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LS Election 2024: वोट ध्रुवीकरण के चलते बरेली सीट भाजपा के नाम! 2010 के दंगों को नहीं भूले लोग

LS Election 2024: बरेली के लोग, 2010 में हुए दंगों के जख्म को भूल नहीं पा रहे हैं। जब अराजक तत्वों ने शहर के माहौल को बिगाड़ कर 27 दिनों तक लोगों के स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ किया। इसी बात को लेकर सीएम योगी ने कई बार बरेली के जनसभा को संबोधित करते हुए कहा भी है कि पिछली सरकारें यहां दंगे करवाती थी पर जब से यहां 2017 में भाजपा सरकार का आगमन हुआ है तबसे यहां शांति व्यवस्था बनी हुई है।

By: Desk Team  RNI News Network
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LS Election 2024: वोट ध्रुवीकरण के चलते बरेली सीट भाजपा के नाम! 2010 के दंगों को नहीं भूले लोग

LS Election 2024: बरेली के लोग, 2010 में हुए दंगों के जख्म को भूल नहीं पा रहे हैं। जब अराजक तत्वों ने शहर के माहौल को बिगाड़ कर 27 दिनों तक लोगों के स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ किया। इसी बात को लेकर सीएम योगी ने कई बार बरेली के जनसभा को संबोधित करते हुए कहा भी है कि पिछली सरकारें यहां दंगे करवाती थी पर जब से यहां 2017 में भाजपा सरकार का आगमन हुआ है तबसे यहां शांति व्यवस्था बनी हुई है।

बरेली संसदीय सीट भारतीय जनता पार्टी का किला माना जाता है। वर्तमान में यहां के दोनों लोकसभा सीट बरेली और आंवला से भाजपा के सांसद आसीन हैं। वहीं 9 विधानसभा में से 7 सीटों पर भाजपा का आधिपत्य है। यहां से महापौर भी बीजेपी से ही हैं और जिला अध्यक्ष भी। कल मंगलवार को यहां के दोनों सीटों पर आम चुनाव 2024 के तहत मतदान हुआ। ऐसे में बरेली के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में वोटिंग का क्रेज ज्यादा देखने को मिला।

मुस्लिम आबादी ज्यादा होने पर भी मुस्लिम प्रत्याशी की जीत नहीं

इन दोनों संसदीय सीट से 35 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बाद भी पिछले 40 सालों से मुस्लिम प्रत्याशी की जीत नहीं हो पाई है। ऐसे में आम चुनाव 2024 में प्रमुख पार्टियों ने यहां मुस्लिम समाज से प्रत्याशी को मैदान पर उतारा ही नही। भाजपा से छत्रपाल गंगवार मैदान में हैं, बसपा ने यहां से पूर्व विधायक छोटेलाल गंगवार को मैदान पर उतारा, पर उनका नामांकन ही निरस्त हो गया। सपा और कांग्रेस का गठबंधन हैं, जहां सपा ने पूर्व सांसद प्रवीण एरन को मैदान पर बाजी मारने के लिए उतारा है।

बरेली से पहला संसदीय चुनाव 1952

1952 के पहले लोकसभा चुनाव में यहां बरेली की सीट पर कांग्रेस के संतीश चंद्र विजय की जीत हुई। दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस की जीत हुई, लेकिन 1962 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ से बृजराज सिंह सांसद बने। 1967 के लोकसभा चुनाव में फिर से जनसंघ ने बाजी मारी, लेकिन प्रत्याशी बदल गया। 1967 के चुनाव में बृजभूषण लाल सांसद बने।

1980 में पहली बार मुस्लिम प्रत्याशी की जीत

बरेली सीट पर फिलहाल अभी तक तीन बार ही मुस्लिम प्रत्याशी की जीत हुई है। इससे पहले 1971 में कांग्रेस की जीत हुई और संतीष चंद्र दूसरी बार सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता दल के राममूर्ति ने कांग्रेस को शिकस्त दी और सांसद बने। 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने पहली बार यहां मुस्लिम को प्रत्याशी बनायाऔर मिसरयार खान ने 1980 में जीत दर्ज की, अगले साल 1981 में कांग्रेस की आबिदा बेगम ने जीत दर्ज की। 1984 में फिर आबिदा बेगम सांसद बनीं।

2019 के आम चुनाव की स्थिति

बरेली लोकसभा सीट पर अभी तक सपा और बसपा का खाता नहीं खुल पाया है। वहीं पिछले साढ़े 3 दशक में यहां सिर्फ कांग्रेस पार्टी को 2009 में ही जीत मिली। जहां भाजपा के संतोष गंगवार कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन से हार चुके हैं।

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 52.91 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। ऐसे में भाजपा के संतोष गंगवार को 5 लाख 65 हजार 270 वोट मिले। उल्लेखनीय है कि सपा और बसपा का 2019 में गठबंधन था, जिसमें सपा के भगवत सरण गंगवार को 3 लाख 97 हजार 988 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रवीण ऐरन सिर्फ 74206 वोट ही हासिल कर पाए थे। भाजपा ने 2019 के चुनाव में 1 लाख 67 हजार 282 वोटों से जीत मिली थी।

मंगलवार को बरेली लोकसभा सीट पर पड़े वोट

BARELLY TUESDAY VOTING PERCENTAGE loksabha election 2024

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