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Lucknow : सीएम योगी ने की नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक

Lucknow : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल संरक्षण और भूजल रिचार्जिंग को जनांदोलन बनाने पर जोर देते हुए चेकडैम, तालाब और ब्लास्टकूप के निर्माण व जीर्णोद्धार के निर्देश दिए।सरकार के प्रयासों से सिंचन क्षमता में वृद्धि हुई है और अतिदोहित क्षेत्रों की संख्या में कमी आई है।रेन वाटर हार्वेस्टिंग, मत्स्य पालन और रोजगार सृजन को भी जल प्रबंधन से जोड़ने पर बल दिया गया।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : सीएम योगी ने की नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) के कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री  ने कहा कि जल संकट आज हमारी सामूहिक चिन्ता का विषय बन चुका है। चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप वर्षा जल को रोककर धीरे-धीरे उसे भूमि में समाहित होने देते हैं। यह केवल स्थानीय प्राथमिकता नहीं है बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता है। चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप केवल पानी रोकने की व्यवस्था नहीं बल्कि समेकित जल प्रबन्धन है, जो बड़े बांधों की तुलना में काफी किफायती है। ’एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की तर्ज पर जनांदोलन बनाते हुए चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न भागों में स्थानीय, बरसाती नदी-नालों में विभाग द्वारा 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया जा चुका है। प्रत्येक चेकडैम से औसतन 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित होती है। इस प्रकार निर्मित चेकडैमों से कुल 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई है। प्रत्येक वर्ष 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है। इन प्रयासों से अन्नदाता किसान वर्ष में दो से तीन फसल उत्पन्न करने में सक्षम हुए हैं।

वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार कदम उठा रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग और मरम्मत कर उनकी क्षमता में वृद्धि की गई है। इसी तरह प्रदेश के 01 से 05 हेक्टेयर क्षेत्रफल के 16,610 तालाबों में से 1,343 तालाबों का पुनर्विकास और जीर्णोद्धार किया गया है, वहीं वर्ष 2017-2025 तक 6192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हुई है।

मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि प्रत्येक वर्ष वर्षाकाल से पूर्व अर्थात् 01 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाब से निःशुल्क मिट्टी निकालने की छूट दी जाए, ताकि तालाब रिचार्ज के लिए तैयार हो सकें। बरसात के पश्चात इन्हें मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन के लिए उपयोग में लाकर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा।

वर्ष 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे। सतत् प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं, यह संतोषजनक स्थिति है। इस दिशा में और तेजी लाकर आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास होना चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे “एक पेड़ माँ के नाम“ अभियान ने वृक्षारोपण को जनांदोलन का रूप दिया है, वैसे ही चेकडैम और तालाब निर्माण का कार्य भी सामूहिक प्रयासों से बड़े स्तर पर संचालित किया जाए। यह न केवल जल संकट से निपटने में सहायक होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों का फोटोग्राफिक डॉक्यूमेन्टेशन कराया जाए। जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अभियान चलाया जाए। जल संरक्षण और भूजल रिचार्जिंग को लेकर प्रदेश सरकार का संकल्प अटल है और इसे समाज की भागीदारी से एक सफल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

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