भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश अब रोजगार और निवेश का नया गढ़ बन रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के माध्यम से प्रदेश में न केवल देश की रक्षा जरूरतों की पूर्ति होगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
अब तक इस परियोजना के अंतर्गत 170 एमओयू साइन किए जा चुके हैं, जिनसे करीब 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। इनमें से 57 निवेशकों को जमीन आवंटित की जा चुकी है, जिनकी उत्पादन इकाइयां सक्रिय रूप से विकसित हो रही हैं।
डिफेंस कॉरिडोर न सिर्फ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है, बल्कि यह भारत को आयात पर निर्भरता से मुक्त करने का भी माध्यम बन रहा है। ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक मिसाइलें, ड्रोन, काउंटर ड्रोन सिस्टम, बुलेटप्रूफ जैकेट, और स्मार्ट हथियार अब देश में ही तैयार किए जाएंगे।
झांसी: रक्षा गोला-बारूद और प्रणोदन प्रणाली का केंद्र
● भूमि आवंटन: 16 कंपनियों को 531.09 हेक्टेयर
● प्रस्तावित निवेश: ₹4372.81 करोड़
● रोजगार: 2928 प्रत्यक्ष
कानपुर: बुलेटप्रूफ जैकेट और हथियारों का उत्पादन
● भूमि आवंटन: 5 कंपनियों को 210.60 हेक्टेयर
● प्रस्तावित निवेश: ₹1758 करोड़
● रोजगार: 2200 प्रत्यक्ष
अलीगढ़: ड्रोन और स्मार्ट हथियारों का हब
● भूमि आवंटन: 24 कंपनियों को 64 हेक्टेयर
● प्रस्तावित निवेश: ₹1921 करोड़
● रोजगार: 5618 प्रत्यक्ष
लखनऊ: ब्रह्मोस मिसाइल और रक्षा टेक्नोलॉजी
● भूमि आवंटन: 12 कंपनियों को 117.35 हेक्टेयर
● प्रमुख कंपनी: ब्रह्मोस एयरोस्पेस
● प्रस्तावित निवेश: ₹1411 करोड़
● रोजगार: 2930 प्रत्यक्ष
सरकार की योजना के अनुसार आगरा और चित्रकूट नोड्स में भी जल्द ही भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे कॉरिडोर में निवेश की गति और तेज होगी तथा स्थानीय स्तर पर हजारों युवाओं को प्रशिक्षित और नियोजित किया जा सकेगा।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का यह मॉडल भारत को रक्षा क्षेत्र में विश्व शक्ति बनाने की ओर ले जा रहा है। देश में ही रक्षा उत्पादन से आयात पर खर्च घटेगा और सेना को तेज़ सप्लाई मिलेगी। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में औद्योगिक क्रांति को भी बल मिलेगा।