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Meerut : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का 37वाँ दीक्षांत समारोह राज्यपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ

Meerut : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के 37वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 187 विद्यार्थियों को 1,19,907 उपाधियाँ और 245 पदक वितरित किए।राज्यपाल ने विद्यार्थियों को नशा और ड्रग्स से दूर रहने, सकारात्मक सोच अपनाने और ज्ञान व कौशल का समाज एवं राष्ट्र हित में उपयोग करने का संदेश दिया।विश्वविद्यालय को नशा मुक्त बनाने, स्मार्ट क्लासेस स्थापित करने और छात्रावास, पुस्तकालय व स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करने के निर्देश दिए गए।

By: Desk Team  RNI News Network
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Meerut : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का 37वाँ दीक्षांत समारोह राज्यपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ का 37वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ।दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने 187 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को कुल 1,19,907 उपाधियों तथा 245 पदकों का वितरण किया।इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई और शुभकामनाएँ दीं और कहा कि पदक केवल धातु के चिह्न नहीं हैं, बल्कि विद्यार्थियों की अथक मेहनत, अनवरत साधना और उज्ज्वल भविष्य की चमक का प्रतीक हैं। इन पर अंकित है श्रम का तेज, संकल्प की शक्ति और ज्ञान की उज्ज्वल ज्योति। उन्होंने कहा कि आज जो उपाधि प्राप्त हो रही है, वह केवल डिग्री का प्रमाण-पत्र नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों के दायित्वों की स्मृति है। यह आपसे अपेक्षा करती है कि आप अपने ज्ञान और कौशल को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि उसे जनहित और राष्ट्रहित की दिशा में समर्पित करें।

 

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को ड्रग्स मुक्त और नशा मुक्त बनाने के लिए निर्देश दिया और कहा कि प्रधानमंत्री का सबसे अधिक भरोसा युवाओं पर है। उन्होंने विद्यार्थियों को सचेत करते हुए कहा कि उन्हें देश ही नहीं, बल्कि विश्व का नेतृत्व करना है, ऐसे में नशा और ड्रग्स से दूर रहना अत्यंत आवश्यक है। विद्यार्थियों को सकारात्मक सोच, अच्छे विचार और अच्छे कर्म अपनाने चाहिए। बुराइयों से दूर रहना ही शिक्षा का असली महत्व है। उन्होंने विशेष रूप से बेटियों से कहा कि उन्हें इन आदतों से दूर रहना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य उनके हाथ में है।

कुलाधिपति ने कहा कि यह समय सीखने का है, इसलिए सभी विद्यार्थियों को नये-नये कौशल सीखने चाहिए और सिलेबस से आगे का ज्ञान अर्जित करना चाहिए। उन्होंने कामना की कि उनका जीवन सफल, सार्थक और समाजोपयोगी बने और अपने प्रयासों से न केवल विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाएँ बल्कि राष्ट्र को भी नई दिशा दें। राज्यपाल जी ने कहा कि अपने माता-पिता का सम्मान और सेवा कीजिए, क्योंकि देश को वृद्धाश्रमों की नहीं, बल्कि स्कूलों की आवश्यकता है। शिक्षा और ज्ञान का प्रसार ही राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की नींव है।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की कुलपति को निर्देश दिया कि कैंपस को नशा मुक्त बनाया जाए। इसके लिए छात्रावासों का निरीक्षण किया जाए, वर्कशॉप करवाई जाए और विद्यार्थियों को प्रेरित किया जाए। बाहर से कोई भी वस्तु बिना जांच-पड़ताल के परिसर में न लाई जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया कि गोद लिए गए पांच गाँवों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की जाए और वहाँ के अध्यापकों को प्रशिक्षित किया जाए कि स्मार्ट क्लास का सही प्रयोग कैसे किया जाए।राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को सुधार गृह गोद लेना चाहिए और शोध करना चाहिए कि बच्चे कहाँ से आए हैं और, उन्होंने अपराध क्यों किया। इन बच्चों में भी प्रतिभा है, उन्हें सही दिशा में ले जाना हमारा उत्तरदायित्व है। राज्यपाल ने घोषणा की कि राजभवन भी सुधार गृह गोद लेगा और इन बच्चों का जीवन सही दिशा में ले जाने का प्रयास करेगा। हर जिले में ऐसे सुधार गृह होने चाहिए, जहाँ बच्चों को नकारात्मक प्रवृत्तियों से निकालकर सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सके।

