जालौन के उरई स्थित जिला कारागार में अपर जिला जज पारुल पंवार ने औचक निरीक्षण कर जेल में बंद बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। अपने दौरे के दौरान उन्होंने जेल परिसर, बैरकों और अन्य व्यवस्थाओं का गहन निरीक्षण किया और बंदियों से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याएं जानीं। निरीक्षण का उद्देश्य न केवल जेल के माहौल और सुविधाओं को जांचना था, बल्कि बंदियों की स्थिति को बेहतर ढंग से समझना और सुधारात्मक उपायों की दिशा में काम करना भी था।
अपर जिला जज ने इस निरीक्षण के दौरान जेल प्रशासन को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिए, ताकि बंदियों को मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया में भी उचित सहायता मिल सके। उन्होंने विशेष रूप से साफ-सफाई, भोजन, चिकित्सा सुविधाएं और बंदियों के साथ व्यवहार को लेकर सख्त निर्देश दिए। उनका कहना था कि जेल में रहने वाले बंदियों को भी संविधान प्रदत्त अधिकार और न्याय की सुविधा मिलनी चाहिए।
निरीक्षण के बाद जेल परिसर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसमें बंदियों को उनके कानूनी अधिकार, मुफ्त कानूनी सहायता, जमानत प्रक्रिया, और न्यायिक सहायता की उपलब्धता जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस शिविर का उद्देश्य बंदियों को न्यायिक व्यवस्था के प्रति जागरूक करना और उन्हें यह बताना था कि कानूनी सहायता पाने के लिए किन माध्यमों से संपर्क किया जा सकता है।
शिविर के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि जेल में रहना किसी भी व्यक्ति के जीवन का अंत नहीं है, बल्कि एक नया मौका है—पुनर्वास और आत्म-सुधार का। बंदियों ने भी शिविर के आयोजन की सराहना की और अपनी समस्याएं खुलकर साझा कीं।
अपर जिला जज पारुल पंवार का यह दौरा जेल सुधार और बंदियों के कल्याण की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल जेल व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी।