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Lucknow : एसजीपीजीआई लखनऊ में 29वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल रहीं अध्यक्ष

Lucknow : लखनऊ में एसजीपीजीआई का 29वाँ दीक्षांत समारोह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ, जिसमें 415 उपाधियाँ प्रदान की गईं।राज्यपाल ने विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दी और डॉक्टरों से संवेदनशील व मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।संस्थान ने एनआईआरएफ-2025 में पाँचवाँ स्थान प्राप्त कर बड़ी उपलब्धि हासिल की, वहीं शोध, गुणवत्ता और वैश्विक रैंकिंग की दिशा में आगे बढ़ने पर जोर दिया गया।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : एसजीपीजीआई लखनऊ में 29वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल रहीं अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ का 29वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने शिक्षार्थियों को कुल 415 उपाधियाँ प्रदान कीं तथा सभी उपाधियों को डिजिलॉकर में अपलोड किया। साथ ही उन्होंने जनपद रायबरेली के आंगनबाड़ी केंद्रों हेतु 300 आंगनबाड़ी किटों का भी वितरण किया।

राज्यपाल ने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ते हुए सदैव समाज और देश की सेवा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि हर विद्यार्थी के माता-पिता और अभिभावकों ने उन्हें यहां तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए उनका सम्मान करना प्रत्येक उपाधिधारक का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा से जुड़ा है।

राज्यपाल ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क-2025 में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ने देश के चिकित्सा संस्थानों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सातवें स्थान से छलांग लगाकर पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है। वर्ष 2024 में संस्थान को नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस मान्यता प्राप्त होना भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों की परिस्थितियाँ व संसाधन भिन्न होते हैं, फिर भी राज्य विश्वविद्यालय सीमित सुविधाओं में सराहनीय कार्य कर रहे हैं।राज्यपाल ने संस्थान को प्रेरित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर से आगे बढ़कर विश्व रैंकिंग में भी अपना परचम लहराए। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता पर सतत ध्यान देना चाहिए, अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए और समाज सेवा से जुड़कर शिक्षा एवं अनुसंधान का सफर आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज राज्य के 7 विश्वविद्यालय एशिया रैंकिंग में भी स्थान प्राप्त कर चुके हैं, जो गर्व का विषय है।

राज्यपाल ने चिकित्सकों से संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी भी संस्थान का निर्माण प्रायः किसानों की भूमि पर होता है। ऐसे में जब कोई किसान, बुजुर्ग, महिला या बच्चा इलाज के लिए आए तो उसका उपचार पूरे मन से करें, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें और कभी भी किसी मरीज को निराश न लौटाएँ। प्रत्येक मरीज को तात्कालिक सुविधा और त्वरित इलाज मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर तभी अपनी भूमिका का सही निर्वहन कर पाएंगे जब उनमें संवेदनशीलता और मानवीयता का भाव होगा।

राज्यपाल ने आगे कहा कि देश को स्वस्थ बनाने के लिए विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं पर ध्यान देना होगा। शत-प्रतिशत डिलीवरी अस्पतालों में हो, गर्भवती महिलाओं को अच्छा पोषण और अनुकूल वातावरण मिले, तभी स्वस्थ बच्चों का जन्म होगा और यही स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र निर्माण का आधार बनेगा। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जनपदों के भ्रमण के दौरान यह देखा जाता है कि गाँवों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। इसलिए यह नियम होना चाहिए कि हर डॉक्टर अपनी नौकरी के कम से कम तीन वर्ष गाँव में रहकर ग्रामीण अंचलों की सेवा करे। किसानों ने अपनी भूमि संस्थान को दी है, इसलिए यह दायित्व है कि चिकित्सक उन्हीं ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान दें।
राज्यपाल जी ने उपाधि धारकों को प्रेरित करते हुए कहा कि आप विदेश अवश्य जाइए, लेकिन वहाँ नई तकनीक और ज्ञान प्राप्त करने के लिए, और फिर वापस आकर अपने देश की सेवा कीजिए। उन्होंने कहा कि यदि आप निजी अस्पताल भी स्थापित करते हैं तो यह संकल्प अवश्य लें कि हर वर्ष कम से कम पाँच मरीजों का निःशुल्क इलाज करेंगे। यही सच्ची सेवा भावना होगी और इसी से चिकित्सक समाज में आदर्श स्थापित करेंगे।

राज्यपाल ने बताया कि वर्तमान में पूरे देश में 15 दिवसीय सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं और बेटियों को जागरूक करना, विद्यालयों में विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच करना, बीमारियों का समय पर इलाज सुनिश्चित करना और सभी को स्वच्छ जल एवं शुद्ध वायु उपलब्ध कराना प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण रोकने, जल शुद्धिकरण सुनिश्चित करने, स्वच्छता व्यवस्था सुधारने और बीमारियों को कम करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं तथा विश्वविद्यालय को भी इसमें सक्रिय योगदान देना चाहिए।