राज्यपाल ने निर्देश दिया कि बेटियों को एचपीवी वैक्सीन लगवाने के लिए विश्वविद्यालय, समाज और प्रशासन मिलकर अभियान चलाएँ। अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों को भी प्रोत्साहित करें कि वे अपने स्कूलों में इस अभियान को लागू करें। हापुड़ जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए गए कि वे अपने जिले के पुलिस कर्मियों की बेटियों को वैक्सीन लगवाएँ और प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में जन सहयोग से अभियान चलाएँ। उन्होंने बताया कि हाल ही में लखनऊ में 300 और कानपुर में 500 पुलिसकर्मी की बेटियों को वैक्सीन दी गई है।

राज्यपाल ने बताया कि पिछले 6 महीनों से राजभवन की टीम विश्वविद्यालय के छात्रावास, लैब, भवन, गार्डन, पर्यावरण और सुविधाओं से संबंधित निरीक्षण कर रही है।उन्होंने विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि किचन और मेस में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। विद्यार्थी बाहर से लाए गए पनीर पर शोध करें, क्योंकि इसमें रासायनिक मिलावट हो सकती है। विश्वविद्यालय को निर्देश दिए गए कि हर फ्लोर पर वाशिंग मशीन उपलब्ध हो, छात्रावास में सफाई की व्यवस्था बेहतर बनाई जाए और लाइब्रेरी सभी विद्यार्थियों के लिए समय सीमा बढ़ाकर खोली जाए। विद्यार्थियों को विशेष रूप से कहा गया कि लाइब्रेरी में पढ़ाई करें और मोबाइल फोन का उपयोग न करें।

राज्यपाल ने जनपद हापुड़ की आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 300 आंगनबाड़ी किट और हेल्थ किट वितरित की और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि वे बच्चों और गर्भवती महिलाओं की देखभाल करती हैं। उन्होंने इन्हें प्रेरित किया कि हेल्थ किट के माध्यम से बच्चों को स्वच्छ और सुसज्जित रखें।राज्यपाल ने कहा कि भारत आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निरंतर नए सोपानों को प्राप्त कर रहा है। यह यात्रा केवल आधुनिक विकास की नहीं, बल्कि अपने गौरवशाली अतीत को वर्तमान से जोड़ने और भविष्य को उसी आधार पर संवारने की भी है। जहाँ एक ओर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण भारत की आस्था और संस्कृति को साकार रूप दे रहा है, वहीं काशी में बाबा विश्वनाथ धाम कॉरिडोर पूर्णता को प्राप्त कर हमारी सनातन परंपरा के शाश्वत वैभव को पुनर्जीवित कर रहा है। केदारनाथ में साधना हेतु निर्मित योगी गुफा और आदि जगतगुरु शंकराचार्य की ध्यानमूर्ति की स्थापना ने हिमालय की तपोभूमि को एक नया अध्यात्मिक आयाम प्रदान किया है।

