वाराणसी जिला मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्रदेश सरकार द्वारा 5000 सरकारी विद्यालयों को बंद किए जाने के विरोध में आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के नाम ज्ञापन सौंपा और मांग की कि गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ न किया जाए।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप था कि जिन स्कूलों को बंद किया जा रहा है, उनमें से अधिकांश कांग्रेस शासन में शुरू किए गए थे ताकि समाज के गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि योगी-मोदी सरकार का यह कदम गरीबों और कमजोर तबकों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला तानाशाही और असंवेदनशील रवैये का उदाहरण है। प्रदेश में पहले से ही शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है, ऐसे में स्कूल बंद करना बच्चों के लिए संकट पैदा करेगा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि गरीब परिवार अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में कराने में सक्षम नहीं हैं, इसीलिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूल ही उनके बच्चों के भविष्य का सहारा हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि यह फैसला समाज के कमजोर तबके को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है। अगर सरकार 5000 स्कूल बंद करती है, तो लाखों गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो जाएंगे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि इससे पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, जिसे कांग्रेस किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि वह प्रदेश सरकार को निर्देश दें कि गरीब बच्चों के हित में स्कूल बंद करने का फैसला तुरंत वापस लिया जाए। कांग्रेस ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे को मजबूती से उठाया जाएगा।
ज्ञापन सौंपने के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी भी की और कहा कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार संविधान से मिला है, सरकार इसे छीनने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों को बंद करना समाज में और भी ज्यादा असमानता पैदा करेगा और इसका असर आने वाले समय में पूरे देश पर पड़ेगा।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि गरीब और कमजोर वर्गों के लिए सरकारी स्कूल ही एकमात्र उम्मीद हैं। अगर ये भी बंद हो जाएंगे तो शिक्षा का सपना उनके लिए खत्म हो जाएगा। कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को निजीकरण की ओर धकेलने का आरोप भी लगाया और कहा कि सरकार शिक्षा को व्यापार बना रही है, जबकि यह हर बच्चे का अधिकार होना चाहिए।