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री जी के तेल के सीमित उपयोग संबंधी आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा कि बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि राजभवन में भी अधिकारियों और कर्मचारियों का बीएमआई परीक्षण करवाया गया है और उसके अनुसार उपचार किया जा रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय को शोध कार्यों की दिशा में प्रेरित करते हुए कहा कि शोध को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। आज समाज में गुस्से की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ऐसे में यह शोध होना चाहिए कि किस प्रकार क्रोध को नियंत्रित कर शांतिपूर्ण जीवन जिया जा सके। डॉक्टरों को समाज की समस्याओं के समाधान हेतु भी अनुसंधान करना चाहिए।

राज्यपाल ने शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि निजी कॉलेजों में अत्यधिक फीस वसूली जाती है। एक बार में पूरी फीस जमा करने का दबाव विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों के लिए कठिनाई पैदा करता है। कई बार विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, तब भी उनकी फीस वापस नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि ऐसा नियम होना चाहिए कि फीस छह-छह माह की किस्तों में जमा हो और यदि विद्यार्थी पढ़ाई बीच में छोड़ दे तो शेष फीस वापस की जाए।

इस अवसर पर राज्यपाल ने रायबरेली के मुख्य विकास अधिकारी को राजभवन की पुस्तकें तथा विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को बच्चों के उपयोग हेतु राजभवन की तरफ से पुस्तकें भेंट कीं। विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गाँवों के विद्यालयों के बच्चों ने पर्यावरण विषय पर प्रभावी भाषण और लघु नाटिका प्रस्तुत की, जिसे सभी ने सराहा। राज्यपाल ने इन विद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया और बच्चों के उत्साहवर्धन हेतु सभी को चॉकलेट भी वितरित की। राज्यपाल जी ने विद्यार्थियों द्वारा बनायी प्रेंटिंग प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

समारोह के दौरान राज्यपाल ने संस्थान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों को विभिन्न पुरस्कारों एवं पदकों से सम्मानित किया। इनमें प्रो एसआर नायक पुरस्कार संकाय सदस्य को उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता के रूप में, प्रो एसएस अग्रवाल पुरस्कार शिक्षार्थी को उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता के रूप में तथा प्रो आरके शर्मा पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ डी.एम. और एम.सी.एच. छात्र को प्रदान किया गया। इसी प्रकार अध्यक्ष, एसजीपीजीआई पुरस्कार उन विभागों और संकाय सदस्यों को दिए गए जिन्होंने अधिकतम संख्या में इंट्राम्यूरल और एक्स्ट्राम्यूरल अनुदान प्राप्त किए तथा सर्वाधिक पेटेंट हासिल किए। इसके अतिरिक्त एम.डी. रेडियोडायग्नोसिस विषय में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी को डॉ. सब्यसाची सरकार स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी सॉफ्ट लॉन्च के माध्यम से किया।दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रो एण्ट्रोलॉजी, हैदराबाद, पद्म विभूषण प्रो० डी० नागेश्वर रेड्डी ने उपाधिधारकों को बधाई देते हुए कहा कि यह उनका विशेष दिन है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जीवन में आगे अनेक चुनौतियाँ आएंगी और ज्ञान के साथ-साथ चिकित्सक की जिम्मेदारियों को निभाते हुए ही वास्तविक प्रगति संभव है। उन्होंने कहा कि यह अधिक महत्त्वपूर्ण है कि आप समाज पर क्या प्रभाव डालते हैं। यहां तक पहुंचने में माता-पिता, अध्यापक और आपके भीतर अनुशासन, दृढ़ संकल्प, करुणा, संचार क्षमता, नेतृत्व, टीमवर्क और मानवता जैसी मूल्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इन्हीं मूल्यों को आगे भी बनाए रखते हुए समाज की सेवा करना आप सबका दायित्व है।

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने उद्बोधन में उपाधिधारकों को बधाई दी और कहा कि चिकित्सा सेवा का क्षेत्र चुनौतियों से भरा होता है, किंतु मानव सेवा को ध्येय बनाकर आगे बढ़ना ही डॉक्टर का धर्म है। डॉक्टर को भगवान का स्वरूप माना गया है, अतः उन्हें सदैव संस्था, प्रदेश और देश के हित को सर्वाेपरि रखना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री जी चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक कार्य कर रहे हैं, नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं और आप सभी का दायित्व है कि विकसित राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें। उन्होंने कहा कि राज्यपाल जी के मार्गदर्शन में प्रदेश के विश्वविद्यालयों को विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट ग्रेडिंग प्राप्त हो रही है, जो गर्व का विषय है। बच्चों को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है, पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है और आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाया जा रहा है। राज्यपाल जी ने प्रदेश में उच्च शिक्षा को नई दिशा प्रदान की है तथा आंगनबाड़ी से लेकर विश्वविद्यालय तक एक सुदृढ़ शैक्षिक कड़ी बनाकर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया है।

राज्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश मयंकेश्वर शरण सिंह ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रदेश का पहला संस्थान है जिसे एनआईआरएफ रैंकिंग में टॉप फाइव में स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए फैकल्टी की संख्या बढ़ाने पर बल दिया और विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले पाँच वर्षों में यह संस्थान सभी को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान प्राप्त करेगा। उन्होंने विद्यार्थियों और फैकल्टी से कहा कि नंबर वन बनने के लिए सतत प्रयास और सामूहिक सहयोग आवश्यक है।

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