वाराणसी के निकट स्थित साहूपुरी गांव में स्थित महर्षि वेदव्यास मंदिर श्रद्धा, आस्था और पौराणिक महत्व का केंद्र है। इस मंदिर का संबंध सीधे महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद वेदव्यास जी अत्यंत व्यथित और शांत मन से काशी आए थे। उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए, लेकिन उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। यह उनके लिए गहरी पीड़ा का कारण बना।
कई दिनों तक बिना अन्न-जल के रहने के बाद जब उन्हें कोई आत्मिक संतोष नहीं मिला, तो उन्होंने क्रोध में आकर भगवान विश्वनाथ को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि अब भक्तों को बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन का फल नहीं मिलेगा। इस श्राप के बाद वे साहूपुरी के सुंदरवन क्षेत्र में एकांत तपस्या में लीन हो गए। यह स्थान ही आज का महर्षि वेदव्यास मंदिर है।
बाबा विश्वनाथ ने स्थिति को सुधारने के लिए देवी अन्नपूर्णा को वेदव्यास जी के पास भेजा। उन्होंने साधारण वेश में 56 प्रकार के व्यंजन तैयार कर वेदव्यास जी को अर्पित किए। लेकिन वेदव्यास जी ने देवी को पहचान लिया और प्रसाद लौटा दिया। इसके पश्चात भगवान गणेश ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें शांत किया। तभी जाकर वेदव्यास जी का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने बाबा विश्वनाथ को श्राप से मुक्त कर दिया।
महर्षि वेदव्यास ने इसके बाद भगवान गणेश को महाभारत लिखने का आदेश दिया और स्वयं उस रचना के लिए मार्गदर्शक बने। इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां स्थापित शिवलिंग के सामने नंदी नहीं है, जो कि आमतौर पर शिव मंदिरों में होता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि यह शिवलिंग स्वयं वेदव्यास जी द्वारा स्थापित किया गया था और उनकी भक्ति इतनी प्रबल थी कि शिव स्वयं यहां प्रकट हुए थे।
यह मंदिर विशेष रूप से श्रावण मास के हर सोमवार को श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता है। सावन में यहां विशेष रुद्राभिषेक और पूजा-पाठ होता है, जिसमें बिहार, झारखंड, गया और पूर्वी उत्तर प्रदेश के हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
मंदिर परिसर में वेदव्यास जी का समाधि स्थल भी मौजूद है। यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि जैसे ही वे मंदिर में प्रवेश करते हैं, उन्हें एक अलौकिक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऐसी मान्यता है कि काशी विश्वनाथ के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं माने जाते जब तक श्रद्धालु महर्षि वेदव्यास मंदिर में जाकर दर्शन नहीं कर लेते। इसीलिए काशी आने वाले श्रद्धालु विश्वनाथ धाम के बाद साहूपुरी में स्थित वेदव्या