लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चल रही चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों को लेकर चुनाव आयोग और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने सदन में कहा कि उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर “वोटिंग में धांधली नहीं, बल्कि वोट की डकैती” की गई है।
अखिलेश यादव ने सबसे पहले रामपुर उपचुनाव का मुद्दा उठाते हुए कहा- “जिस दिन वोटिंग हो रही थी, उसी दिन पुलिस और प्रशासन पूरी कोशिश कर रहे थे कि कोई भी वोटर घर से बाहर न निकल सके। पहली बार बीजेपी वहां चुनाव जीती थी। हमने हर घटना चुनाव आयोग को बताई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।” उन्होंने दावा किया कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खुला खिलवाड़ है और चुनाव आयोग को इन घटनाओं पर सख्त निर्णय लेना चाहिए था।
चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने सत्ता पक्ष पर तंज कसते हुए कहा- “एक समय था जब हम कांग्रेस से लड़ते थे। आज आपसे लड़ रहे हैं। जहां से आपने कम्यूनल माहौल तैयार किया था, उसी अयोध्या से हमारी पार्टी के अवधेश प्रसाद जीते हैं।” उन्होंने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने की कोशिशें हो रही हैं।
अखिलेश ने बीते एक वर्ष में उत्तर प्रदेश में हुए अन्य उपचुनावों का जिक्र भी किया। उन्होंने आरोप लगाया-
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर प्रशासनिक दबाव और धांधली की शिकायतें नजर आईं।
फर्रूखाबाद लोकसभा सीट (2024) के चुनाव में “रिजल्ट बदलने के लिए लाठीचार्ज कराया गया, बिजली बंद कराई गई और मतगणना प्रभावित की गई।”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसे तरीके बेहद चिंताजनक हैं।
अखिलेश यादव ने सदन में कहा- “जितने भी उपचुनाव हुए, वहां वोट चोरी नहीं बल्कि वोट की डकैती हुई है।” उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि चुनाव के दौरान सभी दलों को बराबर का स्पेस दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि-
सोशल मीडिया पर विपक्ष की छवि खराब करने में भारी पैसा खर्च किया जा रहा है
भाजपा इस पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है
सोशल मीडिया की पारदर्शिता पर भी उन्होंने सवाल उठाए।
अखिलेश यादव ने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि- “चुनाव से पहले महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये भेजे गए। यह उचित नहीं है। एक तरफ आप पैसा देकर माहौल बना रहे हैं और दूसरी तरफ किसी अन्य योजना पर रोक लगा देते हैं।” उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार तभी संभव है, जब चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष और स्वतंत्र होकर काम करे।
लोकसभा में अखिलेश यादव के बयान के बाद-
SIR,
उपचुनावों की पारदर्शिता,
चुनाव आयोग की भूमिका,
सोशल मीडिया पर खर्च,
प्रशासनिक दखल
जैसे मुद्दे एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में आ गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक तापमान और बढ़ने की संभावना है।