां वर्षों से कोई नहीं रहा है उन्हीं को ढहाया जाएगा। किसानों के मुआवजे को लेकर उन्होंने कहा कि बातचीत चल रही है, जो रेट तय किया गया है उसी आधार पर उन्हें मुआवजा मिलेगा। हालांकि किसान अपने हिसाब से रेट बता कर उसके चार गुना मुआवजे की मांग रहे हैं।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें गूगल न्यूज़, फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...