उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के असोथर थाना क्षेत्र अंतर्गत टीकर ग्रामसभा के सेमरा गांव में पर्यावरणीय संकट की स्थिति बन गई है। यहां नहर पटरी के किनारे लगे विशालकाय आम और महुआ के पेड़ों को वन माफिया द्वारा अवैध रूप से काट दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से यह सब हुआ है।
सेमरा गांव के निवासियों ने बताया कि आम और महुआ के पेड़ केवल फलदार वृक्ष नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और आजीविका का भी आधार हैं। इन पेड़ों को संरक्षण अधिनियम 1980 और उत्तर प्रदेश पर्यावरण कानूनों के तहत संरक्षित किया गया है, लेकिन फिर भी उन्हें बिना किसी रोक-टोक के काटा जा रहा है।
पर्यावरण कार्यकर्ता अनिल यादव ने बताया कि पेड़ों की इस तरह की अवैध कटाई से न केवल मिट्टी का कटाव बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्र में जल संकट भी गहरा सकता है। साथ ही जैव विविधता पर भी इसका गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वन माफिया द्वारा इस तरह की गतिविधियां प्रशासन की लापरवाही और संरक्षण की कमी का परिणाम हैं।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और वन विभाग से अविलंब हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते रोक नहीं लगाई गई, तो इसका असर आने वाले वर्षों में और भी विनाशकारी हो सकता है।