उन्होंने कहा कि आज भारत केरल से कश्मीर और सोमनाथ से कामाख्या तक एक नए सांस्कृतिक पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है। इसी धारा में मेरठ को भी एक विशेष पहचान दी जा रही है। यह नगर केवल ऐतिहासिक ही नहीं, अपितु पौराणिक दृष्टि से भी अनुपम महत्व रखता है। इसे महाभारत क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना इस भूमि को उसके वास्तविक सांस्कृतिक गौरव से पुनः जोड़ेगी। साथ ही, पुरा महादेव मंदिर के विकास और सौंदर्यीकरण के प्रयास इसे अध्यात्म और पर्यटन का अद्वितीय केंद्र बनाएंगे।राज्यपाल ने बताया कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने शिक्षा के प्रसार और उसकी पहुँच को सुदूर अंचलों तक पहुँचाने हेतु मॉडल महाविद्यालयों की स्थापना का कार्य आरंभ किया है। इसी क्रम में जेवर में मॉडल महाविद्यालय स्थापित किया गया है। यह शिक्षा के लोकतांत्रीकरण और ज्ञान के व्यापक प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने ई-गवर्नेंस के तहत मिशन मोड प्रोजेक्ट के अंतर्गत ’इलेक्ट्रॉनिक फाइल सिस्टम’ विकसित किया है, जो प्रशासन की पारदर्शिता, गति और दक्षता का परिचायक है। विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस की सर्वाेत्कृष्ट श्रेणी प्राप्त है और राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क-2025 में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। राज्य विश्वविद्यालय श्रेणी में 41वीं रैंक और ’रैंकिंग ऑफ वेब यूनिवर्सिटीज’ में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होना इसकी शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रमाण है।राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के राजा महेन्द्र प्रताप पुस्तकालय की भी सराहना की और कहा कि इसमें अत्याधुनिक तकनीक और कियोस्क के माध्यम से पुस्तकों की त्वरित सूचना की व्यवस्था है। 1973 से अब तक के समाचार पत्रों का संग्रह और 6,500 से अधिक आध्यात्मिक ग्रंथों का संकलन इसे अनोखा बनाता है।

राज्यपाल ने कहा कि आज का भारत नए युग की दहलीज पर खड़ा है। यह वह भारत है जिसने सदियों की तपस्या, संघर्ष और त्याग के बल पर स्वयं को पुनः गढ़ा है। यह केवल भौगोलिक सीमाओं से बंधा राष्ट्र नहीं, बल्कि विचारों, आदर्शों और संस्कारों का ऐसा संगम है, जो विश्व को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है।राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी भारत, पर्यावरण संरक्षण से समृद्ध भारत और सभी क्षेत्रों में विश्व को नेतृत्व प्रदान करने वाला भारत हमारे सामने है। ये केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाएँ हैं, जो हमें नए भविष्य की ओर अग्रसर करती हैं। भारत हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। रक्षा, अंतरिक्ष और नवाचार के क्षेत्रों में भारत नेतृत्व कर रहा है। इस परिवर्तनकारी यात्रा के केंद्र में हमारे युवा हैं, जो साहस, नवाचार और परिश्रम से देश को नई पहचान दिला रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को जीवन का मूलमंत्र बनाना होगा। महिला स्वास्थ्य अभियान ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ और पोषण माह के तहत महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच और पोषण सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि माताएँ स्वस्थ हों, बच्चों को उचित पोषण मिले और परिवार समाज तथा राष्ट्र की शक्ति बन सके। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जीएसटी व्यवस्था को सरल और जनोपयोगी बनाया गया है। कर प्रणाली में प्रमुख दरें घटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रह गई हैं। आवश्यक वस्तुओं, घर निर्माण सामग्री और कृषि उपकरणों पर करों में कमी करके आम नागरिकों को राहत दी गई है।

राज्यपाल ने डिजिटल दुनिया में युवाओं को सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि हाल ही में संसद में ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित कानून लाया गया है, ताकि युवा गैम्बलिंग जैसी खतरनाक प्रवृत्तियों से बच सकें। उन्होंने ने पारंपरिक खेलों जैसे कबड्डी, खो-खो, गिल्ली-डंडा के महत्व को भी बताया और बच्चों को स्वदेशी उत्पाद, कला और हस्तशिल्प से जोड़ने का आह्वान किया। मेरठ के हस्तशिल्पियों को बच्चों के साथ जोड़कर उन्हें अपने देशी कौशल और संस्कृति से परिचित कराया जाए।
राज्यपाल जी ने समारोह के मुख्य अतिथि एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, भारत सरकार के अध्यक्ष प्रोफेसर जी. सीताराम का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे शिक्षा में गुणवत्ता, समानता और नवाचार के प्रबल समर्थक हैं। उनके नेतृत्व में भारत की तकनीकी शिक्षा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है। राज्यपाल जी ने कहा कि उनकी उपस्थिति विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणादाई ऊर्जा का संचार करेगी।

