बहराइच के पयागपुर क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। यहां के सेंट जेबीएस जैसे कई कॉन्वेंट स्कूल संचालक अपने मनमाने ढंग से फीस वसूली के साथ अभिभावकों और बच्चों पर अनुचित दबाव बना रहे हैं। प्रदेश सरकार शिक्षा नीति में निरंतर सुधार कर रही है, लेकिन स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी इन समस्याओं पर मौन साधे हुए हैं, जिससे अभिभावकों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
सरकारी स्कूलों में जहां शिक्षा, किताबें, यूनिफॉर्म और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं, वहीं प्राइवेट स्कूल संचालक भारी फीस के अलावा महंगी किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य खर्चे भी लगाकर अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं। पयागपुर के अभिभावक इस मनमानी से बहुत परेशान हैं क्योंकि कई बार बच्चों को फीस न जमा करने पर स्कूल में अनुशासनहीनता की सजा के तौर पर हाथ उठाकर डांट-फटकार सहनी पड़ती है।
यहां की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई बच्चों को भारी भारी किताबों और ज़्यादा वजन वाली बैग की वजह से शारीरिक तकलीफें भी होने लगी हैं। छोटे बच्चों की कंधे और पीठ पर यह भारी बोझ उनकी सेहत को प्रभावित कर रहा है। अभिभावकों ने इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों को शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रदेश सरकार की तरफ से लगातार शिक्षा व्यवस्था में सुधार और बेहतर बनाने की नीति बनाई जा रही है। सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों पर भी कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि अभिभावकों और बच्चों को इस तरह के मनमाने व्यवहार से बचाया जा सके। हालांकि, पयागपुर जैसे क्षेत्रों में सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह समस्या बनी हुई है और बच्चों के साथ अन्याय जारी है।
पयागपुर के अभिभावक चाहते हैं कि प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी पर तत्काल लगाम लगाई जाए। बच्चों को शिक्षा का सही अधिकार मिले और वे बिना डर-डराकर पढ़ाई कर सकें। इसके लिए प्रदेश सरकार को न केवल सख्त निर्देश जारी करने होंगे, बल्कि स्थानीय प्रशासन को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। साथ ही, स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाना जरूरी है।
अभिभावक यह भी मांग कर रहे हैं कि भारी किताबों और असामयिक फीस वसूली पर रोक लगाई जाए। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनकी पढ़ाई के लिए सुविधाजनक और हल्का शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही फीस निर्धारण और वसूली के लिए पारदर्शिता जरूरी है, ताकि अभिभावकों को अनावश्यक आर्थिक दबाव न झेलना पड़े।
पयागपुर में यह समस्या न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर कदम उठाएगी और प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को खत्म करने के लिए प्रभावी कार्रवाई करेगी ताकि हर बच्चे को सम्मान और सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई का अवसर मिल सके।