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Lucknow : ‘वंदे मातरम‘ गीत के 150 वर्ष पूर्ण, राजभवन में सामूहिक गायन

राजभवन में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सामूहिक गायन का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यपाल ने इस गीत के राष्ट्रभाव और स्वतंत्रता आंदोलन में इसके महत्व को याद किया।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : ‘वंदे मातरम‘ गीत के 150 वर्ष पूर्ण, राजभवन में सामूहिक गायन

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में “वंदे मातरम” गान के गौरवशाली 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर राजभवन परिवार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामूहिक रूप से “वंदे मातरम” का गायन किया।

वंदे मातरम्: राष्ट्रभक्ति की आत्मा

इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि “वंदे मातरम” केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है, जिसने गुलामी के अंधकार में भी राष्ट्रभक्ति, एकता और जागरण का प्रकाश फैलाया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन के कठोर काल में जब खुलकर कुछ नहीं कहा जा सकता था, तब हमारे नागरिक, साधु-संत और स्वतंत्रता सेनानी इस गीत के माध्यम से जन-जन में आज़ादी की अलख जगाते थे।

बंकिमचंद्र की प्रेरणा और रचना

राज्यपाल ने कहा कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय एक राष्ट्रवादी लेखक और चिंतक थे, उनके घर में देश की आज़ादी के लिए रणनीतियों पर चर्चा होती थी। उन्होंने बताया कि जब उनकी बालिका पुत्री ने जिज्ञासा प्रकट की कि “भारत माता कौन है?”, तब उसी प्रेरणा से उन्होंने “वंदे मातरम” की रचना की। यह रचना “आनंदमठ” में प्रकाशित हुई और शीघ्र ही स्वतंत्रता आंदोलन का सूत्र बन गई।

अंग्रेजी शासन में भी गूंजता रहा यह गीत

उन्होंने बताया कि अंग्रेजों द्वारा इस गीत पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, यह गीत देश के विद्यालयों, सड़कों और सार्वजनिक आयोजनों में गूंजता रहा। कांग्रेस अधिवेशनों में भी यह गीत स्वरित हुआ। उन्होंने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने भी फांसी पर चढ़ते समय “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” का उद्घोष करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए।

स्मरणोत्सव वर्ष की घोषणा एवं राजभवन की सहभागिता

राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्षभर इस गीत से संबंधित उत्सव ‘‘स्मरणोत्सव‘‘ मनाने का संकल्प लिया गया है। राजभवन भी इन कार्यक्रमों में सक्रिय सहभागिता करेगा। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे “आनंदमठ” और “महात्मा गांधी की आत्मकथा” जैसी प्रेरणादायक पुस्तकों का अध्ययन करें ताकि युवाओं में राष्ट्रप्रेम और संस्कार का संचार हो।

राष्ट्रहित में कार्य करना ही सर्वोच्च कर्तव्य

राज्यपाल ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना होगा कि वह जो भी कार्य करे, वह केवल अपने लिए नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के हित में करे।

कार्यक्रम में रही महत्वपूर्ण उपस्थिति

इस अवसर पर विशेष कार्याधिकारी (अपर मुख्य सचिव स्तर) डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी अशोक देसाई, विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) डॉ. पंकज एल. जानी, विशेष सचिव श्रीप्रकाश गुप्ता, राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी, तथा राजभवन उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे उपस्थित रहे।

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