दीक्षांत समारोह के दौरान स्कूल के छोटे बच्चों ने पर्यावरण गीत एवं अभिनय की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ाया। राज्यपाल जी ने कार्यक्रम की सराहना की तथा बच्चों को चॉकलेट वितरित की। उन्होंने गोद लिए गए गाँव में आयोजित भाषण, चित्रकला एवं कहानी-कथन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार प्रदान किए।कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी ने कुलाधिपति जी को हेल्थ किट भेंट कीं। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की सभी उपाधियाँ डिजी-लॉकर में अपलोड कीं तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों का ऑनलाइन लोकार्पण किया तथा प्राथमिक विद्यालय की लाइब्रेरी हेतु पुस्तकें भी भेंट कीं।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर टी.जी. सीताराम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा पूर्ण होने और जीवन की नई शुरुआत का प्रतीक है। यह स्व-अध्ययन, अनुभव-आधारित और तकनीक-सहायता प्राप्त शिक्षा का युग है। उन्होंने कहा कि आज आप सभी अमृतकाल में स्नातक हो रहे हैं। यह समय भारत के लिए स्वर्णिम अवसरों का है और इसमें युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अब प्रत्येक विद्यार्थी को यह सोचना होगा कि वह किस प्रकार राष्ट्र की सेवा कर सकता है और स्वतंत्रता सेनानियों तथा संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने में योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ज्ञान, मूल्य और सेवा का विकास करना है। ज्ञान बिना मूल्यों के अधूरा है, और तभी सार्थक है जब वह समाज व राष्ट्र की सेवा में प्रयुक्त हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति विद्यार्थियों को बहु-विषयक, मूल्य-आधारित और समग्र शिक्षा प्रदान कर भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करती है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आधुनिक तकनीक का उपयोग समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए करें। यही सच्ची जिम्मेदारी है और इसी से भारत ज्ञान, कौशल और नवाचार के क्षेत्र में विश्व नेतृत्व की ओर अग्रसर होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों का स्मरण, तर्पण और अर्पण हमारी संस्कृति का हिस्सा है। चौधरी चरण सिंह जैसे महान व्यक्तित्व के नाम पर विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए जीवन का संस्मरणीय अवसर है। उन्होंने पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और गुरुजनों को बधाई देते हुए कहा कि सफलता उनके त्याग और मार्गदर्शन से ही संभव हुई है। विद्यार्थियों को अब व्यक्तिगत उत्कृष्टता के साथ सामाजिक सरोकारों और राष्ट्रहित से भी जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 11वें स्थान से चौथे स्थान पर पहुँच चुका है। विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए युवाओं को स्वदेशी अपनाना होगा और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों, विशेषकर पदक विजेताओं और बेटियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का नाम किसानों के हितैषी और सत्य-सिद्धांतों के प्रतीक चौधरी चरण सिंह जी से जुड़ा है, जिनका जीवन प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि आज जो उपाधियाँ और पदक विद्यार्थी प्राप्त कर रहे हैं, वह केवल कागज या पदक नहीं, बल्कि उनकी मेहनत, तपस्या और परिश्रम का प्रमाण हैं। उन्होंने युवाओं और बेटियों से कहा कि उन्हें केवल अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र के निर्माण और विकास में भी योगदान देना है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने छात्रों को सफलता और असफलता के अनुभवों से सीखने, आगे बढ़ने और अपने लक्ष्यों को पाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल जी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश आज शिक्षा का हब बन चुका है, जहाँ क्वालिटी और क्षमता दोनों के विकास पर जोर दिया जा रहा है, और राज्य देश के गौरव और उन्नति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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