उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या जनपद में पौराणिक नदी तिलोदकी गंगा (त्रिलोचना) के पुनरुद्धार का कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है। लोक मान्यता के अनुसार, ऋषि रमणक की तपस्या के फलस्वरूप इस नदी का प्रादुर्भाव हुआ था, जिसका उद्गम स्थल पंडितपुर गांव के पास स्थित माना जाता है। धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNERGA) के सहयोग से इस ऐतिहासिक नदी को पुनर्जीवित करने की पहल शुरू की है।
करीब 25 किलोमीटर में फैली इस नदी में 11 किलोमीटर क्षेत्र का पुनरुद्धार कार्य पूरा हो चुका है। अब तक 43,703 मानव दिवसों का सृजन कर लगभग 3,100 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। नदी के दोनों तटों पर 10,000 से अधिक पौधे रोपे जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा। धार्मिक दृष्टि से यह नदी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां भादों मास की अमावस्या को मेले का आयोजन होता रहा है। नदी के लुप्त होने से यह परंपरा बाधित थी, लेकिन पुनरुद्धार के बाद फिर से धार्मिक आयोजन शुरू होने की उम्मीद है।
तिलोदकी गंगा के पुनरुद्धार से न केवल जल प्रवाह बहाल होगा, बल्कि भूजल स्तर में सुधार आएगा, जिससे सिंचाई और कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, जलभराव की समस्या से प्रभावित ग्रामीण और शहरी इलाकों को राहत मिलने की संभावना है। पौधरोपण के जरिये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
इसी के साथ, अयोध्या में वैदिक वनों की स्थापना की एक अनूठी योजना पर भी कार्य हो रहा है। जिले की 58 ग्राम पंचायतों में लगभग 5 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है। इन वनों को रामायण कालीन ऋषियों और प्रख्यात विदुषियों के नाम पर समर्पित किया जाएगा, जैसे वशिष्ठ, अगस्त्य, वाल्मीकि, गार्गी, मैत्रेयी आदि। इनमें अर्जुन, पीपल, बरगद, सहजन, नीम जैसी देशी प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे।
मनरेगा और राज्य वित्त की मदद से इन वनों की स्थापना में 2,50,000 मानव दिवस सृजित होंगे, जिसमें से अब तक 35,000 मानव दिवस पूरे हो चुके हैं और 2,000 परिवारों को रोजगार मिला है। इन वैदिक वनों से वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास मिलेगा और ऑक्सीजन बैंक जैसी अवधारणा भी विकसित होगी।
यह परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “संस्कृति, प्रकृति और समृद्धि” की अवधारणा को जमीन पर उतारने का सशक्त उदाहरण है। धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से यह पुनरुद्धार परियोजना बहुआयामी लाभ देने वाली है। तिलोदकी गंगा का पुनरुद्धार न सिर्फ अयोध्या की आध्यात्मिक धरोहर को फिर से जीवंत कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित और स्वच्छ भविष्य की आधारशिला भी रख रहा है।