बलिया जिले के चितबड़ागांव में सरयू नदी पर सेतु निगम द्वारा लगभग दो वर्ष पूर्व 17 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से एक पुल का निर्माण किया गया था। लेकिन विडंबना यह है कि आज तक उसका अप्रोच मार्ग नहीं बन पाया है। नतीजा यह है कि स्थानीय लोग, स्कूली छात्र, महिलाएं, बुजुर्ग और व्यापारी मजबूरी में बांस-बल्ली से बनाई गई सीढ़ियों के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं।व्यापारी दूध के टैंक और गन्ने जैसे भारी सामान कंधों पर उठाकर उतार-चढ़ाव करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, अब तक कई बार लोग सीढ़ियों से फिसलकर घायल भी हो चुके हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार सेतु निगम के अधिकारियों से अप्रोच मार्ग बनाने की शिकायत की, लेकिन उन्हें न तो कोई संतोषजनक जवाब मिला और न ही कार्य शुरू हुआ। स्थानीय व्यापारी ने बताया, “हम रोज कंधों पर इतना भारी सामान लेकर उतरते-चढ़ते हैं। डर तो लगता है, लेकिन रोजी-रोटी की मजबूरी है। यही एकमात्र रास्ता है।” करीब 10 लाख की आबादी इस पुल पर निर्भर है, लेकिन अप्रोच मार्ग न होने से कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
पूरा मामला सामने आने पर बलिया के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने स्वीकार किया कि पुल का निर्माण अभी अधूरा है और अप्रोच मार्ग न बनने की वजह से लोग असुरक्षित तरीके से आ-जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेतु निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जब तक पुल और अप्रोच मार्ग का कार्य पूरा न हो, तब तक लोगों की आवाजाही को रोका जाए, क्योंकि इससे दुर्घटना का खतरा है।
डीएम ने यह भी कहा कि अप्रोच मार्ग न बनने के पीछे तकनीकी समस्या है। पुल जितना लंबा बनाया जाना चाहिए था, उतना सेंक्शन नहीं मिला। उन्होंने पूरे मामले की फाइल और दस्तावेज शासन में भेजे हैं ताकि जल्द से जल्द समस्या का समाधान हो और अप्रोच मार्ग का निर्माण शुरू हो सके।करोड़ों की लागत से बना यह पुल ग्रामीणों के लिए राहत की जगह मुसीबत बन गया है। स्थानीय लोग मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि इस अधूरे प्रोजेक्ट को तत्काल पूरा कराया जाए, ताकि उनकी जान पर मंडरा रहा खतरा समाप्त हो सके।